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वैश्विक महामारी कारोना आज हमारे जीवन का हिस्सा बन कर रह गई है, आज भारत मे लॉकडाउन का 57 वाँ दिन है। 54 दिन का लगातार तीसरा लौकडाउन रहा। जिसे 18 मई 2020 से 14 दिन के लिए 31 मई 2020 तक बढ़ा दिया है, जिसे चौथा लॉकडाउन कहा जाएगा, जो अब  कुल 68 दिन का हो गया है। संक्रामक रोग कोरोना (कोविद-19) पूरे विश्व में बढ़ते ही जा रहा है। अब तक दुनियाभर में कोरोना संक्रमितों की संख्या 50,82,660 और मृतकों कि संख्या 3,29,294 जबकि देश में यही संख्या एक लाख से ज्यादा और मरने वालों की संख्या तीन हजार से ज़्यादा हो गई है। देश में एक रोगी से 100 रोगी होने में 45 दिन लगे, 100 से 50 हजार होने में करीब 45 से 50 दिन लगे और 50 हजार से एक लाख होने में मात्र करीब 12 दिन लगे। इस रफ्तार को देख अजीब से भय की आशंका होती है और ये स्थिति बहुत भयानक है। अब जब इसी के साथ जीवन यापन करना है तो हमारा राष्ट्रीय दायित्व और देश प्रेम कहता है हम सरकारी निर्देशों का पालन करें तभी हम इस वैश्विक महामारी कारोना को हरा सकते हैं।

एक कहावत है जान है तो जहान है”… बात सौ आने सही है। जीवन तो चलते रहने का नाम है हर परेशानी… दुःख… तकलीफ़ से लड़कर हमें आगे बढ़ते जाना है। अब जब सभी देश यहाँ तक की डब्लू एच ओ भी कह रहा है की हमे कारोना के साथ जीवन यापन करना सीख लेना चाहिये …. ऐसे समय में हमे कमर कस लेनी चाहिये और मिलकर इस महामारी का सामना करना चाहिये… डर को भगा हिम्मत से काम लेंगे तो  इस कारोना को भी जीतने में सफल हो जाएँगे….   कोरोना एक वायरस है,ऐसे वायरस पहले भी आ चुके हैं  जैसे टीबी, चिकनपॉक्स, मलेरिया, डेंगू, वायरल बुखार के बीच जिस तरह हम जीवन जी रहे हैं, ठीक वैसे ही हमें अब कोरोना को भी अपने जीवन का हिस्सा मानकर आगे बढ़ना है।शायद यही  एक व्यावहारिक उपाय है। हम सभी को सतर्कता, जागरूकता की आवश्यकता के साथ साथ अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने की आवश्यकता है…  सिर्फ एक वायरस है, जिसका हम सब को मुकाबला करना है।

अपने दैनिक जीवन मे थोड़े बदलाव कर हम आसानी से इस कारोना के भय को मिटा अपना जीवन शान्ति से जी सकते हैं जैसे एक निश्चित शरारिक दूरी का ध्यान रख और सारे सरकारी निर्देशों का पालन कर…एक दूसरे का मनोबल बड़ा हम ना सिर्फ़ सुरक्षित रहेंगे बल्कि अपने दैनिक कार्य करते हुए अपनी आजीविका के लिये भी जा सकेंगे। ध्यान सिर्फ़ इतना रखना है की शरारिक दूरी का ध्यान रखना है सामाजिक दूरी का नहीं। जो बीमारी का शिकार हो गये हैं या ठीक होकर वापस आ गये हैं उनका हौसला बढ़ाना है , उनसे सामाजिक दूरी बना उन्हें अपराध बोध या ग्लानि का एहसास नहीं कराना।

थोड़ी सावधानी और थोड़ी सी सतर्कता साथ सेहत के प्रति जागरूकता, भय मुक्त निर्भय हो रह, एक दूसरे की मदद कर, एक दूसरे का सहयोग कर, अपने सामाजिक दायित्व निभा साथ ही राष्ट्र के प्रति एक जागरुक नागरिक बन अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर इन छोटी छोटी बातों का ध्यान रख हम इस बीमारी कारोना के साथ रहते हुए भी खुशहाल जीवन जी सकते हैं फिर गाना भी है…

जीवन चलने का नाम
चलते रहो सुबह-ओ-शाम
के रस्ता कट जाएगा मितरा
के बादल छट जाएगा मितरा
के दुःख से झुकना ना मितरा
के एक पल रुकना ना मितरा
जीवन चलने का नाम…

चलते रहें ख़ुश रहें सब दिन नहीं होत न एक समान… ये वक्त भी कट जाएगा… नई रोशनी का सूरज जगमगाएगा बस जरुरत है अपने हौसले बुलंद रखें और हिम्मत से काम लें, अपना कर्म करते रहें यही इस कठिन समय ने भी हमे सिखाया है की तेज दौड़ कभी कभी थका देती है इसलिये दौड़ो जरूर पर जरुरत और क्षमता अनुसार… समय को पकड़ो उसके पीछे मत भागो … हर वक्त कुछ सिखा कर जाता हाई और आज जब इस महामारी के दौर में बिखरे परिवार एक हुए हैं ये भी तो एक उपलब्धि है… भागते भागते परिवार छूट गये थे अब जब बड़ी मुश्किल से एकत्रित हुए हैं तब दोबारा उन्हें बिखरने से बचाना है साथ ही कारोना को हरा उसी के साथ जीवन यापन करना भी सीखना है।

विजय लक्ष्मी भट्ट शर्मा
दिल्ली