जनपद पौडी गढवाल के विकासखण्ड खिर्सू के राजकीय इंटर कॉलेज सुमाड़ी में राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी अध्यापक के पद पर कार्यरत अखिलेश चन्द्र चमोला साहित्य वाचस्पति की मानद उपाधि (डाक्टरेट अवार्ड) से सम्मानित हुए। विगत 27 फरवरी को इतिहास पुरातत्व शोध संस्थान संग्रहालय  बालाघाट मध्य प्रदेश ने भव्य राष्ट्रीय आयोजित कार्यक्रम में जहाँ देश के इतिहास कार, समाज सेवा, पर्यावरणविद, शिक्षाविद, साहित्यकारोँ को सम्मानित करने के साथ ही उत्तराखन्ड से चमोला को साहित्य वाचस्पति (डाक्टरेट) की मानद उपाधि से विभूषित किया।

शोध संस्थान के अकादमिक परिषद ने चमोला द्वारा प्रेरणा दायिनी साहित्य सृजन, भावी पीढी में भारतीय संस्कृति के बीजरोपित करने के साथ ही 23 वर्षोँ से निरन्तर होनहार प्रतिभाओँ को अपने निजी खर्चे पर सम्मानित करने जैसी उपलब्धियोँ पर यह सम्मान दिया। शोध संस्थान के राष्टीय अध्यक्ष डॉ. बीरेन्द्र गहरवार ने आयोजित राष्ट्रीय कार्यक्रम में श्री चमोला को सम्मानित करते हुये कहा कि आज जिस तरह से युवा पाश्चात्य सँस्कृति का अन्धानुकरण करके अपनी मूलभूत सँस्कृति को विस्मृत कर रहे हैं, उस स्थिति मेँ उत्तराखंड से अखिलेश चन्द्र चमोला युवाओँ को सही मार्ग पर ले जाने के लिए प्रेरणा दायिनी साहित्य का सृजन करने का कार्य कर रहे हैं।

वर्तमान समय में इस तरह के साहित्य की नितान्त आवश्यकता है। इस क्षेत्र मेँ इन्होँने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। चमोला मूल रूप से जनपद रुद्रप्रयाग के ग्राम कौँशलपुर के निवासी हैं। इनके द्वारा भारतीय संस्कृति तथा नैतिक शिक्षा के आयाम, नैतिक बोध कथायेँ, शैक्षिक नवाचार एवं क्रियात्मक शोध, महापुरुषोँ के अनमोल विचार आदि पुस्तकेँ प्रकाशित करने के साथ ही प्ररेक प्रसंग बिभिन्न राष्ट्रीय सँकलनो में प्रकाशित हो चुके हैं। सम्मानोँ की श्रृखंला में भी १००से अधिक राष्टीय सम्मानोपाधियोँ को प्राप्त कर चुके हैं। भारतीय दर्शन में जैन दर्शन का स्यादवाद तथा गढवाली उपन्यास उच्याणोँ पर शोध कार्य भी कर चुके हैं। अपने अध्ययन काल में केन्द्रीय विश्व विद्यालय श्रीनगर गढवाल द्वारा कला निष्णात दर्शन शास्त्र में सर्वोच्च अँक प्राप्त करने पर स्वर्ण पदक से भी अँलकृत हो चुके हैं। ज्योतिष जैसे गूढ प्राच्य बिद्या से आम जनमानस की समस्या का निशुल्क समाधान करने के कारण भी इनकी समाज में महत्वपूर्ण भूमिका है। डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित होने पर चमोला ने शोध संस्थान संग्रहालय का आभार प्रकट किया।