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नोएडा : कोरोना संकट काल के चलते करीब सालभर तक ठप्प रहे सांस्कृतिक/सामाजिक आयोजनों के बाद पहली बार नोएडा हाट में आयोजित उत्तराखंड बसंतोत्सव में अपनी गायकी का जलवा बिखेरने पहुंचे मशहूर लोक गायक किशन महिपाल ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान पहाड़ के लोक कलाकारों के प्रति प्रदेश सरकार के रवये को लेकर खुलकर बातचीत की।

लोक गायकी के साथ-साथ अपने बेबाक बोल के लिए जाने जाने वाले उत्तराखंड के लोक गायक किशन महिपाल प्रदेश सरकार द्वारा लोक कलाकारों की अनदेखी को लेकर बेहद आहत नजर आये। उन्होंने कहा कि सरकार की नजर में पहाड़ की लोक संस्कृति के संवाहक कहे जाने वाले लोक कलाकारों की हैसियत एक दिहाड़ी मजदूर से भी कम है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की लोक संस्कृति देश-विदेशों में पहचान दिलाने वाले लोक कलाकारों की आय का एकमात्र जरिया सांस्कृतिक कार्यक्रम ही हैं, ऐसे में जब गत वर्ष कोरोना रूप वैश्विक आपदा आई तो कलाकारों के लिए सारे दरवाजे बंद हो गए। जिसके चलते सांस्कृतिक कार्यक्रम के द्वारा अपनी आजीविका चलाने वाले हम सभी लोक कलाकारों पर जबरदस्त आर्थिक संकट आ गया। उन्होंने बताया कि किसी भी स्टेज शो के दौरान एक लोक गायक के साथ म्यूजिक, डांस, कोरस सहित करीब 25 से 30 अन्य कलाकार जुड़े रहते हैं। जिनके हिस्से में बहुत कम धनराशि आ पाती है। ऐसे में कोरोना महामारी के चलते तो उनकी आर्थिक स्थिति काफी ख़राब हो गई थी। संकट की इस घड़ी में राज्य सरकार इन भी प्रदेश की संस्कृति को जीवित रखने व उसकी पहचान को कायम रखने वाले इन लोक कलाकारों की सुध लेनी भूल गई। हालाँकि आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोक कलाकारों द्वारा जब राज्य सरकार तक अपनी बात पहुंचाई गई तो सरकार द्वारा उनकी मदद के लिए मात्र एक हजार रूपये की धनराशि जारी की गई। उन्होंने सरकार द्वारा कलाकारों को जारी की गई एक हजार रुपयों की आर्थिक मदद को कलाकारों का उपहास बताया गया। उन्होंने कहा कि सरकार की नजर में एक लोक कलाकार की हैसियत एक दिहाड़ी मजदूर के ज्यादा नहीं है। ऐसे में सरकार से उम्मीद रखना बेमानी होगी।

हालाँकि उन्होंने साफ किया कि मै किसी सरकार के खिलाफ नहीं हूँ परन्तु आहत जरुर हूँ। इसलिए यह बात मै केवल एक सरकार के लिए ही नहीं बोल रहा हूँ, बल्कि उत्तराखंड में अब तक जितनी भी सरकारें आई हैं सभी का नजरिया कलाकारों के लेकर एक जैसा ही रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में कुछ सामाजिक संस्थाओं/ संगठनों ने जरुर कलाकारों की मदद की। उन्होंने बताया कि स्वयं मैंने उस दौरान कई साथी कलाकारों की आर्थिक मदद की।

हमारे संवाददाता जगमोहन डांगी ने जब किशन महिपाल से पूछा कि आपके साथ से ही एक लोक कलाकार आज उत्तराखंड सरकार के संस्कृति साहित्य एवं कला परिषद में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री हैं। क्या उन्होंने कलाकारों के लिए कुछ नहीं किया। इस पर किशन महिपाल का कहना था कि वे अब कलाकार से मंत्री बन चुके हैं इसलिए वे भी सरकार की ही तरह सोचते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब धीरे-धीरे कोरोना का संकट ख़त्म हो रहा है तो फिर से कलाकारों की रोजी रोटी चलने लगेगी। उन्होंने मीडिया के माध्यम से राज्य सरकार से अपील करते हुए कहा कि पहाड़ की परम्पराओ व लोक संस्कृति को अंतर्रराष्ट्रीय मंचो तक पहुँचाने वाले इन कलाकारों के बारे में अवश्य सोचे।

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