लोहारी गांव जल में समाया

व्यासी जल विद्युत परियोजना: देवभूमि में सैकड़ों लोगों की सुनहरी यादें हमेशा के लिए पानी में दफन हो गई है। इसको देखने के लिए मौजूद लोगों की आंखें भी नम नजर आई। जहां बचपन बीता खेलकूद कर बड़े हुए आज उन्हीं लोगों ने अपने गांव को जलमग्न होते हुए देखा। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के कालसी क्षेत्र में यमुना पर बनी 120 मेगावाट क्षमता की व्यासी परियोजना की झील में लोहारी गांव में समाहित हो गया।  गाँव के 66 परिवारों के पुश्तैनी घर डूब गए हैं।

पैतृक गांव को डूबता देख गांव वालों के आंसू भी छलक आए। झील की गहराइयों में बांध प्रभावितों की सुनहरी यादें, खेत-खलिहान सभी हमेशा के लिए जल में समा गए। ‌ऊंचे स्थानों पर बैठे ग्रामीण दिनभर अपने पैतृक गांव को जल समाधि लेते देखते रहे। बता दें कि यहां पर 120 मेगावाट क्षमता वाली लखवाड़ व्यासी जल विद्युत परियोजना का निर्माण किया जा रहा है।

व्यासी जलविद्युत परियोजना के लिए बनाए गए डैम में पानी भरने का काम अंतिम चरण में पहुंच गया है। 120 मेगावाट की यह जल विद्युत परियोजना प्रदेश को बिजली की समस्या से मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। 15 से 16 अप्रैल तक पानी बिजली उत्पादन के स्तर पर पहुंच जाएगा। अप्रैल के अंत तक पावर हाउस से बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा।

डूब क्षेत्र के लोहारी गांव को पूरी तरह खाली करने का पहले ही नोटिस दिया गया था, जिसके चलते ग्रामीणों ने अपने पुश्तैनी मकान से सामान निकाल लिया था। ग्रामीणों ने पहाड़ी शैली में निर्मित पुश्तैनी मकानों के खिड़की दरवाजे और चौखट भी निकाल ली। कुछ प्रभावित ग्रामीण शिफ्ट हो चुके हैं, गांव में रहने वाले कुछ परिवारों को गांव में ही ऊंचाई पर बने एक राजकीय प्राथमिक विद्यालय व जलविद्युत निगम की कालोनी के 12 अन्य मकानों में शिफ्ट किया गया। लोगों ने गांव जरूर खाली कर दिया लेकिन आज लोहारी गांव की समाधि लेते हुए सैकड़ों लोग मौजूद रहे। वर्ष 2014 में इस परियोजना का निर्माण कार्य शुरू किया गया, जिसके बाद 2021 में इसकी कमिशिनिंग की गई। इस परियोजना की लागत 1777.30 करोड़ है।