जैविक उत्पादों किट

देहरादून: उत्तराखंड के जैविक उत्पादों को पहचान दिलाने के लिए सरकार ने नई पहल की है। उत्तराखंड जैविक उत्पाद परिषद की ओर से प्रदेश में उत्पादित विभिन्न जैविक उत्पादों की किट तैयार की गई। शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कृषि मंत्री गणेश जोशी ने ‘‘उत्तराखण्ड जैविक उत्पाद परिषद’’ की ओर से निर्मित किए गए जैविक उत्पाद किट का अनावरण किया। कृषि मंत्री की मांग पर उत्तराखण्ड में उत्पादित होने वाले विशेष उत्पादों को जीआई सुरक्षा और संवर्धन करते हुए वैश्विक पहचान दिलाने के लिए जीआई (जिओग्राफिकल इंडिकेटर) बोर्ड का गठन किया जाएगा, इस हेतु भी मुख्यमंत्री ने कार्यवाही के निर्देश दिये हैं।

कृषि मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि हम मुख्यमंत्री के आभारी हैं कि उन्होंने ऑर्गेनिक बोर्ड के उत्पादों की इस किट का अनावरण करने के लिए समय दिया। इससे हमारे जैविक उत्पादकों का उत्साहवर्धन होगा और स्थानीय पारम्परिक उत्पादों की मांग में बृद्धि भी होगा। उन्होंने राज्य के उत्पादों को जीआई सुरक्षा प्रदान करेन के लिए मुख्यमंत्री द्वारा जीआई बोर्ड के गठन की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि यह बोर्ड जीआई पंजीकरण करवाने के साथ-साथ घरेलु एंव अतर्राष्ट्रीय बाजारों में इन उत्पादों की मांग एवं विशेषताओं का अध्ययन करते हुए संभावित उत्पादों की पहचान भी करेगा।

यह बोर्ड स्थापित सीमाओं के भीतर और सहमत मानाकों के अनुसार उत्पाद का उत्पादन करने वाले किसी भी निर्माता और अन्य संबंधित ऑपरेटर को संकेत का उपयोग करने का अधिकार प्रभावी ढंग से देने के लिए एक तंत्र तैयार करेगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि जीआई बोर्ड के गठन से बड़े पैमाने पर स्थानीय उत्पादकों को रोजगार प्रोत्साहन मिलेगा तथा पलायन भी रूकेगा।

क्या है GI टैग

जिओग्राफिकल इंडिकेटर (जीआई) ऐसे उत्पादों पर इस्तेमाल किया जाता है जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल या स्थान होता है। जो उस भौगोलिक मूल के कारण एक विशेष गुण व महत्व रखते हैं। प्रदेश में मुनस्यारी की राजमा समेत नौ उत्पादों को जीआई टैग प्रदान किया गया। जबकि 11 अन्य उत्पादों की प्रक्रिया चल रही है। इस साल के अंत तक प्रदेश के 20 और उत्पादों को जीआई टैग मिल सकता है।