पौड़ी गढ़वाल : कोरोना वैश्विक महामारी से देशभर में हुए लॉकडाउन के चलते बाहरी राज्यों से प्रवासियों का उत्तराखंड लौटना लगातार जारी है। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से उत्तराखंड में अब तक करीब 2 लाख प्रवासी अपने गांवों में लौट चुके हैं। वहीँ पौडी जनपद में अब तक करीब 50 हजार प्रवासी सपरिवार अपने गांव लौट आये हैं। कोरोना संकट ने जहाँ उत्तराखंड के वीरान पड़े ज्यादातर गांवों को फिर से गुलजार कर दिया है। वहीँ इस सब के बावजूद भी कुछ ऐसे गाँव हैं जो आज भी वीरान पड़े हैं। यानी कोरोना महामारी भी वर्षों पहले इन गांवों को छोड़कर गए वासिंदों को वापस लौटाने में सफल नहीं हो पाई है।
हम बात कर रहे हैं पौड़ी गढ़वाल के कल्जीखाल ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले शहीद मनीष पटवाल एवं प्रसिद्ध वैधराज स्वर्गीय भरोसानंद कबटियाल के गांव तकलना-सुरालगाँव की। एक-दो दशक पहले खेती किसानी पर आत्म निर्भर रहने वाले इस गाँव के वासिंदे मूलभूत सुविधाओं के अभाव में गाँव से पलायन कर कोटद्वार, श्रीनगर, ऋषिकेश, देहरादून, रायवाला, हरिद्वार, चंडीगढ़, दिल्ली जैसे शहरों में गए और वहीँ बस गए हैं। और केवल 2-4 बुजुर्ग ही इन गांवों में दिन गुजार रहे हैं। इस बार कोरोना संकट जहाँ ज्यादातर प्रवासियों को वापस लाने में सफल रहा है। वहीँ इन गांवों का एक भी प्रवासी लौट कर नहीं आया।
हमारे संवाददाता ने उन गांवो का दौरा किया जहाँ से पूरी तरह पलायन हो गया था। तकलना गांव में एक मात्र सेवानिर्वित शिक्षक आचार्य सुदामा प्रसाद कबटियाल ने बातया कि एक दूसरे की देखादेखी में गाँव के लोग बाहर चले गए हैं, और गांव में केवल बुगुर्ग ही रह गए हैं। खेती बाड़ी जंगली जानवरों के कारण बर्बाद हो चुकी है। जगमोहन डांगी