uttarakhand-cs-ss-sandhu

मुख्य सचिव ने वन विभाग के अधिकारियों को वनों में लगने वाली आग की रोकथाम के लिये तकनीकी, प्रबंधनीय और व्यावहारिक सभी पहलुओं पर बेहतर प्लान बनाते हुए कार्य करने के निर्देश दिये। उन्होंने निर्देश दिये कि प्रिवेन्शन ऑफ फायर हमारे मुख्य फोकस में होना चाहिए। इसके लिये उन्होंने अत्याधुनिक तकनीक और बहुत से इनोवेटिव तौर-तरीकों पर अधिक काम करने को कहा। कहा कि तकनीक का बेहतर उपयोग हेतु विशेषज्ञ एजेंसियों से टाइअप करें तथा अपने सभी स्टाफ को भी तकनीकी दक्ष बनायें ताकि आग लगने की स्थिति में त्वरित सूचना, सटीक डेटा सर्वे और सटीक रिस्पांस से आग से वनों को बचाया जा सके।

मुख्य सचिव ने वन विभाग को एफआरआई देहरादून और आईआईटी रूड़की को साथ लेकर फायर प्रिवेटिंग, फायर फाइटिंग तथा जंगल में आग न लगे इसके लिए गहराई से डीप रिसर्च-एक्सपैरिमेंट करने के निर्देश दिये। उन्होंने जंगल में पिरूल तथा पेड़ों की अन्य पत्तियों, सूखी लकड़ियों इत्यादि बायोमास का बेहतर सदुपयोग पर अधिक से अधिक फोकस करते हुए इस संबंध में बेहतर प्लान बनाने तथा उन पर अमल करने के निर्देश दिये।

मुख्य सचिव ने विभागीय अधिकारियों को जंगल से गुजरने वाली ट्रांसमिशन (विद्युत) लाइनों से आग लगने को रोकने के लिये स्थायी और बेहतर प्लान बनाने के निर्देश दिये। साथ ही कहा कि परंपरा से चली आ रही अथवा किसी नई तरकीब का अंध अनुसरण ना करके प्लान को व्यावहारिक, तकनीकी बेस और कार्य में आसानी से परिणत हो जाने की दृष्टि से बनायें। कहा कि कार्मिकों की थोड़ी बहुत कमी को कार्य प्रणाली को अधिकाधिक तकनीकी बेस्ड बनाकर दूर की जा सकती है। इसके अतिरिक्त परंपरागत और पहले से अपनायी जा रही अच्छी कार्य प्रणाली में लक्षित सुधार करते हुए उसकी गुणवत्ता बढ़ायें। उन्होंने लोगों को जंगल की आग के संबंध में संवेदनशील बनाने तथा अग्नि सुरक्षा में उनकी भी सहभागिता बढ़ाने के साथ ही एन्फोर्समेंट की कार्यवाही तेज करने की बात कही।

इस दौरान बैठक में अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) उत्तराखण्ड राजीव भर्तरी, पुलिस महानिरिक्षक अजय रौतेला व रिद्विम अग्रवाल, सचिव श्री एस.ए. मुरूगेशन, श्री पी.के. पात्रो, प्रभारी सचिव श्री वी. षणमुगम, डी.आई.जी. के.एस. नगन्याल सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।