उत्तराखण्ड की नई पीढ़ी तक उत्तराखण्ड के साहित्य और सरोकार पहुंचाना और उसे शामिल करना सबका सामाजिक दायित्व है और इस दिशा में धाद की पहल पर सहयोग से चल रहे सामाजिक अभियान कोना कक्षा का, दस कथाकारों की दस कहानियों धाद के सहयोग से प्रदेश के विभिन्न स्कूलों और छात्रों को भेंट की जाएगी। उत्तराखण्ड के दस कथाकारों की दस कहानियों के लोकार्पण के साथ यह बात धाद के केंद्रीय सचिव तन्मय ने कही।

फूलदेई के अवसर पर रूम टू रीड के सहयोग से धाद स्मृति वन में नगर के गणमान्य लोगों की उपस्थिति में लोकार्पण समारोह आयोजित हुआ। डॉ विद्या सिंह के संपादन और कल्पना बहुगुणा, सुनील भट्ट और मुकेश नौटियाल के संपादन सहयोग के साथ प्रकाशित इस किताब को रूम टू रिड की स्टेट हेड पुष्पलता रावत, धाद के केंद्रीय उपाध्यक्ष डीसी नौटियाल, कोना कक्षा का के संयोजक गणेश चंद्र उनियाल के साथ सभी वक्ताओं ने जारी किया।

पुस्तक का परिचय देते हुए डॉ विद्या सिंह ने कहा उत्तराखंड के श्रेष्ठ कथाकारों की कहानियों का चयन उसकी लिखित पाठकों यानि छात्रों को ध्यान में रखते हुए करना एक चुनौती थी। लक्ष्य था कि बच्चे इस बहाने कहानी और पठान के नजदीक पहुँचें। दस कथाकार दस कहानियों के नाम से तैयार इस किताब में रमा प्रसाद घिडियाल ‘पहाड़ी’, शिवानी, दयानंद अनंत, कुसुम चतुर्वेदी, शैलेश मटियानी, शेखर जोशी, विद्यासागर नौटियाल, मनोहर श्याम जोशी, मोहन थपलियाल, ओम प्रकाश वाल्मीकि की कहानियां शामिल की गयी है।

साहित्य एकांश की सह संयोजिका कल्पना बहुगुणा ने कहा कि एकांश का लक्ष्य समाज में साहित्य सृजन औऱ पठन पाठन के लिये वातावरण बनाना है। जिसमे आने वाले समय में छात्रों के साथ उनकी पाठकीय जिज्ञासा क्षमता विकसित करने के लिए कार्यक्रम प्रारम्भ किये जायेंगे।

आयोजन का विचार पक्ष रखते हुए तन्मय ममगाईं ने बताया कि कोना कक्षा का के विचार ने अपने जन्म के साथ यह तय किया था कि दुनिया के हर बच्चे को हर अच्छी किताब देना एक सामाजिक दायित्व और संस्कृति का रूप ले। इसलिए हम लगातार समाज में धाद (आवाज) दे रहे है कि अपने गाँव शहर के उन सभी बच्चों तक श्रेष्ठ किताबे पहुँचाने की कोशिश हो जहाँ इसकी जरूरत है। इस दिशा में उत्तराखंड की भाषा, संस्कृति, साहित्य पर आधारित कुछ किताबे छात्रों के लिए तैयार की जा रही है जो उनकी स्थानीयता की समझ उसे पढ़ने समझने की जिज्ञासा और रुझान पैदा कर सके।

कथाकार और पुस्तक में सम्पादकीय सहयोग करने वाले मुकेश नौटियाल ने कहा कि इस पुस्तक के कहानीकार भले ही उत्तराखंड के साथ सम्बन्ध रखते हो लेकिन उनकी दृष्टि और फलक वैश्विक रहा है और उन्होंने अपने कालखंड में साहित्य में अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया है। उनकी कहानियों को किशोर पाठकों के वय के अनुसार ढालना और उनके अनुरूप बनान इस पुस्तक का एक बड़ा पक्ष रहा है। इस दिशा  यह प्रयास एक विशिष्ट स्थान रखता है।

कोना कक्षा का के संयोजक गणेश चंद्र उनियाल ने कहा आज इस अभियान में सैकड़ों लोग जुटे हैं और हजारों बच्चों तक लाखों की किताब पहुंचाई जा रही हैं। 700 से अधिक कोनो की स्थापना के बाद अब इसका लक्ष्य 1000 किताबो के कोने स्थापित करने का है। उन्होंने साहित्यकारो और आम समाज से इस अभियान का हिस्सा बनने के लिये अपील की।आयोजन का संयोजन अर्चना ग्वाड़ी और सञ्चालन डॉ अवनीश उनियाल द्वारा किया गया।

 कल्यो फ़ूड फेस्टिवल :

ग्वाल पूजै आयोजन का विशिष्ट पक्ष कल्यो फ़ूड फेस्टिवल का पक्ष भी रहा जहाँ फूलदेई के अवसर पर बच्चों द्वारा किये जाने वाले ग्वाल पूजै के आधार पर इस बार का भोज का विषय रखा गया काल्यो की संयोजक मंजू काल ने कहा कि पहाड़ के  चरवाहे बच्चों के द्वारा  सामूहिक रूप से  जंगलों और खेतों में बनाये गये भोजन को कहते हैं, त्यौहार पर बच्चों  द्वारा घरों की देहरी पर अलसुबह डाले गये  फूलों की एवज में दक्षिणा के तौर पर जो मोटा अनाज, आलू  आदि मिलता था। उसे पहाड़ के बच्चे गाय चुगाते वक्त  खेतों में या जंगलों में सामूहिक रूप से भोज बनाते वक्त उपयोग में लाते थे। इस बार के समूह भोज में हरे सेब का सुगंधित फ्रूट पंच, बाजरे के  कटलेट (उर्फ़ चिमिया), मूंग- आलू की बड़ी, पुदीना-हरे  टमाटर की चटनी, बाजरे की मीठी मठरी, आलू का खास” पहाड़ी झोल”, कोदों का उपमा, रिखणी दाल, डले वाला पहाड़ी भात, सीताफल (पके लाल कद्दू का रायता), रल्यौ” सलाद,बाजरे की लाप्सी, अदरक की मसाला चाय शामिल रही। इस अवसर पर ऑर्गेनिक उत्पादन के लिए काम कर रहे कर्नल विकास गुसाईं और साहित्यकार लक्ष्मी नौडियाल ने भी अपनी बात रखी।

इस अवसर पर आशा डोभाल, सुशांत डबराल, डॉ राम विनय, शादाब अली, डॉ राकेश बलूनी, डॉली डबराल, गंभीर सिंह पालनी, डॉ नीलम प्रभा वर्मा, कुसुम पंत, डॉ आशा रावत, आभा सक्सेना, मोहिनी रतूड़ी, चंदर शेखर तिवाड़ी, मनोज पंजानी, आशा डोभाल, अवनीष उनियाल, पुष्पा कठैत, विजय गौड़, उषा झा, सुबोध सिन्हा, अलका अनुपम, डॉ अनिता सब्बरवाल, राजेश्वरी सेमवाल, राजेश पाल, डॉ मधु डी सिंह, नरेंद्र उनियाल, साकेत रावत, सुशील पुरोहित, वीरेंदर खंडूरी, किशन सिंह, बिमल रतूड़ी, मनीषा ममगाईं, पूनम भटनागर, मीना जोशी मौजूद रही।