Uttarakhandis stranded in Dubai

वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए दुनियाभर में किये गए लॉकडाउन के चलते बीते कई महीनों से नौकरी खो चुके, बदहाल हालत में दुबई में फंसे उत्तराखंड के सभी लोगों को समाजसेवी दीपक ध्यानी एवं “उत्तराखंड एसोसिएशन ऑफ़ यूएई” संस्था द्वारा सकुशल भारत वापस लाकर उनके उत्तराखंड स्थित गाँव तक पहुँचाया जा चुका है। यह कार्य पढने या सुनने में जितना सामान्य लग रहा है परन्तु वास्तविक रूप में यह कार्य बेहद जटिल और मुश्किल था। उत्तराखंड एसोसिएशन ऑफ़ यूएई के वरिष्ठ सदस्य और इस मुहिम के मुख्य पात्र दीपक ध्यानी ने देवभूमि संवाद.कॉम को विस्तार से बताया कि किन किन हालातों से लड़कर उन्होंने अपने उत्तराखंडी भाईयों को स्वदेश पहुँचाया।

दीपक ध्यानी ने बताया कि वर्ष 2009 में अपने दुबई प्रवास के दौरान उन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर “उत्तराखंड एसोसिएशन ऑफ़ यूएई” संस्था की शुरुआत की थी। जोकि वर्तमान में एक हजार नियमित सदस्यों का समूह बन चुका है। इसका मुख्य उद्देश्य दुबई एवं आसआप के शहरों में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडियों को आपस में जोड़कर रखना था, ताकि पराये मुल्क में रह रहे ये लोग सुख दुःख में एक दूसरे के सहभागी बन सकें। हालाँकि दीपक पिछले कुछ वर्षों से दुबई छोड़कर अपने देश लौट चुके हैं और स्वरोजगार से जुड़कर दिल्ली में पहाड़ी उत्पादों का व्यवसाय चला रहे हैं।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि उत्तराखंड से रोजगार के लिए विदेशों में गए ज्यादातर युवा होटल व्यवसाय से ही जुड़े हैं। दुबई में भी हमारे बहुत सारे उत्तराखंडी भाई होटलों में जॉब करते हैं। इसबीच कोरोना महामारी के चलते दुबई में भी लम्बे समय तक लॉकडाउन रहने के कारण होटल व्यवसाय चौपट हो गया। जिसमें लगभग सभी होटलियर्स की नौकरियां चली गई। एक दो महीने तो इन लोगों ने किसी तरह, इस आस में निकाल दिए कि शायद अब लॉकडाउन खुल जायेगा और सब सामान्य हो गायेगा, परन्तु दिन-ब-दिन हालात बिगड़ते गए, और अब इन लोगों के बची खुची जमा पूंजी भी खत्म होने लगी। ऐसे में अपने मुल्क से दूर सात समुंदर पार रह रहे इन प्रवासी उत्तराखंडियों पर दो जून की रोटी का संकट पैदा हो गया है। बीते चार महीने से बिना नौकरी के परेशान उत्तराखंडी प्रवासी लगातार उत्तराखंड सरकार एवं केंद्र सरकार से वतन वापसी की गुहार लगाते रहे। मगर इन हालातों में उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई। जब दीपक ध्यानी को पता चला कि होटलों में काम करने वाले सैकड़ों उत्तराखंडी बिना नौकरी के भूखे प्यासे दुबई में फंसे है। तो उन्होंने “उत्तराखंड एसोसिएशन ऑफ़ यूएई” संस्था की मदद से सबसे पहले सभी पीड़ित उत्तराखंडी भाईयों को व्हाटसऐप ग्रुप के माध्यम से संपर्क कर एकत्रित किया। साथ ही जिनके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं बचे हुए थे उनको भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई। दीपक ध्यानी ने बताया कि इस काम में उनके साथ शैलेन्द्र नेगी, हेमु नयाल, गौतम चौधरी, अरविंद पंत, मनवीर गुसाईं आदि ने रात दिन मेहनत की और इन सभी लोगों की वतन वापसी के लिए डाटा और फ़ाइल बनाकर हर एक प्रोसेस को फ़ोलो किया गया। कुछ लोगों के पास टिकट के पैसे भी नहीं थे उनके लिए टिकट भी संस्था द्वारा की गई। उसके बाद भारतीय दूतावास तथा विदेश मंत्रालय से बात कर उनकी वतन वापसी के लिए दुबई एयरलाइन्स की फ्लाइट तक की व्यवस्था की गई, परन्तु सिविल एविएशन मंत्रालय की अनुमति नहीं मिलने के कारण इन लोगों को फ़्लाइट से भारत नहीं भेजा पाये। और एक बार फिर इन प्रवासियों की वतन वापसी की उम्मीद टूटने लगी।

