rahul-gandhi-tea-politics

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

विपक्ष का नेतृत्व संभालने के लिए एनसीपी चीफ शरद पवार, टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कुछ महीनों से अपने आप को ‘तैयार’ करने में लगे हुए हैं। पिछले दिनों ममता बनर्जी ने अपने पांच दिनी दिल्ली दौरे पर आकर विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात की थी। ऐसे ही मानसून सत्र के दौरान शरद पवार लगातार दिल्ली में ‘सक्रिय’ हैं।  ‘राजनीति के मैदान में पवार एक ऐसे नेता है जब वे किसी से मुलाकात करते हैं तो सियासी तापमान गर्म होने के साथ अटकलों का दौर भी शुरू हो जाता है’।

आज भी शरद पवार ने गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव से मुलाकात कर सरगर्मियां बढ़ा दी है। फिलहाल ‘एनसीपी प्रमुख पवार के मन में क्या है, सियासत के जानकार भी समझ नहीं सके हैं’। पवार और ममता की मोदी सरकार के खिलाफ जारी मोर्चाबंदी और अपना विपक्षी नेताओं में बढ़ते ‘कद’ को लेकर कांग्रेस पार्टी ‘बेचैन’ होने लगी थी। इसी को लेकर कांग्रेस हाईकमान के रणनीतिकारों ने आज राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों को सुबह की ‘चाय’ पर बुलाया था। वैसे इस बैठक का उद्देश्य पेगासस फोन जासूसी मामले में कांग्रेस को मोदी सरकार के खिलाफ ‘एकजुट’ करना था। इसके अलावा राहुल गांधी ने विपक्षी पार्टियों को यह भी संदेश दिया गया कि कांग्रेस ही केंद्र सरकार को घेरने के लिए सबसे मजबूत विकल्प रहेगी।

बता दें कि पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपने आंतरिक कलह से जूझ रही कांग्रेस पार्टी को राहुल एकजुट करने में लगे हुए हैं वहीं दूसरी ओर उन्होंने विपक्ष को भी अपने साथ ‘गोलबंद’ करने की कोशिश शुरू कर दी है। दूसरी ओर राहुल ने मोदी सरकार के खिलाफ 14 विपक्षी दलों को एक साथ लाकर अपनी भी ‘ताकत’ बढ़ा ली है। दिल्ली के कॉस्टीट्यूशन क्लब में हुई इस बैठक में एनसीपी, शिवसेना, सीपीआई, सीपीआई-एम, राजद, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, जेएमएम, आरएसपी, नेशनल कांफ्रेंस सहित विपक्ष के प्रमुख दलों के नेता मौजूद रहे।

इस दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा ‘इस बैठक का एक मात्र एजेंडा यह है कि हम सब को एक होना है। जितनी हमारी आवाज एक होगी उतना ही भाजपा और आरएसएस के लिए हमारी आवाज को दबाना मुश्किल होगा’। यहां आपको बता दें कि राहुल गांधी के बुलाए गए विपक्षी दलों में बहुजन समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी नहीं पहुंची। राहुल गांधी के बुलावे पर बसपा प्रमुख मायावती और अरविंद केजरीवाल के न पहुंचने पर यूपी विधानसभा में होने वाले चुनाव हैं। केजरीवाल और मायावती यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से बिना गठबंधन के ही मैदान में उतरना चाहते हैं। वहीं आज ममता की पार्टी भी इस बार राहुल गांधी के बुलावे पर आई। कांग्रेस की पिछली बैठक से तृणमूल पार्टी नदारद थी लेकिन इस बार ममता की पार्टी के नेता भी शामिल हुए। इसके अलावा एनसीपी चीफ शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले भी मौजूद रहीं।

चाय नाश्ते के बाद विपक्षी नेताओं का साथ पाकर राहुल गांधी को ‘ऑक्सीजन’ मिल गई। उसके बाद राहुल गांधी विपक्षी नेताओं के साथ साइकिल से ही मोदी सरकार का घेराव करने के लिए संसद तक निकल पड़े। पेगासस जासूसी कांड, कृषि कानून, महंगाई समेत कई मुद्दों पर राहुल गांधी में भाजपा सरकार के खिलाफ आवाज ‘बुलंद’ की। उसके बाद गांधी ने ट्विटर पर भी मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने लिखा कि ‘ना हमारे चेहरे जरूरी हैं, ना हमारे नाम, बस ये जरूरी है कि हम जन प्रतिनिधि हैं, हर एक चेहरे में देश की जनता के करोड़ों चेहरे हैं जो महंगाई से परेशान हैं। यही हैं अच्छे दिन?’ राहुल गांधी का मंगलवार का दिन सियासी दृष्टि से ‘मंगलकारी’ रहा।