death of pregnant woman in Noida

नोएडा : गौतमबुद्ध नगर जिले के नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा के बड़े अस्पतालों की घोर लापरवाही के चलते बीते शुक्रवार को खोड़ा निवासी गर्भवती महिला नीलम और उनके अजन्मे बच्चे की मौत के मामले में गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई की है। स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी सुहास एल.वाई. ने सेक्टर-24 स्थित ईएसआईसी अस्पताल, सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल और ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) के अधिकारियों और चिकित्सकों को जिम्मेदार ठहराया है। डीएम ने तीनों अस्पतालों के अधिकारियों, चिकित्सकों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की है। यही नहीं डीएम ने नोएडा जिला अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) के पद पर तैनात डॉ. वंदना शर्मा को यहां से स्थानांतरित करने और स्टाफ नर्स राजबाला तथा वार्ड आया अनीता के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है। इसके अलावा जिलाधिकारी ने नोएडा के निजी अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दोष के अनुसार मुकदमा दर्ज कराने का सीएमओ को निर्देश दिया गया है। साथ ही निजी अस्पतालों के लिए गाइडलाइन भी जारी किए गए हैं।

बतादें कि बीते 5 जून (शुक्रवार) को नोएडा/ग्रेटर नोएडा के अस्पतालों के चक्कर काटते-काटते खोड़ा निवासी 8 महीने की गर्भवती महिला नीलम की ऐम्बुलेंस में ही मौत हो गई थी। महिला का पति उसे इलाज के लिए एम्बुलेंस में लेकर गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा समेत 8 अस्पतालों के चक्कर काटता रहा। परन्तु करीब 13 घंटे तक भटकने के बाद भी गर्भवती महिला को गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा के किसी भी अस्पताल में इलाज नहीं मिला था। आखिरकार इलाज के अभाव में गर्भवती महिला ने एम्बुलेंस में ही दम तोड़ दिया था। महिला के पति ने इस घटना का वीडियो बनाया जो सोशलमीडिया में खूब वायरल हुआ और नोएडा के अस्पतालों की अमानवीयता और गैरजिम्मेदाराना हरकत से हुई गर्भवती महिला की मौत से लोगों में जबरदस्त गुस्सा था. जिसके बाद नोएडा जिला प्रशासन ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए इस मामले की जांच के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद आज बड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं.

जिलाधिकारी ने बताया कि जांच में पाया गया कि परिजन नीलम को लेकर सबसे पहले सेक्टर-24 स्थित ईएसआईसी अस्पताल पहुंचे थे। नीलम को वहां उपचार नहीं दिया गया। उसे ग्रेटर नोएडा स्थित जिम्स रेफर कर दिया गया। ईएसआईसी अस्पताल के कर्मचारियों ने घोर लापरवाही बरती। ये लोग नीलम को लेकर जिम्स की बजाय सेक्टर-30 जिला अस्पताल पहुंचे और नीलम को छोड़कर चले गए। इस मामले में सबसे पहले ईएसआईसी अस्पताल के मैनेजमेंट, कर्मचारी और चिकित्सकों ने बड़ी गलती की है। एंबुलेंस के चालक को भी जिम्मेदार माना गया है। इन सारे लोगों पर कार्रवाई के लिए उप्र सरकार के प्रमुख सचिव श्रम और केंद्र सरकार के श्रम विभाग के सचिव को पत्र लिखा गया है। जांच में पाया गया है कि मरीज को हायर सेंटर पर उचित व्यवस्था के साथ रेफर किया जाना चाहिए था। इसके लिए जिला अस्पताल के चिकित्सक और कर्मचारियों को हायर सेंटर पर बात कर ट्रांसफर करना चाहिए था। जिला अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों ने गंभीर लापरवाही बरती है। उस वक्त अस्पताल में उपस्थित कर्मचारी और चिकित्सक इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल की सीएमएस डा. वंदना शर्मा को कई बार अस्पताल के हालात सुधारने को कहा गया था लेकिन उनके द्वारा लगातार लापरवाही बरती गई। जांच रिपोर्ट के आधार पर सीएमएस का जिले से बाहर तबादला करने और उनके स्थान पर योग्य अधिकारी की तत्काल नियुक्ति करने के लिए शासन से सिफारिश की गई है। जिला अस्पताल में उस दिन कार्यरत स्टाफ नर्स रोजबाला, आया अनीता, सीएमएस डा. वंदना शर्मा और जिम्मेदार चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

जिलाधिकारी ने बताया कि इसके बाद नीलम को गाजियाबाद ले जाया गया। गाजियाबाद के अस्पतालों ने भी नीलम को दाखिल करने और इलाज देने से इनकार कर दिया था। गाजियाबाद के अस्पतालों की ओर से बरती गई लापरवाही पर कार्रवाई करने के लिए वहां के जिलाधिकारी को पत्र भेजा गया है।

गाजियाबाद से जब दोबारा नीलम ग्रेटर नोएडा जिम्स पहुंची तो उन्हें भर्ती किया गया था लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी और उनकी मौत हो चुकी थी। उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पतालों के अलावा नीलम के परिजन उन्हें कई निजी अस्पतालों में भी लेकर गए थे। निजी अस्पतालों ने भी उन्हें इलाज नहीं दिया और कोरोना का बहाना बनाकर दूसरे अस्पतालों में ले जाने की सलाह दी। लापरवाही में लिप्त पाए गए प्राइवेट अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस जारी करने और समिति के माध्यम से मामले की जांच कराते हुए मुकदमा दर्ज कराने की कार्रवाई करने के लिए सीएमओ को जिलाधिकारी ने निर्देशित किया है।

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