fruit tree saplings

सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती रानीखेत अल्मोड़ा ने उद्यान निदेशक पर आरोप लगाया है कि वर्ष 2021-22 में मनमाने तरीके से 6 माह के भीतर इनके द्वारा कीवी पौध कटिंग की दरें 35 रुपये से 75 रुपये एवं 75 रुपये से 225 रुपये तथा कीवी ग्राफ्टेड पौंध की दर 75 रुपये से 175 रुपये एवं 175 रुपये से 275 रुपये कर बढ़ाए हुए दरों पर लगभग 77,000 कीवी फल के पौधों को हिमाचल की व्यक्तिगत पंजीकृत नर्सरी से क्रय कर भारी अनियमितता करते हुए राजकीय धनराशि का गबन किया गया है. दीपक करगेती यह भी आरोप लगाया है कि यह समस्त प्रक्रिया बिना निविदा की प्रोक्योरमेंट नियमावली का अनुपालन किए बिना की गई है। जबकि हिमाचल प्रदेश उद्यान विभाग द्वारा इसी वर्ष 2021-22 में कीवी के कटिंग की दर 80 रुपये प्रति पौध,तथा किवी ग्राफ्टेड की दर 100 रुपये प्रति पौध निर्धारित की गई। यदि उद्यान विभाग उत्तराखंड, उद्यान विभाग हिमाचल के माध्यम से भी पौधों की खरीद करता तो इन्हें कीवी कटिंग 80 रुपये प्रति पौध तथा किवी ग्राफ्टेड 100 रुपये प्रति पौध की दर पर पौधे उपलब्ध हो जाते। करगेती द्वारा इसकी शिकायत मुख्यमंत्री, कृषि एवं उद्यान मन्त्री, मुख्य सचिव, सचिव उद्यान एवं सतर्कता विभाग को की गई है।

इसी प्रकार उद्यान पति एवं पंजीकृत व्यक्तिगत पौधालय के मालिक वीरबान सिंह रावत, जनपद टिहरी गढ़वाल, नैनबाग पंतवाडी ने सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण सचिवालय उत्तराखंड शासन देहरादून को  शपथ पत्र पर 13 मई 2022 को शिकायत की है कि निदेशक उद्यान द्वारा राज्य की राजकीय व व्यक्तिगत पंजीकृत नर्सरियों को दर-किनार कर कश्मीर से लाखों रुपए के सेब के बीजू पौधे एवं साइनवुड उच्च दामों में क्रय कर मंगाये गये हैं यही नहीं ग्राफ्ट बांधने हेतु मजदूर भी कश्मीर से आयातित किये गये है।

रावत ने शिकायत की है कि वर्तमान में राज्य सरकार नीति के अनुसार किसानों को फल पौध वितरण हेतु जनपद के अन्तर्गत राजकीय व व्यक्तिगत पंजीकृत पौधालयों से क्रय में प्राथमिकता देने का प्रावधान है। जनपद में पौध उपलब्ध न होने की स्थिति में समीप के जनपद के राजकीय व व्यक्ति गत पंजीकृत पौधशाला से क्रय करने का प्रावधान है इसके अतिरिक्त भारत सरकार के राजकीय संस्थानों कृषि एवं औद्यानिक विश्वविद्यालयों व ICAR संस्था के पौधालय से सीधे क्रय करने का भी प्रावधान है।

राज्य से बाहर स्थित पंजीकृत व व्यक्तिगत पौधालयौ से पौध क्रय करने में निविदा प्रक्रिया अपनाना आवश्यक है, साथ ही निविदा में सफल पौधालय से पौध प्राप्त करने से पहले विभागीय समिति द्वारा सत्यापन आवश्यक है। परंतु वर्तमान में उद्यान विभाग द्वारा नियमों का उलंघन करते हुए राज्य से बाहर की व्यक्तिगत पौधालयों से बिना किसी निविदा व बिना समिति के गठन व सत्यापन की प्रक्रिया अपनाते हुए सीधे उच्च दर पर पौध क्रय किए जा रहे हैं जबकि राज्य में 100 के लगभग पंजीकृत व National Horticulture Board से Accredited पौधालयों में पौध उपलब्ध है।

