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देहरादून : राजकीय शिक्षक संघ के पूर्व मण्डलीय मंत्री शिव सिंह नेगी ने प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय तथा शिक्षा विभाग (उत्तराखंड) को पत्र लिखकर शिक्षकों की विभिन्न समस्याओं से अवगत कराने के साथ ही एलटी से प्रवक्ता पदों पर हुई पदोन्नति में विसंगतिया दूर करने की मांग की हैं। इसके साथ ही उन्होंने विसंगतिया को दूर करने के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं।

  1. प्रवक्ता पदों पर निर्गत पदोन्नति सूची में तमाम विसंगतियां मसलन सेवानिवृत्त शिक्षकों, उत्तर प्रदेश के लिए कार्यमुक्त शिक्षकों, स्वर्गीय अथवा प्रधानाध्यापक पदों पर पदोन्नत हुए शिक्षकों के नाम भी सम्मिलित हैं। परिणाम स्वरूप तमाम कार्यरत और पात्र शिक्षकों को पदोन्नति से वंचित होना पड़ा है। इन्हीं विसंगतियों के कारण वास्तविक पदोन्नति संख्या और समाचार पत्रों में प्रकाशित की गई संख्या में भारी अंतर है। पदोन्नति विषयक प्रस्तावित ब्रॉड शीट से उक्त अपात्र शिक्षकों को हटाकर कार्यरत पात्र शिक्षकों को पदोन्नति देकर शिक्षकों को न्याय प्रदान किया जा सकता है।
  2. प्रवक्ता पदों पर पदोन्नति सूची में अधिकांश शिक्षकों की पदोन्नति 21 वर्ष पूर्ण कर अथवा ठीक 22 वर्ष से कुछ माह पूर्व हुई है। जिससे उन्हें प्रोन्नत वेतनमान प्राप्त होने से वंचित होना पड़ रहा है। स्थिति यह भी निर्मित हो रही है कि प्रवक्ता वेतनमान में उक्त उल्लिखित शिक्षक चयन वेतनमान की अवधि (10 वर्ष) पूर्ण होने से पहले ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं। इन परिस्थितियों के चलते दीर्घ और संतोषजनक सेवा करने के उपरांत भी शिक्षक बड़ी आर्थिक हानि और मानसिक वेदना का सामना करने के लिए मजबूर हैं।

उक्त विसंगतियों के समाधान हेतु उन्होंने सुझाव दिए हैं
(a) आर्थिक हानि से पीड़ित पदोन्नत शिक्षक को प्रोन्नत वेतनमान अनुनय किए जाने के पश्चात कार्यभार ग्रहण करने की सुविधा प्रदान की जाये।
(b) प्रोन्नत वेतनमान हेतु निर्धारित अवधि (22 वर्ष) के लिए एलटी और प्रवक्ता पद पर की गई सेवा को जोड़ते हुए गणना की जाये।

 

  1. वर्तमान में सरकार के समुचित प्रयासों के बावजूद भी कोरोना महामारी के चलते सामान्य परिस्थितियों बहाल होने में अनिश्चितता बनी हुई है। ऐसी परिस्थिति में ऑनलाइन स्थानांतरण प्रक्रिया आरंभ की जाए। ताकि वर्षों से दुर्गम और सुविधाजनक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को भी सुगम विद्यालयों में योगदान देने का अवसर प्राप्त हो सके।
  2. प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्य पदों पर पदोन्नति प्रक्रिया आरंभ की जाए।