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श्रीनगर गढ़वाल: जगत जननी जगदंबा के छठे रूप में मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. शेर पर सवार मां कात्यायनी सर्व मंगल प्रदान करने वाली देवी है. यह भक्तों का कल्याण तथा दुष्टों का संहार करती हैं. मां कात्यायनी की उपासना से मनुष्य के भीतर सात्विक गुणों का संचार होता है और उसके भीतर विश्व बंधुत्व तथा परोपकार की भावना जागृत होती है. उत्तराखंड के प्रमुख ज्योतिषाचार्य अखिलेश चंद्र चमोला मां कात्यायनी की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि ब्रज की गोपियों ने भगवान कृष्ण का सानिध्य प्राप्त करने के लिए मां कात्यायनी की पूजा की थी. उन्होंने कहा कि ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी मां कात्यायनी को माना जाता है. अखिलेश चंद्र चमोला ने बताया कि महिषासुर के बढ़ते अत्याचार से जब समूचा ब्रह्मांड हाहाकार मचाने लगा कब समस्त देवी देवताओं ने जगत जननी जगदंबा की आराधना की. मां जगदंबा ने ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में जन्म लेकर महिषासुर का वध कर समस्त ब्रह्मांड को भय तथा असुरक्षा से मुक्त कर दिया. श्री चमोला ने कहा कि मां कात्यायनी की पूजा से मनुष्य की समस्त बाधाएं दूर हो जाती हैं और उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. उन्होंने कहा कि यदि लाल वस्त्र धारण कर मां की आराधना की जाए और पूजा में लाल पुष्प हल्दी तथा शहद अर्पित किया जाए तो इसके चमत्कारिक परिणाम मिलते हैं.

 “या देवी सर्वभूतेषु कात्यायनी रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः”