ऋषिकेश: प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को शुभ महूर्त पर सुहागिनों द्वारा अपने पति की लम्बी उम्र के लिए उपवास रखकर मनाये जाने वाला करवा चौथ त्यौहार इस बार 17 अक्टूबर (बृहस्पतिवार) को है। करवा चौथ व्रत पर इस बार 70 साल बाद रोहिणी नक्षत्र और मंगल ग्रह का योग बनने से अति विशिष्ट संयोग बन रहा है।
उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि रोहिणी नक्षत्र चंद्रमा का अति प्रिय नक्षत्र है और जब मंगल भी चंद्रमा के अति प्रिय नक्षत्र में होता है तो लक्ष्मी योग बनता है इस वर्ष करवा चौथ पर यह संयोग सुहागन स्त्रियों के लिए अति शुभ संयोग लेकर आ रहा है। इस दिन सायंकाल को भगवान गणेश, माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा कर सूर्यास्त के बाद चांद का दीदार कर उसे अर्घ्य देकर पूजन करने से स्त्रियों के शक्ल संकट दूर होंगे, दिनभर व्रत रखकर महिलाएं सायंकाल चंद्रमा की पूजा के बाद अपने पति की लंबी उम्र के लिए तथा घर गृहस्ती के सुख के लिए यह व्रत तोड़ती हैं।
उत्तराखंड ज्योतिष रत्न से सम्मानित ज्योतिष वैज्ञानिक डॉक्टर घिल्डियाल के अनुसार करवा चौथ पर पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:50 से 7:05 तक है। शाम 7:30 बजे से रात 8:35 तक महिलाएं व्रत खोल सकती हैं वैसे ज्यादा शुभ यह रहता है कि जब चंद्रमा के दर्शन हो तब ही व्रत खोला जाए और चंद्रमा के दर्शन अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग समय पर होते हैं।
क्या है रोहिणी नक्षत्र
डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल का कहना है कि वैदिक ज्योतिष में रोहिणी को उधार मनमोहन और शुभ नक्षत्र माना जाता है। 27 नक्षत्रों में यह चौथा नक्षत्र है। उन्होंने बताया कि ज्योतिष में रोहिणी नक्षत्र को महिलाओं की उन्नति मानसिक स्तर तथा विकास का प्रतीक माना गया है। इस वर्ष चंद्रमा और मंगल का इस नक्षत्र पर होना महिलाओं के लिए अति शुभ फलदाई है। करवा चौथ का व्रत 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा। नक्षत्र के अनुसार इस दिन मौसम के साफ रहने की संभावना है जिससे चंद्रमा के दर्शन आसानी से होंगे।
करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त :
तिथि : 17 अक्टूबर
पूजा का शुभ मुहूर्त : 17 अक्टूबर की शाम 5:50 मिनट से शाम 7:05 मिनट तक
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