-chaundali village

पौड़ी : जनपद पौड़ी गढ़वाल के विकासखंड कल्जीखाल के अंतर्गत घोस्ट विलेज हो चुके चौंडली गांव में इन दिनों एक बार फिर रौनक लौटी है। गौरतलब है कि चौंडली गांव वर्ष 2013 में आखिरी परिवार के पलायन कर जाने के बाद पूरी तरह से निर्जन (घोस्ट विलेज) हो चुका था। दो साल पहले कोरोना महामारी के समय कुछ लोग गाँव लौटे थे। तब यहां प्रवासियों ने अपने पुश्तैनी मकान भी बनाए थे।

अब एक बार फिर गाँव के प्रवासी (एनआरआई) अपने गांव आए हैं। और गांव में पूजा पाठ आयोजन से रौनक लौटी है। इन दिनो महेश नेगी जिनके बच्चे कनाडा में रहते है। वह भी गांव आए है।

बता दें कि मण्डल मुख्यालय से करीब 40 किलोमोटर दूर चौंडली गांव में आज से दो दशक पहले करीब 15 परिवार रहते थे। हालाँकि मूलभूत सुविधाओँ के अभाव में पलायन के चलते यह गाँव तभी लगभग खाली हो गया था। परन्तु वर्ष 2013 में इस गांव का आखरी परिवार (प्रेम सिंह नेगी उनकी पत्नी सुरमा देवी) भी वृद्धा अवस्था में मूलभूत सुविधाओँ के अभाव में ना चाहते हुए भी अपने बेटों के साथ दिल्ली चले गए। और इस तरह वर्ष 2013 में इस गांव को भी अन्य कई गांवो की तरह घोस्ट विलेज घोषित कर दिया गया।

बताते हैं कि एक समय चौंडली गांव बेहद आबाद था। जहां पर कई प्रकार के कृषि उत्पाद उगाये जाते थे, पशुपालन होता था। यहाँ की सिंचित खेतों की बासमती काफी प्रसिद्ध थी। इस गांव में आसपास गांवों के लोग भी खेती करने आते थे। चारो तरफ पर्याप्त मात्रा में झरनों का बहता पानी था। पूर्वजो ने अपनी ही मेहनत से सिंचाई के लिए गूल बनाई थी। गांव की मुख्य आजीविका खेती और पशुपालन ही था। लेकिन धीरे-धीरे परिस्थितियां विकट होती चली गई, लोगों ने जंगली जानवरों के प्रकोप से बर्बाद होती फसल के चलते खेती बाड़ी भी छोड़ दी। और इसके साथ ही मूलभूत सुविधाओं के अभाव तथा रोजगार की तलाश में लोगों ने गांव ही छोड़ दिया।

जगमोहन डांगी