चिकित्सालय

रुद्रप्रयाग: जिला चिकित्सालय में तैनात चिकित्सकों की कार्यप्रणाली पर स्थानीय जनता सवालियां निशान खड़े कर रही हैं। आये दिन मरीजों के साथ अभद्रता करना, चिकित्सालय में दवाईयां उपलब्ध होने के बाद भी डाक्टरों द्वारा मरीजों से दवाईयां बाहरी प्राइवेट मेडिकल स्टोरों से मंगवाना आम बात हो गई है। इतना ही नहीं चिकित्सालय पहुंचने वाले ज्यादातर  मरीजों को श्रीनगर व अन्य अस्पतालों को रेफर किया जाता है। चिकित्सालय प्रबंधन की लचर कार्यप्रणाली के खिलाफ पूर्व में स्थानीय जनता ने आंदोलन भी चलाया था। साथ ही जिलाधिकारी भी कई बार चिकित्सालय का औचक निरीक्षण कर चुके हैं, लेकिन बावजूद इसके चिकित्सालय प्रबंधन और चिकित्सकों की कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं आ पा रहा है।

जिला चिकित्सालय में डाक्टरों के साथ ही आवश्यक उपकरणों की कमी के कारण यहां पहुंचने वाले अधिकांश मरीजों को बाहरी चिकित्सालयों के लिये रेफर किया जाता है। जब कभी भी कोई आपदा आती है या फिर दुर्घटना घटती है तो वहां स्वास्थ्य विभाग की टीम समय पर पहुंचती ही नहीं है। जबकि माकड्रिल के समय तो जिला अस्पताल की टीम सबसे आगे रहती है। कुल मिलाकर देखा जाय तो जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। तमाम दावों के बावजूद भी चिकित्सालय की व्यवस्थाएं नहीं सुधर पा रही हैं। जिस कारण आम जनता के साथ ही मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय जनता ने चेतावनी देते हुये कहा कि यदि जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाओं में सुधार नहीं लाया जाता है तो चिकित्सालय प्रबंधन के खिलाफ उग्र आंदोलन किया जायेगा।

 डीएम ने चिकित्सालय प्रबंधन से तीन घंटे तक की कड़ी पूछताछ

विगत तीन जुलाई को जिला चिकित्सालय में हुई जच्चा-बच्चा की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। स्थानीय जनता महिला को अंतिम समय में रेफर करने वाली महिला चिकित्सक को निलंबित करने के साथ ही जेल भेजने की मांग कर रही है। वहीं जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल अब पूरे मामले में स्वयं कार्यवाही कर रहे हैं। जिलाधिकारी शुक्रवार को जिला चिकित्सालय पहुंचे और लगभग तीन घंटे तक प्रत्येक चिकित्सक और अन्य स्टाफ से पूछताछ की।

दरअसल, विगत तीन जुलाई को प्रसव के दौरान एक महिला को अंतिम समय में महिला की देख-रेख कर रही चिकित्सक ने बेस चिकित्सालय श्रीनगर के लिये रेफर कर दिया था। श्रीनगर चिकित्सालय पहुंचने से पूर्व ही महिला ने रास्ते में दम तोड़ दिया था। पोस्टमार्टम  रिपोर्ट में भी खुलासा हुआ है कि महिला की बच्चेदानी फट गयी थी। महिला की मौत के बाद परिजनों ने जिला चिकित्सालय में जमकर हंगामा किया था। जिसके बाद पूरे घटनाक्रम की मजिस्ट्रेटी जांच होने के निर्देश दिये गये थे। अब खुद जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने मामले को अपने हाथ में ले लिया है। शुक्रवार को जिलाधिकारी जिला चिकित्सालय पहुंचे और लगभग तीन घंटे से गहनता से पूछताछ की। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। जांच कमेटी का गठन किया गया है। महिला चिकित्सक, मुख्य चिकित्साधिकारी एवं अन्य स्टाफ से पूछताछ की जा रही है। शीघ्र ही जांच सामने आ जायेगी और दोषियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्यवाही की जायेगी।