somnath-temple-history

सोमनाथ मन्दिर : आज हम एक ऐसे विश्व प्रसिद्ध मंदिर के बारे में बात करेंगे जिसके बारे में आपने इतिहास और सामान्य ज्ञान की किताबों में जरूर पढ़ा होगा। यही नहीं यह मंदिर इतिहास भी समेटे हुए हैं। आस्था के साथ इस मंदिर को लूटपाट के लिए भी जाना जाता है। आज चर्चा करेंगे गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर की।

बता दें कि ‘गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित सोमनाथ मंदिर की गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। इस मंदिर की भव्यता ही कुछ ऐसी है कि यहां लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालुओं के साथ सैलानी भी आते हैं’। ये तीर्थस्थान देश के प्राचीनतम तीर्थस्थानों में से एक है और इसका उल्लेख स्कंदपुराणम, श्रीमद्‍भागवत गीता, शिवपुराणम आदि प्राचीन ग्रंथों में है। वहीं ऋग्वेद में भी सोमेश्वर महादेव की महिमा का उल्लेख है। पहले यह क्षेत्र प्रभासक्षेत्र के नाम से जाना जाता था। यहीं भगवान श्री कृष्ण ने जरा नामक व्याध के बाण को निमित्त बनाकर अपनी लीला का संवरण किया था।

आज एक बार फिर सोमनाथ मंदिर सुर्खियों में छाया हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब इस धार्मिक स्थल को ‘हाईटेक सिटी’ के रूप में विकसित करने जा रहे हैं। बता दें कि शुक्रवार 11 बजे पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गुजरात के सोमनाथ में कई प्रोजेक्ट का उद्घाटन और शिलान्यास किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुख्यमंत्री विजय रुपाणी में मौजूद रहे। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में मुझे इस पुण्य स्थान की सेवा का अवसर मिलता रहा है। आज फिर हम सब इस पवित्र तीर्थ के कायाकल्प के साक्षी बन रहे हैं।somnath-temple-history

पीएम मोदी ने इन परियोजनाओं का उद्घाटन और पार्वती मंदिर का किया शिलान्यास

प्रधानमंत्री ने जिन प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया, उनमें सोमनाथ प्रोमेनेड, सोमनाथ एग्जीबिशन सेंटर, पुराने सोमनाथ (जूना) मंदिर परिसर का पुनर्निर्माण शामिल है। सोमनाथ में श्री पार्वती मंदिर का शिलान्यास भी किया। प्रधानमंत्री मोदी सोमनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं। यह ट्रस्ट गिर-सोमनाथ जिले के प्रभास पाटन शहर में स्थित सोमनाथ मंदिर का प्रबंधन करता है।

सोमनाथ में जिन तीन परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया, उनमें पहली परियोजना पैदल मार्ग की है। मंदिर के पीछे समुद्र के किनारे 45 करोड़ रुपये की लागत से करीब दो किलोमीटर लंबा ‘समुद्र दर्शन’ पैदल मार्ग तैयार किया गया है। दूसरी परियोजना मंदिर के पास 75 लाख रुपए में बना एक संग्रहालय है। पर्यटक सुविधा केंद्र के परिसर में बनाए गए सोमनाथ एग्जीबिशन सेंटर में पुराने सोमनाथ मंदिर के खंडित हिस्सों और पुराने सोमनाथ की नागर शैली की मंदिर वास्तुकला वाली मूर्तियों को रखा गया है।

तीसरा प्रोजेक्ट पुराने (जूना) सोमनाथ मंदिर के परिसर का है। इसका पुनर्निमाण श्री सोमनाथ ट्रस्ट ने 3.5 करोड़ रुपए में किया है। इस मंदिर को अहिल्याबाई मंदिर के तौर पर भी जाना जाता है, क्योंकि इसे इंदौर की रानी अहिल्याबाई ने बनवाया था। उस वक्त पुराना मंदिर खंडहर में तब्‍दील हो गया था। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के साथ-साथ इसकी क्षमता बढ़ाने के लिए पुराने मंदिर परिसर को नए सिरे से डेवलप किया गया है। आइए अब सोमनाथ के इतिहास और इस मंदिर में हुई लूट के बारे में जानते हैं।

