नई दिल्ली: वैश्विक महामारी कोरोना (कोविड-19) के चलते आज सब कुछ थम सा गया है, जिसका असर साहित्य व साहित्यकारों पर भी पड़ा| पर रावत डिजिटल ने इसे समझा व साहित्यकारों को ऑनलाइन मंच देकर अपनी संस्कृति को लोगों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया। इसी कड़ी में कल रविवार को सुरेंद्र सिंह रावत लाटा की पुस्तक “पलायन आखिर क्यों?  का ऑनलाइन लोकार्पण किया गया। इस पुस्तक में सुरेंद्र रावत ने पहाड़ो से पलायन को नए रूप में दिखाया है और खुद ही उसे रोकने के कुछ उपाय भी सुझाए हैं। बाकी विस्तार से तो पुस्तक को पढ़ने के बाद ही पता चलेगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता जाने माने साहित्यकार शांति प्रकाश जिज्ञासु ने की और कार्यक्रम की शोभा  साहित्यकार अम्बादत्त भट्ट, गढ़वाली कुमाउनी के प्रखर वक्ता व कुशल मंच संचालक सुरेंद्र सिंह सुरु भाई ने बढ़ाई। पुस्तक की भूमिका बहुत सुंदर शब्दों में सुनील थपलियाल घंजीर ने की जो कि गढ़वाली साहित्यकार हैं व गढ़वाली शब्दों पर उनकी गहरी पकड़ है। इस पूरे कार्यक्रम का संचालन बड़े ही सुंदर अंदाज़ में डॉ. पृथ्वी सिंह केदारखंडी ने अपने कुछ गीतों के साथ किया।

पुस्तक के लेखक ने कहा कि मेरा साहित्यिक सफर पत्र लिखने से शुरू हुआ और धीरे धीरे यहां तक पहुंचा है, पलायन आखिर क्यों लिखने की प्रेरणा उन्हें अपने साथ काम करने वाले हिमांचल के मित्र से मिली जिन्होंने रावत को बताया कि हिमांचल के लोग चाहे कहीं भी रहें वे मानसिक रूप से हमेशा अपने गांव से जुड़े रहते हैं।