child-labour-in-srinagar

अपने देश के समक्ष बालश्रम की समस्या एक चुनौती बनती जा रही है। सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम भी उठाये हैं। समस्या को विस्तार और गंभीरता से देखते हुए इसे एक सामाजिक-आर्थिक समस्या माना जा रहा है जो चेतना की कमी, गरीबी और निरक्षरता से जुड़ी हुई है। इस समस्या के समाधान हेतु समाज के सभी वर्गों द्वारा सामूहिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।

बाल एवं किशोर श्रमिकों के सर्वेक्षण एवं चिह्नांकन हेतु जिलाधिकारी पौडी के आदेशानुसार एक समिति का गठन किया गया। जिसमें मुकेश काला, एसआई इन्द्रजीत राणा, राजस्व उप निरीक्षक सजवाण, पुलिस कॉन्सटेबल द्वारा श्रीनगर में सर्वेक्षण कर 04 बच्चों का चिहनांकन होटल, किराना एवं ठेलियों में किया गया। ये सभी बच्चे 14 वर्ष के बिहार किशनगंज से हें। सभी व्यवसायियों का सहयोग इस तरह कोमलमन का विकास श्रम से नही बल्कि उनका सहयोग उनकी शिक्षा हेतु प्रयास किया जाना चाहिए। ताकि एक शिक्षित समाज से समृद्ध राष्ट्र का निर्माण हो सके।

वर्ष 1979 में भारत सरकार ने बाल-मज़दूरी की समस्या और उससे निज़ात दिलाने हेतु उपाय सुझाने के लिए ‘गुरुपाद स्वामी समिति’ का गठन किया था। समिति ने समस्या का विस्तार से अध्ययन किया और अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की। उन्होंने देखा कि जब तक गरीबी बनी रहेगी तब तक बाल-मजदूरी को हटाना संभव नहीं होगा। इसलिए कानूनन इस मुद्दे को प्रतिबंधित करना व्यावहारिक रूप से समाधान नहीं होगा। ऐसी स्थिति में समिति ने सुझाव दिया कि खतरनाक क्षेत्रों में बाल-मजदूरी पर प्रतिबंध लगाया जाए तथा अन्य क्षेत्रों में कार्य के स्तर में सुधार किये जाए। समिति ने यह भी सिफारिश की कि कार्यरत बच्चों की समस्याओं को निपटाने के लिए बहुआयामी नीति बनाये जाने की जरूरत है।