Uttarakhand Fighter Angad Bisht : उत्तराखंड के युवा फाइटर अंगद बिष्ट ने चीन में चल रही विश्व की सबसे खतरनाक फाइट Road To UFC मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स (MMA) में एक बार फिर से भारत का परचम लहराया है। उतराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के रहने वाले अंगद बिष्ट ने Road To UFC मैच में फिलीपींस के जॉन अल्मांजा को हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया है। सेमीफाइनल में उनका मुकाबला कोरिया के रेसलर चाई डोंग हुन से होगा।

रविवार को चीन में फ्लाईवेट कैटेगरी में मुकाबला शुरू हुआ। मुकाबला शुरू होने के पहले मिनट से ही अंगद अपने प्रतिद्वंद्वी पर हावी रहे। अंगद की फुर्ती और शानदार पैंतरे के आगे फिलीपींस के जॉन को मौका तक नहीं मिला। जबकि कहा जाता है कि जॉन के पास अंगद बिष्ट जैसी ही फुर्ती और इस खेल में सामने वाले को चित करने में महारत हासिल है। लेकिन अंगद के सामने जॉन की स्ट्रेटजी नहीं चली और गेम पूरा होने से पहले ही अंगद के वार और फुर्ती को देखकर रेफरी टेक्निकल नॉकआउट फैसला लेकर अंगद के पक्ष में फैसला दिया। इस फाइट को जीतने के बाद अंगद अब सेमीफाइनल में पहुंच गए हैं। अब उनका मुकाबला कोरिया के रेसलर चाई डोंग हुन से होगा।

मूल रूप से रुद्रप्रयाग जिले के धनपुर पट्टी की ग्राम पंचायत चिनग्वाड़ के मोलखंडी गांव का रहने वाले अंगद मौजूदा समय में देहरादून में रहकर एक ट्रेनिंग सेंटर चलाते हैं। वह दुनिया के कई हिस्सों में फाइट के जरिए अपना लोहा मनवा चुके हैं। अंगद बिष्ट ने अपनी मेहनत और लगन से एमएमए (मिक्स्ड मार्शल आर्ट्सद्) के अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उत्तराखंड का नाम रोशन किया है। मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे अंगद मेडिकल की पढ़ाई के लिए देहरादून आए थे लेकिन किस्मत को तो कुछ और मंजूर था और आज वह जिस मुकाम पर हैं, उनके परिवार को नहीं बल्कि पूरे प्रदेश को उन पर गर्व है। आपको बता दें अंगद बिष्ट फ्लाईवेट कैटेगरी में वर्ल्ड चौंपियन हैं।

मेडिकल की पढ़ाई से एमएमए तक का सफर

अंगद का सपना डॉक्टर बनने का था। उनके पिता मोहन सिंह बिष्ट मिठाई की दुकान चलाते हैं। अंगद पढ़ाई में भी काफी होनहार रहे। बचपन में डॉक्टर बनने का ख्वाब देखते थे और यही चाहते थे कि बड़े होकर इसी क्षेत्र में लोगों की सेवा करें। वह देहरादून में मेडिकल की पढ़ाई के लिए कोचिंग ले रहे थे और इसी के साथ उन्होंने जिम जाना भी शुरू कर दिया। उन्होंने मेडिकल डेंटल सर्जरी का टेस्ट क्लियर कर लिया था और पंतनगर मेडिकल कॉलेज में उन्हें सीट भी मिल चुकी थी। वह मेडिकल की पढ़ाई के लिए अपना मन बना चुके थे लेकिन तभी उन्हें आभास हुआ कि उन्हें डॉक्टर नहीं फाइटर बनना है। जिसके बाद अंगद ने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स को अपना जुनून बना लिया। इसके बाद दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई में मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग ली। शुरूआत में परिवार वालों ने अंगद के फैसले को सही नहीं माना लेकिन जब बेटे ने दुनिया के सामने नया कीर्तिमान रचा तो हर कोई अंगद के साथ खड़े नजर आए। आज वो इस क्षेत्र में खूब नाम कमा रहे हैं। अंगद देहरादून में फिटनेस ट्रेनर भी हैं, जहां वो अन्य युवाओं को फिटनेस के टिप्स देते हैं।

घर से छुपा कर लड़ी थी पहली फाइट

अंगद ने फाइटर बनने के शुरुआती दौर में उन्होंने अपने परिवार वालों को इसके बारे में नहीं बताया था। उन्होंने मेडिकल की कोचिंग दोबारा करने की बात घर पर कही, जिस पर उनके परिजन मान गए और वहा दिल्ली चले गए। वहां जाने के बाद उन्होंने पार्ट टाइम जॉब की और बिना किसी को बताए अपनी पहली अमेचर फाइट लड़ी। उन्होंने उस फाइट को जीता और साथ ही चोटिल भी हुए थे। जिसके बाद उनका हौसला बढ़ा और फिर अंगद ने दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई में मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग ली।

अंगद ने इससे पूर्व 2018 में सुपर फाइट लीग जीती, 2019 में ब्रेव कॉम्बेट फेडरेशन फाइट जीती, 2021 में मैट्रिक्स फाइट नाइट जीती, दुबई में फर्स्ट फ्लाइवेट चैंपियनशिप जीती। अंगद शानदार कमाई भी कर रहे हैं और उत्तराखंड का नाम भी रोशन कर रहे हैं।