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श्रीनगर गढ़वाल : ग्राम पंचायत चमराडा आयोजित तीन दिवसीय पंथ्या दादा स्मृति महोत्सव का रविवार को ढोल सागर व लोक गायिका पम्मी नवल एवं साथी कलाकारों की रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ सफल समापन हो गया। रविवार को देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी, समाजसेवी मोहन काला, महंत नितिन पुरी, विमल बहुगुणा व पूर्व पालिका अध्यक्ष कृष्णानंद मैठाणी ने दीप प्रज्वलित कर महोत्सव का शुभारंभ किया। इस अवसर पर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये विनोद कण्डारी ने कहा कि पंथ्या दादा स्मृति महोत्सव हमें वीर पंथ्या दादा के बलिदान एवं त्याग की याद दिलाता है। पंथ्या दादा ने समाज की कुरूतियों को दूर करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। हमें पंथ्या दादा का त्याग कभी नहीं भूलना चाहिए। वहीँ समाज सेवी मोहन काला ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से हमारी संस्कृति एक पीढी से दूसरी पीढी तक पहुंचती है उन्होने कहा कि यह मेला पंथ्या दादा की समृति में आयोजित किया जा रहा है जो उत्तराखण्ड की महान विभूतियों में शामिल है। समाज हित के लिए उनके त्याग को कभी नहीं भूलाया जा सकता है।

इस अवसर पर साहित्यकार डॉ. नन्द किशोर हटवाल को साहित्य के क्षेत्र में विशेष कार्य करने के लिए वर्ष 2020 के पंथ्या दादा सामाजिक, साहित्यिक व सांस्कृतिक स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अन्तिम दिन सुप्रसिद्व रंगकर्मी विमल बहुगुणा द्वारा पाण्डवाणी की शानदार प्रस्तुति दी गयी।panthya-dada-mahotsav

इसी क्रम में समाधि में 17 वीं शताब्दी से निरंतर चलती आ रही पंथ्या दादाजी एवं अन्य पितरों की पूजा का आयोजन भूत पुजाई के रूप में घडेल्ये एवं पित्र स्थान पर पित्र प्रसाद के रूप में सामूहिक भोजन के रूप में मनाया गया। इस कार्यक्रम में 11:00 बजे प्रातः घडेल्ये के साथ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विमल चंद्र काला (गोपी जी) पर पंथ्या दादा अवतरित हुए एवं समस्त भक्त जनों को आशीर्वाद प्रदान किया। साथ ही साथ पंथ्या दादा के घडेल्ये में कीर्ति, भद्रा चाची एवं मां गौरा ने अवतरित होकर भक्तजनों को आशीर्वाद दिया एवं उस मार्मिक एवं ऐतिहासिक कथा की सभी को एक बार पुनः याद दिला दी। उक्त कार्यक्रम में समस्त ग्रामीणों के साथ मोहन काला, ग्राम प्रधान सत्यदेव बहुगुणा, इन्द्र मोहन काला, दिनेश रुडोला, नेत्रमणि मलासी, महिला मंगल दल अध्यक्षा श्रीमती दुर्गा देवी काला, नवयुवक मंगल दल अध्यक्ष राकेश घिल्डियाल एवं समस्त ग्रामीण उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम 17 वीं शताब्दी से निरंतर ऐसे ही चलते आ रहा है समस्त ग्राम का भक्ति भाव देखते ही बनता है।