पिछले वर्ष गैरसैंण में मुख्यमंत्री द्वारा घोषणा के अनुपालन में बिना निविदा प्रक्रिया अपनाते हुए काश्मीर से सेब व नाशपाती पौध बिना सत्यापन के उच्च दर पर पौधे क्रय किये गये जिनमें लगभग 50% पौधे जीवित नहीं हैं। वर्तमान में सेब आदि के साइड वुड बिना निविदा प्रक्रिया अपनाये हुए कश्मीर के पौधालय मै० जावेद नर्सरी से बिना सत्यापन के उच्च दर (35,40 व 80 रु.) में क्रय कर विभागीय नर्सरी में काश्मीर के व्यक्तियों द्वारा उच्च दर पर ग्राफ्टिंग करने का कार्य जोरों पर है। जबकि इन्हीं पौधों के साइड वुड राज्य की पंजीकृत पौधशालाओं में (विभागीय दर 15 रु) में उपलब्ध है जिसकी सूचना निदेशक को दिसंबर 2021 में दे दी गई थी।

विभाग द्वारा सेब के बीजू पौध भी लाखों की संख्या में महंगे दामों पर कश्मीर से क्रय किए गए जबकि राज्य की पंजीकृत पौधशालाओं में पर्याप्त मात्रा में बीजू पौध उपलब्ध है।

ग्राफ्टिंग कार्य विभाग के प्रशिक्षित मालियों द्वारा ना करा कर कश्मीर के मै० जावेद नर्सरी अप्रशिक्षित मजदूरों द्वारा महंगे दामों में विभागीय नर्सरी में करवाने का कार्य बड़े जोरों पर है जिससे राज्य में धन की हानि हो रही है व विभागीय मालियों के कौशल का हनन हो रहा है।

रावत ने यह भी शिकायत की है कि उत्तराखंड उद्यान विभाग द्वारा राज्य में पंजीकृत व्यक्तिगत पौधालय से गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए पौध क्रय करने में प्राथमिकता दी जानी चाहिए न कि राज्य के बाहर के पौधालय से विना प्रक्रिया अपनाते हुए क्रय करना चाहिए।

उत्तराखंड शासन के स्पष्ट निर्देश है कि सारे निवेश यथा फल पौध सब्जी बीज मसाला बीज आदि सभी की आपूर्ति विभागीय पौधालयों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों कृषि एवं औद्यानिक विश्वविद्यालयों से ही क्रय किए जाएं यदि इन संस्थानों में उपलब्धता कम है तो अन्तर की पूर्ति निविदा प्रक्रिया के माध्यम से  गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के विषय विशेषज्ञों के सहयोग से की जाय। आपूर्ति होने वाली सामग्री की गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के माध्यम से सामग्री/ स्टाक की Sample Testing अनिवार्य रूप से की जाय।

प्रधानमंत्री का प्रयास है कृषकों की आय 2022 तक दोगुनी करना, योजनाओं में मिलने वाला अनुदान सीधे कृषकों के खाते में जमा करवाना, वोकल फोर लोकल, खेती में लागत कम करना, कृषक को आत्मनिर्भर बनाना। उत्तराखंड में कृषि एवं उद्यान विभाग के कारनामों से नहीं लगता कि प्रधानमंत्री का कृषकों के हित के प्रयास सफल होंगे। मुख्यमंत्री आत्मनिर्भर उत्तराखंड की वात कर रहे हैं। क्या ऐसे बनेगा उत्तराखंड आत्मनिर्भर यक्ष प्रश्न?

लेखक- डॉ. राजेंद्र कुकसाल, कृषि एवं उद्यान विशेषज्ञ।
मोबाइल नंबर 9456590999