भरसार विश्वविद्यालय के वानिकी महाविद्यालय, रानीचैरी, टिहरी गढ़वाल की तरफ से अखिल भारतीय क्षमतावान फसल अनुसंधान कार्यक्रम के तहत टीएसपी योजनांर्तगत ‘जलवायु परिर्वजन के सापेक्ष क्षमतावान फसलों की उत्पादन तकनीकी एवं प्रसंस्करण‘ विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का 28 मार्च 2023 को शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भरसार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. परविन्दर कौशल ने दीप प्रज्जवलन कर किया।
इस अवसर पर कुलपति ने क्षमतावान फसलें जैसे रामदाना, कुट्टू, भंगजीर, किनोवा आदि के महत्व के साथ किसानों कि आय बढ़ाने सम्बन्धित सम्भावनाओं, खेती में महिलाओं का योगदान, कोविड में क्षमतावान फसलों का दवाओं की तरह उपयोग तथा पलायन रोकने में क्षमतावान फसलों को बढ़ावा दिये जाने पर जोर दिया। निदेशक शोध, डॉ. अमोल वशिष्ठ ने क्षमतावान फसलों के उपयोग का स्वास्थ्य में महत्व को रेखांकित किया।
अधिष्ठाता, वानिकी महाविद्यालय, प्रो. खंडूरी ने बताया कि जियो-टैगिंग का उपयोग कर फसलों के उत्पादों से अधिक लाभ कमाया जा सकता है। सह निदेशक प्रसार, डॉ. अरविन्द बिजल्वाण ने रामदाना, कुट्टू के उपयोग को बढ़ाने पर जोर दिया। सेवा इंटरनेशनल की प्रतिनिधि श्रीमती गीता देवी ने आदिवासी समुदाय के बीच चमोली जिले में किये जा रहे कार्यों का विवरण दिया। प्रभारी अधिकारी कृषि विज्ञान केन्द्र, टिहरी गढ़वाल, डॉ. आलोक येवले ने दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।
प्रशिक्षण में चमोली जिले के विकासखण्ड जोशीमठ के तपोवन, झौंज, पैंग, रिंगी आदि ग्रामों से 17 महिला किसानों ने प्रतिभाग किया। परियोजना के वैज्ञानिकों डॉ. अजय कुमार व डॉ. अरूणिमा पालीवाल ने उपस्थित समस्त गणमान्य व्यक्तियों व महिला किसानों को धन्यवाद ज्ञापित किया।