Pariksha-Par-Charcha

Pariksha pe Charcha : देश में अगले महीने फरवरी से 10वीं और 12वीं की सीबीएसई-आईसीएसई समेत कई राज्यों की बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। ‌इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 5 वर्षों से हर साल परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी बच्चों को परीक्षा संबंधी के अलावा तनाव दूर करने आदि विषयों पर टिप्स देते हैं। राजधानी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आज पीएम मोदी ने 11 बजे परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के दौरान देशभर के विद्यार्थियों से बात की।

दो घंटे तक चले इस कार्यक्रम में मोदी ने परीक्षा और जीवन में तनाव पर बच्चों के सवालों के जवाब दिए। ‘एग्जाम में परिवार की निराशा से कैसे निपटूं’ पर छात्रों को टिप्स दी। पीएम मोदी ने कहा कि परीक्षा पर चर्चा उनकी भी परीक्षा है और देश के कोटि-कोटि विद्यार्थी उनकी परीक्षा ले रहे हैं। उन्होंने कहा, मुझे ये परीक्षा देने में आनंद आता है। परिवारों को अपने बच्चों से उम्मीदें होना स्वाभाविक है, लेकिन अगर यह सिर्फ सामाजिक स्थिति बनाए रखने के लिए है, तो यह खतरनाक हो जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा, सिर्फ परीक्षा के लिए नहीं वैसे भी जीवन में हमें समय के प्रबंधन के प्रति जागरूक रहना चाहिए। काम का ढेर इसलिए हो जाता है क्योंकि समय पर उसे नहीं किया। काम करने की कभी थकान नहीं होती, काम करने से संतोष होता है। काम ना करने से थकान होती है कि इतना काम बचा है।

पीएम ने कहा, एक बार आपने इस बात को स्वीकार कर लिया कि मेरी ये क्षमता है ये स्थिति है तो मुझे इसके अनुकूल चीजें खोजनी होंगी। उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग सामान्य होते हैं, असाधारण लोग बहुत कम होते हैं। सामान्य लोग असामान्य काम करते हैं और जब सामान्य लोग असामान्य काम करते हैं तब वे ऊंचाई पर जाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, मेहनती बच्चों को चिंता रहती है कि मैं मेहनत करता हूं और कुछ लोग चोरी कर अपना काम कर लेते हैं। ये जो मूल्यों में बदलाव आया है ये सामज के लिए खतरनाक है। पीएम मोदी ने कहा कि अब जिंगदी बदल चुकी है जगत बहुत बदल चुका है। आज हर कदम पर परीक्षा देनी पड़ती है। नकल से जिंदगी नहीं बन सकती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया में जब आर्थिक तुलना की गई तो, इसमें भारत को एक आशा की किरण के रूप में देखा जा रहा है। 2-3 साल पहले हमारी सरकार के विषय में लिखा जाता था कि इनके पास कोई अर्थशास्त्री नहीं है सब सामान्य हैं और पीएम को अर्थशास्त्र के बारे में कुछ नहीं पता। जिस देश को सामान्य कहा जाता था वे आज चमक रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग हैं जो बहुत मेहनत करते हैं। कुछ लोगों के लिए कड़ी मेहनत उनके जीवन के शब्दकोश में मौजूद नहीं है। कुछ मुश्किल से स्मार्ट वर्क करते हैं और कुछ स्मार्ट तरीके से हार्ड वर्क करते हैं।

हमें इन पहलुओं की बारीकियों को सीखना चाहिए और परिणाम के लिए उसके अनुसार ही काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हम राजनीति में कितने ही चुनाव क्यों न जीत लें लेकिन ऐसा दवाब पैदा किया जाता है कि हमें हारना नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि चारों तरफ से दबाव बनाया जाता है। क्या हमें इन दबावों से दबना चाहिए? अगर आप अपनी एक्टिविटी पर फोकस रहते हैं तो आप ऐसे संकट से बाहर आ जाएंगे। कभी भी दबावों के दबाव में न रहें।

पीएम ने विद्यार्थियों से कहा- आज के समय डिजिटल के साथ कई भाषाओं की जानकारी भी होनी चाहिए

