नैथाणा: आपने शायद गढ़रत्न नरेन्द्र सिंह नेगी जी से सुप्रसिद्ध लोकगीत “वीर भढ़ कु देश बावन गढ़ कु देश..” में वीर पुरिया नैथानी का जिक्र सुना होगा। वह वीर पुरिया नैथानी, कल्जीखाल ब्लॉक के नैथाणा गांव के रहने वाले थे। गढ़ चाणक्य कहलाने वाले वीर पुरिया नैथानी को सन 1668 में दिल्ली के औरंगजेब दरबार में गढ़वाल के राजा फतेहशाह की ओर से प्रतिनिधित्व करने के लिये भेजा गया था। जजिया कर लगने की वजह से गढ़वाल की जनता उस समय बहुत त्रस्त थी। पुरिया नैथानी ने बादशाह के सम्मुख गढ़वाल भौगोलिक स्थिति का वर्णन करेले माध्यम से किया और बादशाह को विवश किया कि गढ़वाल (तत्कालीन श्रीनगर राज्य) की भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से जजिया कर हटा लिया जाये। उन्होंने औरंगजेब के दरबार में निर्भयतापूर्वक अरबी-फारसी में वार्तालाप कर अपने वाकचातुर्य से गढ़वाल राज्य को जजिया कर से मुक्ति दिलाई। और सय्यद मुसलमान से कोटद्वार भाभर के इलाके को मुक्त करवाया और इस्लामी सेना द्वारा गढ़वाल के मंदिरों को तोड़ने से रुकवाया था।
रविवार को वीर पुरिया नैथानी की जन्म स्थली नैथाणा गांव में उनके स्मारक का शिलान्यास किया गया। साथ ही वीर पूरिया नैथानी ट्रस्ट भी बनाया गया हैं। प्राथमिक विद्यालय नैथाणा में आयोजित एक सूक्ष्म कार्यक्रम से पहले विद्यालय के पास ही पितृ स्थली पर पूरिया नैथानी जी का स्मारक के लिए भूमि पूजन किया गया। स्मारक का शिलान्यास पूरिया नैथानी के वंशज डॉ. सतीश नैथानी ने किया।
उन्होंने कहा कि वीर पुरिया नैथानी जी का स्मारक भव्य बनेगा औऱ उन्ही के नाम पर भवन भी बनेगा। इसके लिए ट्रस्ट ने काम करना प्रारम्भ कर दिया हैं। शिलान्यास के दौरान वीर पूरिया नैथानी एवं थोकदार सैन सिंह रावत के दादा वीर भड़ रुद्र सिंह रावत के चित्रों पर सभी उपस्थित लोगों ने पुष्प चढ़ाकर श्रद्धा सुमन आर्पित किए। मां भुवनेश्वरी मंदिर ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष एवं रैबार के संपादक डॉ. पुष्कर नैथानी एवं थोकदार सैन सिंह रावत ने वीर पूरिया नैथानी एवं वीर भड़ रुद्र सिंह रावत की जीवनी और आपसी सम्बधों के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने इतिहास में बाबा भैरव गढ़ी एवं झिंडीधार और रानीगढ़ राजा की सुरक्षा की चौकीयो के बारे भी विस्तार से जानकारी दी। वीर पूरिया नैथानी ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के आयोजक निर्मल नैथानी ने बताया वीर पुरिया नैथानी एवं वीर भड़ रुद्र सिंह रावत पर ट्रस्ट सोध कर रहा है। शीघ्र ही दोनों महान वीरो की पुस्तक प्रकाशित होगी। इस अवसर पर नैथाणा गांव के अलावा क्षेत्र में जहाँ भी नैथानी लोग रहते हैं। उनके वंशज इस कार्याक्रम उपस्थित रहे। कार्याक्रम का संचालन हेमन्त नैथानी ने किया जगमोहन डांगी की रिपोर्ट।
यह भी पढ़ें:
देवलगढ़ का ऐतिहासिक गौरा देवी बैसाखी मेला धूमधाम से मनाया गया