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हिमालय साहित्य एवं कला परिषद् श्रीनगर गढ़वाल द्वारा कविताओं के माध्यम से कोरोना के प्रति सचेत करते हुए नूतन वर्ष का स्वागत किया गया। शगुन रेस्टोरेंट के सभागार में आयोजित भव्य कार्यक्रम की मुख्य अतिथि नगर पालिका परिषद् श्रीनगर गढ़वाल की अध्यक्षा श्रीमती पूनम तिवारी, रुड़की से पधारे विशिष्ट अतिथि मशहूर शायर पंकज त्यागी, प्रोफेसर उमा मैठाणी तथा नगर पालिका के पूर्व चेअरमैन कृष्णानंद मैठाणी ने दीप प्रज्ज्वलन कर आयोजन का उद्घाटन किया। कार्यक्रम की शुरुआत श्रीमती आरती पुण्डीर के सरस्वती वंदना गायन से की गई। इसके बाद उत्तरकाशी से पधारी श्रीमती प्रमिला बिल्जवाण ने आगामी बसंत ऋतु का स्वागत करते हुए ‘सुनो ऋतुराज, नव विप्लव कैसे करायो बादल गरजो, बादल गरजो! रचना प्रस्तुत की।

स्थानीय कवयित्री श्रीमती पूनम रतूड़ी ने विश्व हिंदी दिवस की सार्थकता को निरूपित करती रचना मैं हिंद हूं हिंद की वासी, हिंदी है मेरी भाषा सुनाकर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी। वहीँ मंजाकोट टिहरी से पधारी युवा रचनाकार ममता बेलवाल ने ‘जिंदगी आसान नहीं, कई किरदार निभाने पड़ते हैं।’ कभी बहू कभी सास का किरदार फर्ज निभाना पड़ता है। कविता सुनाकर जीवन दर्शन को काव्य रूप में निरूपित किया।

प्रसिद्ध गढ़ कवि देवेंद्र उनियाल ने शब्दों के प्रभाव, शब्दों के महत्व, शब्दों की व्यापकता को रेखांकित रचना प्रस्तुत की। कीर्तिनगर से पधारे जय कृष्ण पैन्यूली माटी ने

वो सच को इस तरह से पालता रहा
रोज एक बूंद पसीना गुल्लक में डालता रहा। कविता पाठ कर खूब वाह‌वाही बटोरी।

अजय चौधरी ने गढ़वाली कविता

‘चकड़ैतों का बीच रौण ऐगी
फसाक मारी अब फसकोण ऐगी’ का शानदार पाठ किया।

नीरज नैथानी ने अपनी कविता के माध्य से चेताया..

‘मेरे दोस्त,हो सके तो
भटके कदमों को संभालो
बिगड़े समाज को बचालो
अपने साथ गिरते जमीर
को उठलो
वरना गिरने का
ये सिलसिला जारी रहा
तो सारे
नैतिक मूल्य
रसातल में धंस जाएंगे
अपने ही बनाए जाल में
हम फंस जाएंगे।

रुड़की से पधारे पंकज त्यागी ने खुबसूरत शेर पढ़कर महफिल को खुशगंवार कर दिया।

आप अपना लहजा थोड़ा मीठा करके देखिए
जो मिलेगा आपसे वो आपका हो जाएगा।

वरिष्ठ रंगकर्मी विमल बहुगुणा ने वाद्य यंत्रों सहित प्रभावशाली गायन प्रस्तुत कर माहौल को रसमय बना दिया। महेश गिरि ने उपस्थित श्रोताओं के समक्ष संस्था की गतिविधियों को रेखांकित करते हुए संस्था का विस्तृत परिचय प्रस्तुत किया। ट्रस्ट की मुख्य संरक्षिका प्रोफेसर उमा मैठाणी ने संस्था द्वारा किये जा रहे सामाजिक कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया। कृष्णा नंद मैठाणी ने हिंदी तथा गढ़वाली दोनों भाषाओं में असरदार काव्य पाठ किया। सभा के समापन चरण में उपस्थित समस्त साहित्यानुरागियों ने राष्ट्गान का समवेत स्वर में गान किया। कार्यक्रम में रोटेरियन नरेश नौटियाल, रंगकर्मी मदन डंगवाल, शैलनट नाट्य संस्था के अध्यक्ष अभिषेक बहुगुणा, सचिव मनोज कांत उनियाल, गढ़वाल सांसद तीरथ रावत की प्रतिनिधि श्रीमती आशा पैन्यूली, प्रोफेसर आरपी थपलियाल, प्रभाकर बाबुलकर, रंगकर्मी वीरेंद्र रतूड़ी, श्रीमती माधुरी नैथानी, गौरव नौटियाल, आंदोलनकारी रतूड़ी, कांग्रेसी नेता प्रदीप तिवाड़ी आदि महानुभाव उपस्थित रहे।