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पौड़ी गढ़वाल: जीएमओ की बसों को गढ़वाल मंडल में यातायात के साधनों के रूप में पहाड़ की लाइफ लाइन माना जाता है। जीएमओयूलि माने गढ़वाल मोटर्स आनर्स यूनियन लिमिटेड, जी हां किसी जमाने में जीएमओ एशिया की सबसे बड़ी मोटर्स यूनियन मानी जाती थी लेकिन इन दिनों पौड़ी की सड़कों से जीएमओ की बसें नदारद सी होती जा रही हैं।

दरअसल इन दिनों यात्रा सीजन के चलते जीएमओ की अधिकांश बसें चारधाम यात्रा में संचालित हो रहीं हैं जो कुछ हरिद्वार, कोटद्वार और पौड़ी डिपो में बची हैं उनमे से अधिकतर विवाह शादियों की बुकिंग पर है। कुछ कोटद्वार में गैरेज में मरम्मत दुरस्त हो रही है। नतीजा ये है कि लोकल रूट पर जीएमओ की बसों का भारी टोटा हो गया है। बसों की किल्लत का आलम ये है कि सर्दी और बरसात के दिनों में जो बस कंडक्टर लोकल सवारी को आवाज लगा लगा कर बुलाते थे आजकल वो बस वाले लोकल सवारियों को बस में बिठाने से साफ इनकार करने लगे हैं। जिसके चलते पहाड़ के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को रोजमर्रा की जरूरतों के लिए मुख्य बाजारों तक आने-जाने में भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। अब यहां पर अहम सवाल ये है कि एक ओर तो राज्य सरकार चारधाम यात्रा के यात्रियों को सुविधा दिलाने के लिए जीएमओ की बसें लगा रही है वहीं दूसरी ओर लोकल रूटों से जीएमओ की बसों को हटाकर स्थानीय लोगों की दुश्वारियों को बढ़ा रही है। 6 और 7 जून को पौड़ी जिले के मुडनेश्वर इलाके में एतिहासिक खैरालिंग का मेला लगता है जिसमें भारी तादात में प्रवासी परिवार शिरकत करते हैं। ऐसे में जीएओ की बसों की किल्लत से इलाके के लोग खासे नाराज हैं। असवालस्यूं पट्टी के सांगुड़ा गांव निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता विद्यादत्त शर्मा ने जीएएमओ की बसों की किल्लत दूर करने की मांग को लेकर अपने साथियों के साथ मंडल मुख्यालय पौड़ी में प्रदर्शन भी किया।

घंडियाल (पौड़ी) से जगमोहन डांगी की रिपोर्ट

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