मुस्लिम शासकों ने सोमनाथ मंदिर में कई बार किए आक्रमण और मचाई लूट

मुस्लिम शासकों और लुटेरों द्वारा इस मंदिर में कई बार आक्रमण और लूटपाट की और नष्ट किया गया। इसके साथ हर बार इसका पुनर्निर्माण कराया गया। यहां हम आपको बता दें कि सोमनाथ में शिव मंदिर वल्लभी के राजाओं के द्वारा 649 ईसवी में बनाया गया था। जिसे 725 ईसवी में सिंध के गवर्नर अल-जुनैद द्वारा नष्ट कर दिया गया था। बाद में गुर्जर प्रतिहार वंश के राजा नागभट्ट द्वितीय द्वारा 815 में तीसरी बार शिव मंदिर का निर्माण किया गया। इस मंदिर का निर्माण लाल बलुआ पत्थरों के द्वारा किया गया था।

बाद में चालुक्य राजा मुलराज द्वारा 997 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया। सोमनाथ मंदिर को वर्ष 1024 में महमूद गजनबी ने तहस-नहस कर दिया था। मूर्ति को तोड़ने से लेकर यहां पर चढ़े सोने-चांदी तक के सभी आभूषणों को लूट लिया गया था। इतना ही नहीं वह हीरे-जवाहरातों को भी लूटकर अपने देश गजनी लेकर चला गया था। साथ ही गजनबी ने यहां के शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास भी किया था। हालांकि, शिवलिंग के न टूटने पर गजनबी ने आसपास आग लगवा दी थी। इसके साथ ही हजारों लोगों की मंदिर की रक्षा करने के दौरान हत्या कर दी गई थी।

महमूद के हमले के बाद राजा कुमारपाल ने साल 1169 में उत्कृष्ट पत्थरों द्वारा इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था। जिसे अलाउद्दीन खिलजी ने गुजरात विजय के दौरान 1299 में नष्ट कर दिया था। इस मंदिर का पुनर्निर्माण सौराष्ट्र के राजा महीपाल ने 1308 में कराया। उसके बाद 1395 में इस मंदिर को एक बार फिर गुजरात के गवर्नर जफर खान द्वार नष्ट कर दिया गया। वहीं गुजरात के शासक महमूद बेगड़ा ने भी इसे अपवित्र कर दिया।

सोमनाथ मंदिर को अंतिम बार 1665 में मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा इस तरह नष्ट कर दिया गया कि इसे फिर से पुनर्निर्माण नहीं किया जा सके। बाद में सोमनाथ मंदिर के स्थान पर 1706 में एक मस्जिद बना दी गई थी। 1950 में मंदिर पुनर्निर्माण के दौरान इस मस्जिद को यहां से हटा दिया गया था। इतिहासकारों के मुताबिक इस मंदिर को 17 बार खंडित करने का प्रयास किया जा चुका है, लेकिन जस का तस खड़ा है। इस मंदिर में अथाह खजाने के चलते हमेशा से ही महमूद गजनवी की इस पर नजर थी। जिसके चलते उसने कई बार मंदिर को लूटने की भी कोशिश की और इसी कोशिश में उसने 17 बार मंदिर को खंडित भी किया।

स्वतंत्र भारत की एक प्रमुख परियोजना में से सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण भी एक रही है। मौजूदा मंदिर का पुनर्निर्माण स्वतंत्रता के बाद लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1951 में करवाया और पहली दिसंबर 1995 में भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया था। बता दें कि जूनागढ़ रियासत को भारत का हिस्सा बनाने के बाद तत्कालीन भारत के गृहमंत्री सरदार पटेल ने जुलाई 1947 में सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया था।

सोमनाथ मंदिर जाने के लिए बस-रेल मार्ग के साथ हवाई वायु सेवा भी उपलब्ध है

बता दें कि सोमनाथ से 55 किलोमीटर स्थित केशोड नामक स्थान से सीधे मुंबई के लिए वायुसेवा है। केशोड और सोमनाथ के बीच बस व टैक्सी सेवा भी है। इसके साथ सोमनाथ के सबसे समीप वेरावल रेलवे स्टेशन है, जो वहां से मात्र सात किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहां से अहमदाबाद व गुजरात के अन्य स्थानों का सीधा संपर्क है। वहीं सोमनाथ वेरावल से 7 किलोमीटर, मुंबई 889 किलोमीटर, अहमदाबाद 400 किलोमीटर, भावनगर 266 किलोमीटर, जूनागढ़ 85 और पोरबंदर से 122 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। पूरे राज्य में इस स्थान के लिए बस सेवा उपलब्ध है। इस स्थान पर तीर्थयात्रियों के लिए गेस्ट हाउस, विश्रामशाला व धर्मशाला की व्यवस्था है। साधारण व किफायती सेवाएं उपलब्ध हैं। वेरावल में भी रुकने की व्यवस्था है। सोमनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए हर साल लाखों की संख्या में तीर्थयात्री पहुंचते हैं।