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शंभू नाथ गौतम

मानसून सत्र का समापन हो चुका है, लेकिन विपक्ष और केंद्र सरकार की लड़ाई अब संसद से‌ निकलकर ‘सड़क’ पर आ गई है। दोनों ओर से वार-पलटवार शुरू हो गया है। दिल्ली की सड़कों पर सुबह से लेकर शाम तक सियासी संग्राम होता रहा। 19 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र अपने तय समय से पहले खत्म करना पड़ा। 13 अगस्त तक चलने वाली संसद की कार्यवाही को दो दिन पहले 11 अगस्त को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना पड़ा। ‘सत्र के इन 23 दिनों में पेगासस फोन जासूसी और किसानों के मुद्दे को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच शोर-शराबा, हंगामा, नारेबाजी और धक्का-मुक्की होती रही’।

राज्यसभा की कार्यवाही के आखिरी दिन बुधवार को हंगामे के दौरान विपक्षी सांसदों को मार्शलों (गार्ड) के धक्का-मुक्की करने के बाद ‘जंग’ और तेज हो चुकी है। ‌‌‌‌‌कांग्रेस समेत कुछ महिला विपक्षी सांसदों ने मार्शलों पर ‘बदसलूकी’ का आरोप लगाया है। राहुल गांधी ने कहा कि राज्यसभा में पहली बार सांसदों को ‘पीटा’ गया। राहुल के अलावा शिवसेना, एनसीपी, राजद, समाजवादी पार्टी, डीएमके व अन्य विपक्षी दलों ने भी कहा कि राज्यसभा में ‘लोकतंत्र की हत्या’ की गई। गुरुवार को राहुल गांधी के नेतृत्व में 15 विपक्षी दलों ने संसद से विजय चौक तक पैदल मार्च भी निकाला है। अब उस घटना की तस्वीरें सामने आई है, जिसे लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमला कर रहा है। ‘कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि हमने पेगासस का मुद्दा उठाया।

सरकार से कहा कि इस पर बहस की जाए, पर सरकार ने डिबेट से मना कर दिया, हमें संसद में नहीं बोलने दिया गया’। वहीं विपक्षी दल के नेता मार्च के बाद राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू से मिलने पहुंचे। एनसीपी मुखिया शरद पवार ने ट्वीट कर कहा कि राज्यसभा में हंगामे पर चिंता व्यक्त करने के लिए विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने इस बैठक के दौरान सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के अलोकतांत्रिक व्यवहार की निंदा की। ‘पवार ने कहा कि अपने पचपन साल की राजनीति में मैंने सदन में महिला सांसदों के प्रति इस तरह का व्यवहार कभी नहीं देखा, यह लोकतंत्र पर हमला है’।

उपराष्ट्रपति नायडू से मुलाकात के पहले विपक्षी नेताओं की बैठक में मलिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश एवं आनंद शर्मा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव, द्रमुक के टी आर बालू, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा और कई अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए।

मोदी सरकार के खिलाफ आगे भी विपक्षी नेताओं को एकजुट रखना चाहती है कांग्रेस

बता दें कि अब देश की जनता को विपक्ष और मोदी सरकार यह दिखाना चाहते हैं कि ‘गलती’ किसकी थी। कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद की कार्यवाही न चलने देने को लेकर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों पर आरोप लगाए थे। पीएम मोदी ने अपने मंत्रियों और सांसदों से कहा था कि देश की जनता को विपक्ष के कारनामे के बारे में बताया जाए। वहीं दूसरी ओर मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस विपक्ष को एकजुट करने में सफल रही है।

राहुल गांधी आगे भी चाहते हैं कि मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष ऐसे ही एकजुट रहें। इसी को लेकर पिछले दिनों राहुल गांधी ने 14 विपक्षी नेताओं के साथ ‘टी पार्टी’ भी बुलाई थी। उसके बाद राहुल गांधी विपक्षी नेताओं के साथ संसद तक किसानों और महंगाई के मुद्दों को लेकर साइकिल मार्च पर निकले और केंद्र सरकार पर हमला बोला। उसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल की भी ‘डिनर पार्टी’ में कांग्रेस के जी 23 नेताओं के अलावा अधिकांश विपक्षी दलों के नेता भी शामिल हुए। सिब्बल ने इस बैठक में केंद्र सरकार के खिलाफ सभी को एकजुट रहने का आह्वान भी किया।

बता दें कि इस पूरे सत्र में राहुल गांधी पूरी तरह ‘एक्टिव’ नजर आए वहीं अब कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी भी विपक्षी एकजुटता को आगे भी बनाए रखने की कोशिश में जुट गई हैं। सोनिया ने 20 अगस्त को विपक्षी दलों के नेताओं की एक मीटिंग बुलाई है इसमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे, एनसीपी चीफ शरद पवार, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत कई दूसरे नेताओं को इस मीटिंग में बुलाया गया है। बता दें कि अगले साल यूपी समेत कई राज्यों में चुनाव है और आगामी लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस विपक्षी दलों को साथ लेकर बड़ी भूमिका निभाने की तैयारी कर रही है।

विपक्ष को जवाब देने के लिए आठ केंद्रीय मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर संभाला मोर्चा–

राज्यसभा के आखिरी दिन बुधवार को संसद में हंगामे के बाद हुई धक्का-मुक्की की तस्वीर, वीडियो वायरल  होने और विपक्षी नेताओं के सड़क पर भाजपा सरकार के पैदल मार्च निकालने के बाद केंद्र सरकार भी ‘आक्रामक’ हो गई है। मालूम हो कि दो दिन पहले ‘राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा था कि वह संसद में मानसून सत्र के दौरान विपक्षी सांसदों के नारेबाजी और आचरण से पूरी रात सो नहीं सके थे, इस दौरान उपराष्ट्रपति नायडू भावुक भी हो गए थे’। इसी को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता नायडू से मुलाकात कर रहे हैं। विपक्षी सांसदों के बाद केंद्रीय मंत्रियों ने भी राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू से मुलाकात की।

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल और उपनेता मुख्तार अब्बास नकवी ने नायडू से उनके आधिकारिक आवास पर मिलने पहुंचे। उसके बाद विपक्ष को जवाब देने के लिए पहली बार मोदी सरकार के आठ मंत्रियों ने गुरुवार दोपहर मोर्चा संभाला। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, प्रहलाद जोशी, मुख्तार अब्बास नकवी, धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, अनुराग ठाकुर, अर्जुन मेघवाल, वी मुरलीधरन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान सड़क से संसद तक विपक्ष ने अराजकता फैला रखी है। पूरे विपक्ष को देश से माफी मांगनी चाहिए। इसके बाद बारी बारी से  केंद्रीय मंत्रियों ने विपक्ष पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि संसद की गरिमा और मर्यादा को विपक्ष के नेताओं ने तार-तार कर दिया है। फिलहाल पूरे सत्र के दौरान दोनों ओर से देश की जनता को जवाब देने का प्रयास किया जा रहा है कि कौन सही है कौन गलत। लेकिन अभी जिस प्रकार आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं उसे देखते हुए कांग्रेस और सत्ता पक्ष के बीच फिलहाल यह सियासी जंग थमती हुई नहीं दिख रही है ।