uttarkashi jila sahkari bank

उत्तरकाशी : जनपद के सुदूरवर्ती रायमेर (रातलधार) स्थित 30 वर्ष पुराने उत्तरकाशी जिला सहकारी बैंक की शाखा को अचानक यहां से 10 किलोमीटर दूर धौंतरी कस्बे में शिफ्ट करने को लेकर स्थानीय लोगों में जबरदस्त रोष है। सोमवार को गाजणा क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने इस सम्बंध में जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर किया सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया।  स्थानीय लोगों का कहना है कि गाज़णा क्षेत्र के 22 गाँव और उपलि रमोलि टिहरी गढ़वाल के तक़रीबन 10 गाँवों की प्राथमिक लेनदेंन के लिए रायमेर रतलधार मे पिछले 30 वर्षों से चल रहा यह एकमात्र ज़िला सहकारी बैक लि० की शाखा है। जिस सदी में लोग बैंक का लेनदेंन सरकारी पैसा छोड़कर व्यक्तिगत प्रचलन 1% होता था आज उसी शाखा में 90% बैंकिंग जैसे छात्रवृति, मनरेगा मज़दूरी,पेंशन, वेतन, प्रधानमंत्री किसान योजना, गैस सब्सिडी आदि लेन देंन इसी बैंक द्वारा ही किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार, ज़िला प्रशासन द्वारा बैंक को इस पहाड़ी क्षेत्र से 10 किलोमीटर दूर धौंन्तरी में शिफ्ट करने का प्रस्ताव किया जा रहा है, जिससे कि स्थानीय जनता को बैंकिंग का लाभ नही मिलेगा और बैंक दूर हो जाने के कारण बुजुर्ग, विकलांग, असहाय, लोग बैंक सेवा से वंचित रह जाएँगे और डिजिटल इंडिया बनाने में मोदी सरकार का सपना हवा हवाई साबित होगा। जबकि धरातल की रिपोर्ट, राज्य सरकार और ज़िला प्रशासन द्वारा सामने आ गयी। बुजुर्ग, विधवा महिलाएं, विकलांग, आदि लोग अपनी पेंशन निकालने के लिए आते हैं, कभी 500 कभी 1000 रुपए, अपनी जरूरत के हिसाब से लेनदेन करते हैं। लोगों का कहना है कि बैंक घर के नजदीक होने पर कम खर्चे में आना जाना हो जाता है। लेकिन बैंक प्रशासन तथा जिला प्रशासन के द्वारा इसे अन्य जगह स्थानान्तरण कर दिया जा रहा है जिस पर स्थानीय लोगो ने विरोध जताया है।

वही जिला सहकारी बैंक उत्तरकाशी के अध्यक्ष विक्रम सिंह रावत ने बताया कि रातल धार स्थित बैंक की यह शाखा 1983 में खोली गई थी और तब से आज तक यह शाखा घाटे में चल रही है। जिसकी भरपाई के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइडलाइंस के अनुसार इसे अन्यत्र शिफ्ट करना बेहद जरूरी हो गया है। जिसके बाद स्थानीय लोगों की समस्याओं को देखते हुए इसे आसपास के इलाके में 10 किलोमीटर दूर धौंतरी कस्बे में शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया है। वर्तमान परिस्थितियों में ग्रामीणों के विरोध के बाद डीएम उत्तरकाशी ने एक जांच कमेटी बनाई है जो अपने निर्णय देगी। हालांकि उन्होंने कहा कि बैंक की प्रबंध कार्यकारिणी इस संबंध में शिफ्टिंग के निर्देश पहले ही दे चुकी है। क्योंकि लगातार घाटे के बाद भी यदि शाखा को शिफ्ट नहीं किया गया तो आरबीआई की तरफ से पेनाल्टी का भुगतान करना होगा। फिलहाल मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है और आने वाले समय का इंतजार करना पड़ेगा कि चुनाव से पहले ऊंट किस करवट बैठता है।