mumbai-kauthig 2020

मुंबई के नेरूल के रामलीला मैदान में आयोजित भव्य उत्तराखंडी कौथिग महाकुंभ 2020 की शाम कुछ खास रही। मौका था हजारों की संख्या में खचाखच भरे रामलीला मैदान के पटल पर समाजसेवी माताश्री मंगला जी एवं भोलेजी महाराज तथा नई पहल नई सोच के संस्थापक एवं सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोड़ा का कौथिग पटल पर पहुँचना। जिनका सम्मान कौथिग फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष योगेश्वर शर्मा, अध्यक्ष डा. हीरासिंह भाकुनी, कार्याकारी अध्यक्ष सुशील कुमार जोशी, सचिव तरुण चौहान और कौथिग फाउंडेशन के संयोजन केशर सिंह बिष्ट ने किया।

इस मौके पर माताश्री मंगला जी ने सभी प्रवासियों को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि कौथिग जैसे आयोजन से उत्तराखंड की संस्क‍ृति के विस्तार के साथ-साथ उत्तराखंडियों की पहचान को भी नया आयाम मिला है। माताश्री ने कहा कि हम देवभूमि के लोग अपनी सांस्कृतिक, सामाजिक जिम्मेदारियों को तत्परता से पूरा करने के कारण ही दुनिया में खास स्थान रखते हैं। माता मंगलाजी ने कहा कि आज खुशी होती है, जब देश विदेश में रह रहे प्रवासी गर्व से कहते हैं कि हम उत्तराखंडी हैं। कुछ सालों पहले तक लोग अपने गांव का नाम तक बताने से कतराते थे। आज उत्तरखंडी लोगों ने हर क्षेत्र में नाम कमाया है। हम देव भूमि के वासी है। हमारे यहाँ की सांस्कृतिक परिवेश को पूरी दुनिया में पूजा जाता है। इसी का परिवेश आज हम कौथिग के इस प्रांगण में उपस्थिति सब लोग देख रहे है। यह हमारी सांस्कृतिक ताकत है।mumbai-kauthig

इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोड़ा जी ने माताश्री मंगला जी एवं भोले जी महाराज जी और कौथिग फाउंडेशन का अभिवादन करते हुए कहा कि आज मेरा सौभाग्य हैं कि मैं पूज्य माताश्री मंगला जी एवं श्री भोलेजी महाराज जी के सानिद्धय में कौथिग के इस भव्य मंच पर खड़ा हूँ। उन्होंने कहा मुंबई मेरा दूसरा घर हैं। यहाँ के सांस्कृतिक पटल पर आपने इतना विशाल लोक सांस्कृति आयोजन किया है। यह निश्चित तौर हम सबके लिए सम्मान की बात है और इस लोक सांस्कृति धरोहर को हम सब मिलकर एक दिन नये मुकाम पे लेकर जाएंगे।

संजय शर्मा दरमोड़ा ने अपनी गढ़वाली भाषा में उपस्थित दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि आज मुंबई पहाड़ की सतरंगी छटा का दर्शन करता वक्त मीतें अपणा बडा-बूढा अर दाना स्याणौ का बतयां लुखू का वूं नाम याद औण लग्यां जौंका बारम वू बतांदा था कि बम्बे मा पहाड़ की संस्कृति का विस्तार करण वला लोग कना-कना छा, कु-कु लोग छाया। अगर मी साहित्य की बात कैरूं त सबसे पैलि याद औंदिन शैलेश मटियानी जी जौन बोरोवली से मुंबई तक जनि उत्कृष्ट कृति समाज तै द्यै। सिनेमा की बात करूं त घरजवैं जन सुपरहिट फिल्म  दीण वला विश्सेश्वर दत्त नौटियाल जी अर कौथिग जनि समलौण्या फिल्म दींण वला चरण सिंह चौहान जी, पैलि गढ़वालि फिल्म जग्वाल की जग्वाल खत्म कराण वला  पी सी बलोदी जी जना महानुभाव याद औंणा छिन। मै थै याद औंणि च आज हिलांस का यशस्वी संपादक स्वर्गीय अर्जुन सिंह गुसांईं जी और नूतन सवेरा का यशस्वी संपादक स्वर्गीय नंद किशोर नौटियाल जी की जौन अपणी कलम की ताकत हौरि समाज का लोगु थै बि पहाड़ की ताकत दिखै, होरि समाज का लोगु थैं भी बतै अर समझै।

ये कौथिग का आयोजन से जुड्यां हर छुटा बढा,भैजी-भुला, नना-तिना अर दिसा-धियांणियो तैं नमन करदू जौन इखगा बडू आयोजन करि। आज आप लुखू कूं प्यार,प्रेम देखिक मी थैं अपणा पसंदीदा लोकगायक स्वर्गीय शिव प्रसाद पोखरियाल जी कू गीत यांद आणु कि जौं भयूं की हूणि होलि हूंका ठराला अर अणमिला भ्यूं का लोग ठट्ठा लगाला। आप लोगु क प्यार, प्रेम अर अपणास द्यैखि दिल खुश ह्वै ग्यै। मीथै विश्वास च अपणी मेहनत, लगन और ईमानदारी का बलबूता पर आप सब्बि लोग आमची मुंबई का ये गुलदस्ता पर उत्तराखंड की फ्योंलि-बुरांस की महक इनि बरकरार रखिल्या। सबसे पैलि जै भारत फिर जै उत्तराखंड अर जै महाराष्ट्रा।