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गुप्तकाशी: उत्तराखण्ड के केदारघाटी की उभरती हुई प्रतिभा रचना सेमवाल का बाबा केदारनाथ पर आधारित भजन ऊंचा केदार मां भोला बिराज्यां आजकल यू ट्यूब पर खूब धमाल मचा रहा है। गढ़वाली तथा संस्कृत भाषा पर आधारित यह भजन लोगों को खूब पसंद आ रहा है। केवल गढ़वाली ही नहीं, बल्कि संस्कृत भाषा के प्रेमी भी इस भजन के मुरीद बन गये हैं। भजन की विशेषता यह है कि गढ़वाली भाषा के बोल के साथ ही शिव ताण्डव स्तोत्र: जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले का सामंजस्य भजन को अधिक कर्णप्रिय और आध्यात्मिक बना रहा है।

मूलतः फली पसालत गांव की रचना सेमवाल देश के विभिन्न राज्यों में विभिन्न भाषाओं पर आधारित गीतों तथा नाट्यों का मंचन कर वाहवाही लूट चुकी है। कई कार्यक्रमों देने के बाद आखिरकर गढ़वाली भाषा पर बाबा केदारनाथ की स्तुति तथा केदारपुरी के अलौकिक सौन्दर्य का वर्णन करते हुए यह भजन निकाला है। खास बात यह कि उन्होंने इस भजन को खुद के ही चैनल एचआर के माध्यम से लांच भी किया है। रचना वर्तमान में देहरादून में नमामि गंगा प्रोजेक्ट के तहत आठ जनपदों की राज्य समन्वयक है। इसके साथ ही वह खाली वक्त में संगीत भी सीखती हैं। रचना कहती है कि यह भजन उन्होंने केदारनाथ त्रासदी में काल कलवित हुए अपने पिताजी स्वर्गीय प्रवीन सेमवाल को श्रद्धांजली के रूप में समर्पित किया है। वे कहती हैं, कि भविष्य में वह गढ़वाली भाषा के विस्तार तथा संस्कृति के संरक्षण तथा संवर्द्धन की दिशा में कार्य करना चाहती है। शास्त्रीय संगीत में निपुण रचना कहती है कि अन्य जागरूक संस्कृति प्रेमी लोगों को भी इस दिशा में कार्य करने चाहिए, ताकि देश-विदेश में प्रचुर मात्रा में गढ़वाल संस्कृति का प्रचार तथा प्रसार हो सके।

यूटयूब के सौजन्य से आप यह भजन सुन सकते हैं.