इंसान के अन्दर यदि कुछ नया करने की ललक है, तो निश्चित रूप से वह नया करके दिखाता है। अगर इंसान के अन्दर किसी भी कार्य के प्रति जजवा हो तो फिर असम्भव कुछ भी नहीं है। यह बात राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी अध्यापक तथा नशा उन्मूलन प्रभारी शिक्षा विभाग जनपद पौडी गढवाल में कार्यरत अखिलेश चन्द्र चमोला पर लागू होती है। लॉकडाउन के चलते हुए अपने अध्यापन कार्य करने के बाद चमोला ने शिक्षा के क्षेत्र में नई पुस्तक लिखी। जिसका नाम उत्कृष्ट अंक प्राप्त करने हेतु महत्वपूर्ण सुझाव तथा शैक्षिक नवाचार एवं क्रियात्मक शोध है, यह पुस्तक बहुत जल्दी विद्यार्थियों के पास देखने को मिलेगी।
शिक्षक चमोला इस पुस्तक का श्रेय अपने जनपद पौडी गढवाल के मुख्य शिक्षा अधिकारी मदन सिंह रावत देते हैं। चमोला का कहना है कि उनके रचनात्मक कार्यों को मुख्य शिक्षा अधिकारी अधिकारी महोदय द्वारा सराहा गया है। इस तरह की सराहना से मनोबल में बृद्धि होती है। सृजनात्मक क्षमता का संवर्धन होता है।
चमोला द्वारा यह पुस्तक कक्षा-10 में अध्ययनरत छात्रों को केन्द्रित करके लिखी गई है, लेकिन शिक्षाविदों का मानना है कि यह पुस्तक सभी विद्यार्थियो के लिए बहुउपयोगी साबित होगी। केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढवाल में कार्यरत दर्शन शास्त्र विभाग की वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. विभा ”मुकेश” डिमरी का कहना है कि मैंने पुस्तक का भलीभांति अध्ययन किया है। यह पुस्तक भावी पीढ़ी के सफल मार्गदर्शन में संजीवनी का कार्य करेगी। इस पुस्तक से छात्रों के आत्मविश्वास में वृद्धि के साथ ही उनका समुचित परिमार्जन भी होगा। वरिष्ठ प्रोफेसर राजाराम नौटियाल का कहना है कि यह पुस्तक अभिभावक, शिक्षक और विद्यार्थियो के लिए सेतु का कार्य करेगी। डॉ. विनय नौटियाल प्राध्यापक रा. स्ना. महाविद्यालय गोपेश्वर चमोली का कहना है कि यह पुस्तक निसन्देह ही छात्रों को नवाचार के लिए प्रेरित करते हुए उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करने में अहम भूमिका का निर्वहन करेगी। डॉ. आशीष घिल्डियाल, कला निष्णात-आंग्ल भाषा ”स्वर्ण पदक प्राप्त” केंद्रीय विश्वविद्यालय का कहना है कि इस पुस्तक का अध्ययन करने से छात्र अपने जीवन में अच्छे संस्कार से सम्पन्न होकर अच्छी तरह से पुष्पित और पल्लवित होंगे। प्रीतम सिंह गुसाईं, उत्तराखंड हाई स्कूल बोर्ड परीक्षा 2015 के टॉपर का कहना है कि इस पुस्तक का अध्ययन करके छात्र अपने अन्दर असीम ऊर्जा का बोध करने के साथ ही अपने लक्ष्य की प्राप्ति करने में सफल होगे।
चमोला ने इस पुस्तक में अभिभावकों का अपने पाल्यो के प्रति क्या कर्तव्य हैं? इस पर भी बडे सुन्दर शब्दों में प्रकाश डाला है। इसके साथ ही विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों की प्रतिष्ठा बनी रहे, इस के लिए महापुरुषों के प्रेरणा दायनी विचारों को भी समाहित करने का बडा ही सराहनीय प्रयास किया है। समय के चलते ऑनलाइन शिक्षण की उपादेयता को भी बडे सरल शब्दों में समझाने का प्रयास किया गया है। पुस्तक का आमुख केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढवाल के वरिष्ठ प्रोफेसर राजनीति विज्ञान के प्रो. एमएस सेमवाल ने लिखी है। साथ ही पर्यटन तथा संस्कृति मन्त्री सतपाल महाराज, अजय भट्ट, शिक्षा मन्त्री अरविंद पाण्डेय, भरत सिंह चौधरी विधायक रुद्रप्रयाग, मानव उत्थान सेवा समिति के प्रभारी महात्मा सत्यवोधानन्द आदि ने शुभकामना सन्देश के साथ ही चमोला के लेखन कार्य की अनुशंसा की है। पुस्तक के लेखक अखिलेश चन्द्र चमोला का कहना है कि मेरा प्रयास भावी पीढ़ी में भारतीय संस्कृति के बीज रोपित करते हुए उनमें नैतिक मूल्यों के साथ आत्मसात करने का प्रयास किया गया है। जिससे छात्र अपने जीवन में किसी भी परीक्षा में पीछे नहीं रह सकते हैं। पुस्तक पूर्ण रूप से तैयार हो गई है। बहुत जल्दी ही विद्यार्थियों को वितरित की जायेगी।