पीएम ने कहा, दुनिया की सबसे पुरातन भाषा जिस देश के पास हो, उसे गर्व होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? क्‍या आपको पता है कि हमारी तमिल भाषा दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है। इतनी बड़ी अमानत हमारे पास है। यह गर्व की बात है। बड़े आराम से उत्तर भारत का व्‍यक्ति डोसा खाता है। दक्षिण में पूड़ी सब्‍जी चाव से खाई जाती है। जितनी सहजता से बाकी चीजें आती है, उतनी ही सहजता से भाषा भी आनी चाहिए। भारत विविधताओं से भरा देश है। हमारे पास सैकड़ों भाषाएं है। ये हमारी समृद्धि है। कम्‍यूनिकेशन एक बहुत बड़ी शक्ति है। जैसे हम सोचते हैं प्‍यानो या तबला सीखूं, तो ऐसे ही अपने पड़ोस के किसी राज्‍य की भाषा भी सीखनी चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा कि यदि हम अपने सामर्थ्‍य पर ध्‍यान देते हैं, ताे तनाव नहीं होता। जीवन के स्‍टेशन में एक ट्रेन छूट गई तो दूसरी आएगी। कोई भी एग्‍जाम जीवन का अंत नहीं होता। हमें तनाव से मुक्ति का संकल्‍प लेना होगा। परिणाम के तनाव को मन में लेने की जरूरत नहीं है। पीएम मोदी ने बच्‍चों से कहा कि हमारे आरोग्‍य शास्‍त्र में फास्टिंग का मंत्र है। बदलते समय में अब हमें डिजिटल फास्टिंग की जरूरत है। अब हम देख रहे हैं कि एक ही घर में मां, बाप, बेटा सब अपने अपने मोबाइल में व्‍यस्‍त रहते हैं। पहले लोग यात्रा करते समय गप्‍पे मारते थे, मगर अब मोबाइल में लग जाते हैं। आपको अपने घर में भी एक एरिया तय करना चाहिए जिसे नो टेक्‍नोलॉजी जोन कहा जाए।

सोशल मीडिया से भटके बिना पढ़ाई करने के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि आप स्‍मार्ट हैं या गैजेट स्‍मार्ट है? अगर आप खुद को गैजेट से ज्‍यादा स्‍मार्ट मानेंगे तो गैजेट का सही इस्‍तेमाल कर सकेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष के लोग साइकोलॉजी जानते हैं, इसलिए जानबूझकर ऐसी बात छेड़ देते हैं कि हम अपना विषय छोड़कर उसका जवाब देने में लग जाते हैं। हमें बस अपने लक्ष्‍य पर फोकस रखना चाहिए. आलोचना बहुत मुश्किल काम है। ऐसे में लोग शॉर्टकट अपनाते हैं और आरोप लगाते हैं। दोनो में बहुत फर्क है। हम आरोपों पर ध्‍यान न दें मगर आलोचना को अपने लिए जरूरी समझें।

गुजरात से छात्रा कुमकुम सोलंकी, चंडीगढ़ से मन्नत बाजवा और दक्ष‍िण सिक्क‍िम से अष्टमी सेन ने प्रधानमंत्री से तकरीबन एक जैसा सवाल किया। इन तीनों स्टूडेंट्स ने पूछा कि आप विपक्ष और मीडिया की आलोचनाओं का कैसे सामना करते हैं, हमें अपने अभिभावकों और टीचर्स की आलोचना से ही बुरा लगता है। इस सवाल पर उन्होंने सबसे पहले तो हंसते हुए कहा कि ये आउट ऑफ सिलेबस है। आगे उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि आपने मुझे इसमें क्यों लपेटा है, क्योंकि आपके परिवार के लोग भी यह सुन रहे हैं। इसके अलावा पटना से प्रियंका कुमारी, मदुरई से अश्विनी, दिल्ली से नवतेज समेत तमाम विद्यार्थियों ने पीएम मोदी से सवाल पूछे। साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी, जिसमें पीएम मोदी देश के बच्चों, शिक्षकों और माता-पिता व अभिभावकों से रूबरू होते हैं। इस साल 38 लाख से अधिक छात्रों ने इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए रजिस्ट्रेशन किया है, जो पिछले साल से दोगुने से भी अधिक रहे।