5 जुलाई को स्विट्जरलैंड से राजनयिक बीएस बिष्ट भी इस मुहिम से जुड़े और उन्होंने ने भी अपने स्तर से प्रयास प्रारम्भ किया। इधर भारत से समाजसेवी मीना कंडवाल और जगमोहन सुन्दरियाल ने भी अथक प्रयास किये। पर मुद्दा भारत सरकार और UAE सरकार के बीच का था और कुछ बात न बनने की वजह से सभी चार्टर्स रोक दिए गए। जिसके बाद हमें 10 जुलाई की डेट मिली परन्तु इस बीच हालात और बत्तर होने लगे और दूर दराज के शहरों से स्वदेश लौटने के लिए दुबई पहुँच चुके लोगों के लिए खाने और रहने की समस्या खड़ी हो गई। संस्था द्वारा किसी तरह उन लोगों की खाने और रहने की व्यवस्था की गई।  Uttarakhandis-stranded in Dubai

परन्तु हमारे लगातार प्रयासों के बाद भी इन लोगों को वापस लाने में सरकार द्वारा की जा रही अनदेखी के बाद हमने इस मुद्दे को नेटवर्क-10 टीवी तथा देवभूमिसंवाद.कॉम के माध्यम से मीडिया/सोशल मीडिया में जोरशोर से उठाया। जिसके बाद 9 जुलाई को राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी ने इस मुद्दे को लेकर नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी से बात की। हरदीप पुरी ने उनको आश्वासन दिया और 12 जुलाई से 26 जुलाई तक चार्टर्स की अनुमति मिल गयी। जिसके बाद फाइनली 12 जुलाई को कुमाऊँ व देहरादून के 70 लोगों को तथा 13 जुलाई को टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग के 151 लोगों को दिल्ली पहुँचाया गया। जिसके बाद उत्तराखंड में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से वार्ता कर पहले चरण में दुबई से लौटे कुल 221 प्रवासियों को उत्तराखंड परिवहन की बसों द्वारा उनके गंतव्य स्थानों तक भेजा गया। इसके बाद दूसरे चरण में 22 जुलाई को बाकी बचे हुए 109 प्रवासियों को तीसरा चार्टर बुक करके भारत बुलाया गया, और यहाँ से 6 बसों द्वारा उनके गृह जनपदों तक छोड़ा गया। इस तरह दीपक ध्यानी और उनकी टीम ने दुबई में फंसे टिहरी गढ़वाल के 132, पौड़ी गढ़वाल के 17, चमोली के 13, रुद्रप्रयाग के 36, उत्तरकाशी के 11, देहरादून के 44, हरद्वार के 01, अल्मोड़ा के 07, बागेश्वर के 27, चंपावत के 01, नैनीताल के 17, पिथौरागढ़ के 07 और उधमसिंह नगर के 01 सहित कुल 330 प्रवासी उत्तराखंडियों को 3 चार्टर फ्लाइट से दुबई से पहले दिल्ली और फिर दिल्ली से 17 बसों के माध्यम से उनके गृह जनपदों तक सकुशल पहुँचाया। दीपक ध्यानी के इस भागीरथ प्रयास में उनकी पूरी टीम सहयोग रहा।