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इस बार अधिक मास होने के कारण ठीक एक माह पश्चात शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहे हैं। अष्टमी और नवमी एक ही दिन 24 अक्टूबर को और विजयादशमी 25 अक्टूबर को होगी।

राजकीय इंटरमीडिएट कालेज आईडीपीएल के संस्कृत प्रवक्ता आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने बताया कि यद्यपि श्राद्ध पक्ष के खत्म होते ही शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो जाता था, परंतु इस बार अधिक मास होने से ठीक 1 महीने पश्चात कल 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो रहा है। काफी वर्ष बाद यह स्थिति आ रही है जब अष्टमी और नवमी एक ही दिन मनाए जाएंगे।

डॉक्टर घिल्डियाल के अनुसार कलश स्थापना के लिए सुबह 6:23 से 9:37 तक का समय सर्वोत्तम है। इसके बाद 11:27 से 12 : 40 तक का समय भी उत्तम है। जौ को अगली रात्रि में भिगोकर रख दें और सुबह कलश स्थापन करने के बाद बोना चाहिए। पहले दिन के पूजन में घी, शहद, गोमूत्र आदि से बने हुए पंचामृत से मां दुर्गा की मूर्ति का स्नान कराएं। बटुक भैरव का पूजन करें, गुलगुले का प्रसाद चढ़ाएं तो सभी फलों की प्राप्ति होती है।

ज्योतिष वैज्ञानिक की उपाधि से सम्मानित आचार्य घिल्डियाल विश्लेषण करते हुए बताते हैं कि नवरात्र के 9 दिनों में नव ग्रहों की शांति के लिए सर्वोत्तम होते हैं।

  • पहले दिन यानी 17 तारीख को सूर्य ग्रह की शांति शैलपुत्री के पूजन से हो, जिन लोगों को सिर दर्द माइग्रेन की समस्या रहती है वह ठीक हो जाती है।
  • 18 तारीख को ब्रह्मचारिणी का पूजन और मन के स्वामी चंद्रमा ग्रह की शांति दूध और फूल से माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से मानसिक रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
  • 19 तारीख को तृतीय नवरात्र चंद्रघंटा की पूजा और भूमि पुत्र मंगल ग्रह की शांति के लिए सर्वोत्तम इस दिन बटुक भैरव का विशेष पूजन करें गुड़हल के लाल फूलों से पूजा करने से अभीष्ट की सिद्धि होगी।
  • 20 तारीख चतुर्थ नवरात्र मां कुष्मांडा और बुध ग्रह की शांति नसों संबंधी बीमारियां त्वचा संबंधी बीमारियां दूर होती हैं, उस दिन बैंगनी रंग के फूलों से पूजन करें तो सर्वोत्तम फल की प्राप्ति होती है।
  • 21 तारीख को पांचवा नवरात्र स्कंदमाता का पूजन और बृहस्पति ग्रह की शांति के लिए केले के फल देवी को अर्पित करें बेल के पत्ते और फलों से पूजन करने से भाग्योदय होता है।
  • 22 तारीख को मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली कात्यायनी देवी का पूजन होगा जिन लड़कियों के विवाह में विलंब हो रहा है वह इस दिन गुड़हल के फूलों से देवी की आराधना करें अवश्य मनोकामना पूर्ण होगी और जिन लड़कों की शादी में अड़चन है अथवा वैवाहिक जीवन परेशानी युक्त चल रहा है वह शुक्र ग्रह की शांति करें।
  • 23 तारीख को सातवां नवरात्र अर्ध रात्रि को कालरात्रि का विशेष पूजन करने से आंतों संबंधी रोग पेट संबंधी हृदय संबंधी रोगों का उपचार होता है और शनि ग्रह की शांति होती है।
  • आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं श्रीमद् देवी भागवत पुराण के अनुसार जिस दिन नवमी युक्त अष्टमी हो उसी दिन महा अष्टमी का व्रत होता है इसलिए 24 अक्टूबर को ही कन्या पूजन और महा अष्टमी का व्रत रहेगा तथा उत्तरार्ध व्यापिनी नवमी होने से इसी दिन महानवमी का व्रत भी रहेगा।
  • 25 अक्टूबर को अपराहन व्यापिनी दशमी तिथि होने से इसे दिन विजयादशमी दशहरा का पर्व मनाया जाना शास्त्र सम्मत है उन्होंने बताया शनिवार से नवरात्र प्रारंभ होने की वजह से मां दुर्गा इस बार घोड़े के वाहन में आ रही हैं और भैंस वाहन से वापसी करेंगी इसलिए तंत्र मंत्र यंत्र साधना के लिए यह नवरात्र बहुत महत्वपूर्ण है सभी लोग श्रद्धा पूर्वक मां दुर्गा का पूजन करेंगे तो कोरोनावायरस जैसी बीमारियों से छुटकारा शीघ्र मिलेगा।