Illegal-property

ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम के अस्थाई तौर पर नौकरी कर रहे दो कर्मचारियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जाँच के लिए प्राधिकरण के सीईओ ने आयकर विभाग को लिखा है। बतादें कि ग्रेटर नोएडा में ज्यादातर कर्मचारी प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से अस्थाई तौर पर काम करते है। कुछ तो ऐसे भी अस्थाई कर्मचारी है जिनकी सैलरी सात से आठ हजार रुपए प्रति माह है परन्तु उनकी प्रति माह कमाई लाखों में गिनी जाती है। कई प्लेसमेंट कर्मचारी लग्जरी गाडिय़ों में सवार होकर प्राधिकरण कार्यालय आते है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के कर्मचारियों के संपत्ति का भी ब्यौरा गया था।

इसीक्रम में ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ को इन दोनों कर्मचारियों के पास करोड़ों रुपये की सम्पति होने की पुख्ता जानकारी मिली थी। जिसके बाद इन दोनों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया। अब सीईओ ने इन दोनों कर्मचारियों के खिलाफ भी जांच के लिए ईडी को लिखा है।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में तैनात चपरासी से लेकर अधिकारी करोड़पति हैं। पिछली सरकारों में जमीनों के आवंटन के दौरान कर्मचारियों ने अपार संम्पत्ति अर्जित की थी। सूत्र के अनुसार प्रदेश में भाजपा सरकार बनते ही प्राधिकरण के कर्मचारियों की शिकायतें शासन तक पहुंचने लगीं। सीईओ नरेंद्र भूषण को शिकायत मिली कि प्राधिकरण में प्लेसमेंट से तैनात एक बाबू व एक चपरासी के पास करोड़ों रुपये की सम्पत्ति है। सीईओ ने जब मामले की गहनता से जांच करायी तो सच्चाई सामने आ गयी। सीईओ ने तत्काल दोनों को नौकरी से निकाल दिया और आय से अधिक सम्पत्ति के मामले की जांच के लिए ईडी को पत्र लिखा है। यह भी खबर आ रही है कि प्राधिकरण में तैनात स्थायी कर्मचारियों के तबादले के लिए भी सीईओ ने शासन को पत्र लिखा है। साथ ही मामले की जांच भी कराने की सिफारिश की है।