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आज विश्व बाल दिवस हैं। भारत में करीब डेढ़ लाख बच्चे हृदय रोग के साथ पैदा होते हैं, इनमें से केवल 20,000 शिशुओं के परिवार ही उनका इलाज कराने में सक्षम होते हैं। जो लोग इस इलाज को नहीं करवा सकते उन लोगों पर क्या बीतती होगी, इसका अंदाजा आप नहीं लगा सकते हैं। वे चाहकर भी अपने बच्चे का इलाज नहीं करा पाते हैं।

लेकिन उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के दुर्गम गाँव लिवाड़ी के रहने वाले हर्ष के परिवार के लिए सही मायने में आज का दिन बड़े हर्ष का दिन। उनका हर्ष अब पहाड़ की पगडंडियों, खेत-खलिहानों और खेल-खेलोनों के साथ खेलेगा। हर्ष अपनी माटी से जुड़े बचपन को खुद के साथियों के साथ मंद-मंद कदमों के साथ चलते हुए तय करेगा।

यह सब इसलिए हैं कि जो हर्ष जन्म से हृदय के घातक रोग से पीड़ित था। इस बच्चे के इलाज पर आने वाले खर्च के लिए हर्ष के माता-पिता असर्मथ थे। किसी भी माता-पिता के लिए  इससे बड़ा दु:ख और क्या हो सकता है कि उनका लाडला किसी घातक बीमारी से जीवन संघर्ष कर रहा हो और वह अपने बच्चे के जीवन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हो उस बच्चे को नया जीवन देने के लिए  समाजसेवी माताश्री मंगला जी एवं श्री भोले जी के आशीष से द हंस फाउंडेशन लिटिल हार्ट्स प्रोग्राम के तहत हर्ष का इलाज करवा रहा  है. यही तो माताश्री मंगला जी एवं श्री भोले जी महाराज जी की परिकल्पना है कि देश में हर शिशु को इलाज मिले, वह स्वस्थ्य रहें और खुशहाल रहें, इसी मकसद के साथ दि हंस फाउंडेशन पिछले कई वर्षों से लिटिल हार्ट्स प्रोग्राम चला रहा है।  यह कार्यक्रम उन नन्हें शिशुओं को समर्पित है, जिनके माता-पिता इलाज कराने में आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं। इन्हीं में से एक हैं हर्ष का परिवार।

हर्ष के पिता उपेंद्र और माँ रविंद्ररी देवी की आँखें नम है। इसलिए की द हंस फाउंडेशन के सौजन्य उनका बच्चा अपनी अठखेलियाँ खेल रहा है। हर्ष के पिता जी नम आँखों से बताते कि हमने कभी सोचा भी नहीं था कि हमारा बेटा इन संघर्षों से निकलते हुए। अपने बचपन को इस तरह से फिर से खेलेगा।

हर्ष की माँ माताश्री मंगला जी एवं श्री भोले जी महाराज जी,द हंस फाउंडेशन और उन सभी डाक्टरों का आभार प्रकट करते हुए बताती है कि द हंस फाउंडेशन और माताश्री मंगला जी एवं श्री भोले जी महाराज हमारे लिए देव समाना है। जिन्होंने हमारे बच्चे को नया जीवन दिया है। हमारे बच्चे के इलाज पर आया पूरा खर्चा द हंस फाउंडेशन ने उठाया है।

आपको बता दें की उत्तरकाशी जिले के दुर्गम गाँव जहाँ आज के समय में लोगों के आवागमन के लिए सड़क तक मयसर नहीं है…उस गाँव तक हंस फाउंडेशन पहुँचता है और जन्म से हृदय के घातक रोग से पीड़ित हर्ष का इलाज माताश्री मंगला जी एवं श्री भोले जी महाराज जी के आशीर्वाद एवं द हंस फाउंडेशन के तत्वावधान में लिटिल हार्ट्स प्रोग्राम के तहत दिल्ली के अस्पताल में होता है। असल में यही मानव सेवा का मार्ग है।