रंगों का त्यौहार होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्यौहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार होली का त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भारत के अलावा नेपाल मेँ भी होली धूमधाम से मनाई जाती है।
रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन शाम को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। होलिका दहन के पीछे अनेकों पौराणिक मान्यताएं जो भगवान के प्रिय लोग है उन्हे पौराणिक चरित्र प्रहलाद की तरह प्रचंड अग्नि से भी बचा लिया जाएगा, जबकि जो राक्षस प्रविर्ति के लोग है उन क़ो होलिका के चरित्र की भांति दंडित किया जाएगा।
होली शब्द “होला” शब्द से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है नई और अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए भगवान की पूजा। और होली पर रंगो का भी विशेष महत्व है, जैसे लाल रंग ऊर्जा, साहस, और उत्साह के लिए, सफेद रंग शान्ति और शुढ्ता के लिए, हरा रंग शीतलता, ताजगी, और हरियाली के लिए, नीला रंग प्रेम कोमलता और विश्वास के लिए।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्तः प्रदोष-व्यापिनी फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल में होलिका-दहन किया जाता है। इसमें भद्रा वर्जित है। इस वर्ष विक्रम संवत 2076 में फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 20 मार्च बुधवार को सुबह 10 बजकर 44 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन 21 मार्च बृहस्पतिवार को प्रातः 7 बजकर 12 मिनट तक विद्यमान रहेगी। प्रदोष व्यापिनी निशामुखी पूर्णिमा 20 मार्च बुधवार को है। अतः होलिका दहन 20 मार्च को ही सर्वमान्य रहेगा।
यहां जली थी होलिका, इस स्थान पर प्रगट हुए थे भगवान नृसिंह
ध्यान रहे होलिका दहन वाले दिन भद्रा भी सुबह 11 बजे से रात्रि 8 बजकर 50 मिनट तक रहेगी। इसलिए रात्रि 9 बजे से 10 बजे तक भद्रा मुक्त काल में होलिका दहन समग्र राष्ट्र तथा समाज के लिए कल्याणकारी सिद्ध होगा। ज़्योतिष के अनुसार सभी राशि के जातकों के लिए होलिका दहन मेँ आम रूम्बल तथा खैर की लकड़ी का प्रयोग विशेष लाभ प्रद होता है। देवभूमिसंवाद.कॉम की ओर से समस्त देशवासियों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
पं. मूर्तिराम आनन्द वर्द्धन नौटियाल ज्योतिषाचार्य
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