Rishi-Sunak PM of Britain

Rishi Sunak new Prime Minister of UK: भारतीय मूल के ऋषि सुनक को ब्रिटेन का नया प्रधानमंत्री चुन लिया गया है। ऐसा पहली बार है जब कोई भारतीय मूल का नागरिक ब्रिटेन का प्रधानमंत्री चुना गया है। सुनक को आधे से भी ज्यादा ब्रिटिश सांसदों ने कंजर्वेटिव पार्टी का नेता चुना है। यूके के महाराजा चार्ल्स-III की मंजूरी मिलते ही सुनक औपचारिक रूप से ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री बन जाएंगे। 42 वर्षीय सुनक 28 अक्टूबर को ब्रिटेन के पीएम पद की शपथ लेंगे। वह निवर्तमान प्रधानमंत्री लिज ट्रस की जगह लेंगे।

राजनीतिक गतिरोध के कारण लिज ट्रस ने 20 अक्टूबर को केवल 45 दिनों में ही प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। वह अपनी आर्थिक नीतियों के कारण पार्टी के निशाने पर आ गईं थीं। उनकी पार्टी के सदस्यों ने उनका साथ छोड़ दिया था।

बता दें कि ऋषि सुनक बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के बाद से ही प्रधानमंत्री पद की रेस में थे, लेकिन लिज ट्रस के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। परन्तु 45 दिन के बाद ही ट्रस को इस्तीफा देना पड़ा और इसके बाद फिर से सुनक ने पीएम पद पर दावेदारी पेश की थी। लिज ट्रस के इस्तीफे के बाद से सुनक को ब्रिटिश प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। हालाँकि पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में एक थे, लेकिन सांसदों ने उन्हें नकार दिया। जॉनसन ने बीती रात ही साफ कर दिया कि वह प्रधानमंत्री की रेस से बाहर हो रहे हैं। इसके बाद एक और ब्रिटिश सांसद पेनी मोर्डौंट भी पीएम पद की रेस में थीं लेकिन सांसदों ने उन्हें फोन कर स्टेप-डाउन करने को कहा था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें सिर्फ 26 सांसदों ने समर्थन दिया। हालांकि पहले उन्होंने 100 सांसदों के समर्थन का दावा किया था। पूर्व वित्त मंत्री सुनक को कंजरवेटिव पार्टी के 357 में से आधे से अधिक सांसदों का समर्थन मिला, जबकि उन्हें जीत के लिए कम से कम 100 सांसदों के समर्थन की जरूरत थी।

5 साल में वित्त मंत्री तो 7 साल में PM बने ऋषि सुनक

ऋषि सुनक का राजनीतिक कैरियर बड़ा ही रोचक रहा है। उन्होंने 2015 में अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी और सिर्फ 7 साल के अपने राजनीतिक कैरियर में ही वह ब्रिटेन के सर्वोच्च पद पर काबिज होने में कामयाब हुए। भारतीय मूल के ऋषि सुनक 2015 में पहली बार यॉर्कशायर के रिचमंड से सांसद चुने गए थे। यह सबसे सुरक्षित सीट माना जाता है। बताया जाता है कि 1906 से इस सीट पर कंजर्वेटिव पार्टी का कब्जा रहा है।

पीएम मोदी ने दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय मूल के ऋषि सुनक को ब्रिटेन का नया प्रधानमंत्री चुने जाने पर बधाई दी और कहा कि वह वैश्विक मुद्दों पर साथ मिलकर काम करने तथा रोडमैप 2030 को लागू करने को लेकर उत्सुक हैं। मोदी ने ट्वीट किया, ऋषि सुनक को हार्दिक बधाई! चूंकि आप ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने वाले हैं, मैं वैश्विक मुद्दों पर एक साथ मिलकर काम करने और रोडमैप 2030 को लागू करने के लिए उत्सुक हूं। ब्रिटिश भारतीयों के ‘जीवंत सेतु’ को दिवाली की विशेष शुभकामनाएं। हमने ऐतिहासिक संबंधों को आधुनिक साझेदारी में बदला है।

कौन हैं ऋषि सुनक

ऋषि सुनक के माता पिता मूल रूप से पंजाब के रहने वाले थे, जो बाद में इंग्लैंड में जाकर बस गए। सुनक का जन्म ब्रिटेन के हैम्पशायर शहर में ही हुआ। इसके बाद ऋषि ने अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के साथ-साथ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से राजनीति, दर्शन और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। ऋषि सुनक ने राजनीति में आने से पहले कई और जगहों पर अपने हाथ आजमाए थे। सुनक ने इसके पहले इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैश और हेज फंड में काम करने के बाद इन्वेस्टमेंट फर्म की भी स्थापना की थीं। आपको बता दें कि ऋषि सुनक की मां एक फार्मासिस्ट और राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) में काम करती हैं। जबकि ऋषि सुनक के पिता ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट बताए जाते हैं। इसेक अलावा ऋषि सुनक की पहचान चर्चित भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति के दामाद के रुप में भी है। 2009 में उनकी शादी नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता के साथ हुयी थी। ऋषि और अक्षता की दो बेटियां हैं, जिनके नाम कृष्णा और अनुष्का बताया जाता है।

क्यों लिज ट्रस को देना पड़ा था इस्‍तीफा?

महज 45 दिन तक सत्ता में रहीं लिज सबसे कम समय तक पीएम पद पर रहने वालीं ब्रिटेन की पीएम बनीं। ट्रस टैक्स कटौती का चुनाव वादा करके ही सितंबर की शुरुआत में पीएम बनीं थीं। हालांकि जब 23 सितंबर को वह मिनी बजट लाईं तो उसमें किए गए प्रावधानों ने वित्तीय बाजार में ऐसी हलचल मचाई कि ट्रस को वित्ती मंत्री को ही बर्खास्त करना पड़ा। ट्रस ने 6 सितंबर को पीएम पद संभाला था और 23 सितंबर को उनके वित्त मंत्री क्वासी क्वारतेंग जो मिनी बजट लाए, उसमें 45 अरब की टैक्स कटौती की बात कही गई। अमीरों के लिए टैक्स में 45% तक की कटौती की गई जबकि गरीबों के लिए कुछ खास नहीं था। इससे आगामी हफ्तों में वित्तीय बाजार में अस्थिरता आ गई।

हालात इस कदर बिगड़ गए कि वित्त मंत्री को आनन-फानन में हटाना पड़ा। नए वित्त मंत्री ने आते ही बजट प्रावधानों को ही वापस ले लिया। इससे ट्रस सरकार पर सवाल उठ गए कि न तो वह अपने चुनावी वादे पर टिकी रह पाईं और न ही उनके पास कोई ऐक्शन प्लान था। इसके बाद कंजर्वेटिव पार्टी के भीतर ही उनके खिलाफ विरोध तेज हो गया। पहले वित्त मंत्री, फिर भारतीय मूल की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने इस्तीफा दिया। इस्तीफा क्या दिया, खुलेआम कह दिया कि पीएम अपने चुनावी वादे पर नहीं टिकी रह सकीं। इससे ट्रस सरकार पूरी तरह अस्थिर हो चली।