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देहरादून: उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में अब लोकगीतों की धुने भी पढ़ाई का हिस्सा बनने जा रही हैं। उत्तराखंड के पर्यटन, पर्यावरण सहित अनेक विषयों की जानकारी अब शिक्षक गढ़वाली, कुमाउनी और जौनसारी सहित सभी लोक धुनों पर गाकर सिखाते नजर आएंगे। इस विषय पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (SCERT) द्वारा 26 फरवरी से 2 मार्च 2019 तक देहरादून के राजपुर रोड़ स्थित केंद्र पर पांच दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में विशेषज्ञों ने गीत-संगीत के साथ डिजिटल सामग्री तैयार की। SCERT प्रवक्ता डॉक्टर नंदकिशोर हटवाल ने बताया कि लोक धुनों पर केंद्रित डिजिटल सामग्री को तैयार करना शुरु कर दिया गया है। इसे कक्षा 1 से 8वीं तक के छात्रों के लिए तैयार किया गया है। पहले चरण में गढ़वाल के लिए सामग्री तैयारी की गई हैं। उसके बाद कुमाऊनी एवं जौनसारी बोलियों में इसे तैयार किया जाएगा। इसके बाद लिखित एवं ऑडियो सामग्री को विभागीय पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। जहाँ से इसे शिक्षक मोबाइल पर भी डाउनलोड कर सकते हैं। शनिवार को SCERT देहरादून में गीतों के माध्यम से नवाचार पर आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला का सफल समापन किया गया।

इस तरह होंगे गीत:

राज्य की जनजातियां, उत्तराखंड मेरी भूमि महान, भूमि महान या स्वर्ग समान, पांच प्रमुख जनजाति यख, छिन जाति महान। बोक्सा, थारू, बनरौत, भोटिया छिन जौनसारी जनजाति। हमारी धीरू, भीरू, कर्मठ, ज्ञानी, छिन सीमा का प्रहरी भी।

राज्य का प्रमुख नगर:

उत्तराखंड का प्रसिद्ध नगर कु होला, कै सैर, क्या खास बात, आव बिन्यौला बाल मिठे कि भली रस्याण भाईयों। अल्मोड़ा मां नंदा गोलज्यू तांबा नगरी अल्मोड़ा, काठगोदाम बोलेंदौं कुमौं कु द्वार गढ़वाल मा प्रवेश कोटद्वार।scert-uttarakhand

इन विशेषज्ञ शिक्षकों की रही भागीदारी:

कार्यशाला में शिक्षक शैलेंद्र तिवारी, नवीनचंद्र डिमरी, सुधीर बर्त्वाल, धर्मेंद्र नेगी, मोहन वशिष्ट, डॉ। शैलेश मैथाणी, धीरज शाह, सत्येंद्र गौड़, गिरीश सुंदरियाल, हरीश जुयाल, ओम बधाणी, देवेश जोशी एवं डॉ। प्रीतम अपछयाण ने सामग्री तैयार की। कार्यशाला में अपर निदेशक अजय कुमार नौडियाल, उपनिदेशक प्रदीप रावत, सहायक निदेशक मनोरमा बर्त्वाल, डॉ उमेश चमोला, डॉक्टर रमेश चंद्र पंत सहित अनेक अधिकारी उपस्थित रहे। पांच दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर SCERT की निदेशक सीमा जौनसारी ने शिक्षकों के इस प्रयास की सराहना की।

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