धीराज जी पौड़ी के टेनिस कोर्ट को भी संवारिये”

कला और संस्कृति के संक्रमण काल के दौर में पौड़ी के जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल द्वारा पौड़ी को पहाड़ी स्थापत्य कला से सजाने के प्रयासों का स्वागत किया जाना चाहिए। इसीक्रम में लोकप्रिय जिलाधिकारी से अपील है कि कलेक्ट्रेट भवन के पीछे टेनिस कोर्ट के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए उसे सजाने-संवारने में भी प्रयास करें। लगभग 1870 के आसपास पौड़ी श्रीनगर के शिल्पी ई.के.पौ. (डिप्टी कमिश्नर) ने पौड़ी में टेनिस कोर्ट का निर्माण किया था। 1930 तक तत्कालीन जिलाधिकारी एबटसन के नाम से एबटसन क्लब चर्चित रहा। इसका कारण इस कोर्ट पर 1900 से 1904 तक उत्तराखंड के प्रथम बैरिस्टर मुकुंदी लाल और भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत लोकप्रिय और चर्चित खिलाड़ी रहे। इसका विवरण 1909 से 1918 के बीच गढ़वाल के डिप्टी कमिश्नर जोसेफ क्ले की पुत्री जिसका बाल्यकाल पौड़ी में बीता हुआ हो एंड्रयूज ने ऑक्सफोर्ड से प्रकाशित पुस्तक के संस्मरण में लिखा है कि यह हार्ड टेनिस कोर्ट ब्रिटिश अधिकारियों के साथ स्थानीय खिलाड़ियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। यह क्लब 1970 तक नवयुवक संघ के रूप में सक्रिय रहा। उत्तराखंड के प्रमुख संस्कृतिकर्मी मोहन उप्रेती और बृजेंद्र लाल शाह जैसे व्यक्तियों ने भी इस मैदान पर अपनी उपस्थिति से गढ़वाल कुमाऊँ की लोक संस्कृति के साथ ही एक दूसरे अंचलों के जनमानस को एक दूसरे से परिचित होने का भी अवसर दिया आज वह मैदान और क्लब जमींदोज  हो चुका है। आपसे आग्रह है कि अब पुराना कलेक्ट्रेट नए भवन में शिफ्ट होने वाला है।

अतः पुराने भवन के पीछे टेनिस कोर्ट को भी एक सांस्कृतिक विरासत के रूप में सजाने का प्रयास करें। पुराने कलेक्ट्रेट भवन को एक आदर्श संग्रहालय पुस्तकालय के रूप में विकसित किए जाने की आवश्यकता है। इसे पुराने समय की तरह ग्रीन हैज़ से सजाते हुए पहाड़ी (गढ़वाली) स्थापत्य कला शैली के रूप में विकसित कर युवा पीढ़ी के लिए ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विरासत की तरह प्रस्तुत कर कृतार्थ करें।

(डॉ. योगेश धस्माना)