उत्तरकाशी : सीमांत जनपद उत्तरकाशी अपनी पारम्परिक वेशभूषा तीज त्यौहारों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए पहचाना जाता है। यहां के त्योहार की एक अलग ही पहचान है। ऐसा ही एक त्यौहार है दूध गड्डू जिसे अब बटर फेस्टिवल के नाम से जाना जाता है। यह त्यौहार  गमरी और धनारी पट्टी के ग्रामीण 10 किलोमीटर पैदल जाकर बेडथात नामक जगह नेर थुनेर के जंगलों के बीच जाकर मनाते हैं। यहां ग्रामीण बीते सावन और लगते भादों की संक्रांति में हर साल  मनाते है। खास बात यह है कि ग्रामीण अपने घरों से दूध, दही, मट्ठा, मक्खन, चावल, फल और फूल लेकर इस स्थान पर जाकर अपने परिवार और खेती बाड़ी, पशुओं की खुशहाली के लिए अपने आराध्य देव नागराज देवता और हूण देवता से खुशहाली और समृद्धि की कामना करते हैं। ग्रामीणों की पूजा से खुश होकर देवता दूध, दही और मक्खन  से नहाते हैं और ग्रामीणों को आशीर्वाद देते हैं।

इस बार सावन की संक्रांति को धनारी और गंभीर पट्टी के शीर्ष पर बेडथात नामक जगह पर दूध गड्डू बटर फेस्टिवल का आयोजन किया गया। यह पौराणिक मेला पहले दूध गड्डू के नाम से जाना जाता था। इस बार इस क्षेत्र के ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने इस मेले को दूध गड्डू (बटर फेस्टिवल) का नाम दिया है। दूध दही और मक्खन की अनोखी पूजा के लिए ग्रामीण हर साल काफी उत्साहित रहते और इस दिन का पूरे साल भर ग्रामीण इंतजार करते हैं। वहीं अब स्थानीय ग्रामीण चाहते हैं कि इस प्राचीन मेले को सरकार की सहायता से आगे बढ़ाया जाए अगर सरकारी मदद मिले तो यह मेला बेहतर हो सकता है और आने वाले पीढ़ियों के लिए यह संस्कृति भी जिंदा रह सकती है इसके लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि और सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए।

जगमोहन सिंह चौहान उत्तरकाशी

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