उत्तराखंड में प्राकृतिक संपदा अपार मात्रा में है और इन्ही सम्पदाओं में से कुछ से वहां के हस्तशिल्पी हस्तकला से विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का निर्माण करते हैं। जो देखने में बेहद खूबसूरत होने के साथ-साथ अपनी संस्कृति पर आधारित होते हैं। परन्तु उनकी कला को वह मान सम्मान नहीं मिल पाता जिसके वे हकदार हैं। ऐसे ही एक कलाकार के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
चमोली जिले के कोब गांव, नारायणबगड़ के रहने वाले प्रेम सती हस्तशिल्प के बहुत ही गुणी कलाकारों में से एक हैं। इनके द्वारा बनाए गए चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमनोत्री मंदिर चीड़ की छाल व किल्मोड़ा की जड़ से तैयार किए गए हैं। इसके अलावा देश में जितने भी प्रसिद्ध मंदिर हैं प्रेम सती उन सभी के मॉडल तैयार किए है। अभी कुछ दिन पहले दिल्ली में हुए उत्तराखंड लोकपर्व में उनके द्वारा लगाए गए स्टाल में मृत्युंजय मंदिर की काफी डिमांड थी। प्रेम सती ने यह कला स्वयं ही विकसित की। यह एक प्रकार से उनके अंदर ईश्वरीय गुण है। अपनी इस विलक्षण कला के बारे में उन्होंने बताया कि इस कला को 2003 में आरम्भ किया था, शुरू में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। परन्तु उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और वे निरंतर अपनी कला को प्रदर्शित करते रहे। 2016 में उन्हें पहचान मिली। अब वे स्वयं के खर्चे पर जहाँ जहाँ भी उत्तराखंड के मेले लगते हैं वहां अपना स्टाल लगाकर अपना व परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इससे उन्हें नाम एवं पहचान तो मिली किंतु सरकार की तरफ से कोई प्रोत्साहन नहीं मिला। हमारे उत्तराखंड में प्रेम सती जैसे अनेकों होनहार हस्तशिल्पी मौजूद है, यदि सरकार उन्हें एवं उनके कामको प्रोत्साहित करे तो न केवल रोजगार को बढ़ावा मिलेगा अपितु हस्तशिल्प के क्षेत्र में उत्तराखंड को भी नई पहचान मिलेगी। यदि आप भी इन मंदिरों से अपने ड्राइंग रूम की शोभा बढ़ाने चाहते हैं तो आज ही प्रेम सती से संपर्क करें।
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