नई दिल्ली: भारत रत्न तथा पद्म विभूषण से अलंकृत 10 बार लोकसभा सांसद रहे भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का आज गुरूवार को नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में निधन हो गया। वे लम्बे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। 93 वर्षीय अटल बिहारी वाजपेयी को गुर्दा (किडनी) की नली में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण आदि के बाद 11 जून को दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। बुधवार को उनकी तबियत ज्यादा बिगड़ने की खबर मिलते देर शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एम्स पहुंचे। पीएम मोदी ने करीब एक घंटे तक एम्स के डॉक्टरों से वाजपेयी के स्वास्थ्य पर चर्चा की। उन्हें लाइफ सपॉर्ट सिस्टम पर रखा गया था। 10 बार लोकसभा सांसद रह चुके देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारत रत्न, पद्म विभूषण, डी.लिट, लोकमान्य तिलक पुरष्कार, लिबरेशन वार अवार्ड, श्रेष्ट सांसद पुरुस्कार आदि से सम्मानित किया जा चुके थे।
25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर मध्यप्रदेश में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के मुख्य नेता होने के साथ-साथ एक ऐसे व्यक्ति थे जिनकी बेबाक आवाज़ के आगे कोई भी राजनेता नहीं टिक पाता था। एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु, वाजपेयी की वाकपटुता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अटल बिहारी वाजपयी को भविष्य का प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी कर डाली। अटल बिहारी वाजपयी ने अपने शासन काल में भारतीय जनता पार्टी को कई उंचाईयों तक पहुचाया। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजीनीति के बहुत ही प्रतिभावान व्यक्ति थे एक राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ अटल बिहारी वाजपेयी एक कवि, संघ प्रचारक (आरएसएस) एंव आदर्शवादी व्यक्ति भी थे। हालांकि पिछले कुछ समय से उन्होंने स्वास्थ्य समस्याओं के चलते राजनीति से दूरी बना ली थी परन्तु इससे पहले पिछले पांच दशको से उन्होंने सक्रिय राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाई है और 10 बार विभिन्न राज्यों से लोकसभा से चुनाव जीतते हुए सांसद बने थे जो की अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
अटल जी छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बन गए थे। उन्होंने ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज ग्रेजुएशन करने के बाद कानपुर के डी०ए०वी० कालेज से राजनीति शास्त्र में एम०ए० किया। इसके बाद वे निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये। डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी कुशलता पूर्वक करते रहे। अटल बिहारी वाजपयी का राजनीति में पहली बार पदार्पण अगस्त 1942 में हुआ। वे भारत छोड़ो आन्दोलन के तहत 23 दिनों के लिए जेल भी गए। उन्होंने 1951 में दीन दयाल उपाध्याय के साथ मिलकर RSS की हिन्दू राजीनीतिक पार्टी “भारतीय जनता संघ” का निर्माण किया। उन्होंने सन 1957 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा जिसमे वे मथुरा के राजा महेंद्र प्रताप से हार गये।
1977 में वाजपयी ने जयप्रकाश नारायण के साथ मिलकर जन संघ को जनता पार्टी में मिला दिया गया और चुनावो में जनता पार्टी की पहली जीत हुई और वाजपयी को मोरारजी देसाई के कैबिनेट में विदेश मंत्री बनाया गया उसके बाद पहली बार सयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देने वाले वे पहले मंत्री बने। 1980 में जनता पार्टी से असन्तुष्ट होकर उन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की। 6 अप्रैल 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी को सौंपा गया।
1996 के लोकसभा चुनावो में भारतीय जनता पार्टी को मिली जीत के बाद बाजपेयी जी को पहली बार 1996 में देश का 10वा प्रधानमंत्री चुना गया, लेकिन लोकसभा में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से 13 दिन में ही उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा। इसके बाद 1998 तक वो लोकसभा में विपक्ष के नेता रहे। 1998 के आमचुनावों में सहयोगी पार्टियों के साथ उन्होंने लोकसभा में अपने गठबंधन का बहुमत सिद्ध किया और इस तरह एक बार फिर प्रधानमंत्री बने। 13 महीनों की सरकार चलाने के बाद एक बार फिर AIDMK का साथ छोड़ने की वजह से लोकसभा भंग हो गयी और फिर से चुनाव हुए। 1999 में हुए चुनाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साझा घोषणापत्र पर लड़े गए और गठबंधन को बहुमत हासिल हुआ और वाजपेयी जी को एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री चुना गया और 5 साल का कार्यकाल पूरा किया।
अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा प्रधानमन्त्री कार्यकाल में किये गए महत्वपूर्ण कार्य
पाक सम्बन्धो में सुधार की पहल
अटल बिहारी वाजपेयी ने एक कदम आगे बढ़ते हुए पाक शासक नवाज शरीफ से बातचीत करते हुए सन 19 फरवरी 1999 को सदा ए सरहद नाम से नई दिल्ली और लाहौर के बीच बीएस सेवा की शुरुआत की और इस तरह भारत पाक सम्बन्धो की नई शुरुआत की लेकिन बदले में भारत को उपहार स्वरूप कुछ महीनो के पश्चात कारगिल युद्ध मिला।
कारगिल युद्ध (ऑपरेशन विजय)
सन 1999 के मई महीने में पाक सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ़ ने धोखे से पाकिस्तानी सेना और कश्मीरी उग्रवादियों की मदद से जम्मू कश्मीर नियन्त्रण रेखा को पार करते हुए हिंदुस्तान पर हमला बोल दिया लेकिन भारतीय फ़ौज के अदम्य साहस के बल पर अटल सरकार ने अंतरराष्टीय शर्तो को ध्यान में रखते हुए बिना नियंत्रण रेखा पार करते हुए पाकिस्तानी सेना को कश्मीर के इलाको से खदेड़ दिया जिसे कारगिल युद्ध के नाम से जाना जाता है और इस तरह से विश्व बिरादरी में भारत पाक के मध्य एकबार फिर से तनाव बढ़ गये।
“दाँव पर सब कुछ लगा है, रुक नहीं सकते
टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते”
अटल जी ने अपनी कविता के जरिये कश्मीर पर नगर गढ़ाए बैठे पाकिस्तान को यह सन्देश दिया कि कश्मीर हमारा कोई जमींन का कोई टुकड़ा नही जो कोई भी हथिया ले।
पोखरण परमाणु परीक्षण
वाजपेयी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक देश को परमाणु शक्ति संपन्न के लिए किये गए पोखरण परमाणु परीक्षण भी है. 11 और 13 मई 1998 को भारतीय परमाणु वैज्ञानिकों द्वारा पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया। इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर एक सुदृढ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया। यह सब इतनी गोपनीयता से किया गया कि अति विकसित जासूसी उपग्रहों व तकनीकी से संपन्न पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी। यही नहीं इसके बाद पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर अनेक प्रतिबंध लगाए गए लेकिन वाजपेयी सरकार ने सबका दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊचाईयों को छुआ।
स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना
अटल सरकार ने अपने कार्यकाल में भारत भर के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की शुरुआत की। इसके अंतर्गत दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्ग से जोड़ा गया। ऐसा माना जाता है कि अटल जी के शासनकाल में भारत में जितनी सड़कों का निर्माण हुआ इतना केवल शेरशाह सूरी के समय में ही हुआ था।
“गीत नहीं गाता हूँ, गीत नहीं गाता हूँ
बेनकाब चेहरे हैं, दाग बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ, गीत नहीं गाता हूँ”.
साभार: इंटरनेट