Padmashree Award : गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिए जाने वाले पद्म पुरस्कारों का सोमवार को एलान किया गया। इस वर्ष पद्म पुरस्कारों सम्मानित होने वाली विभूतियों की सूची में दो नाम उत्तराखंड से भी शामिल हैं। 72वें गणतंत्र दिवस पर कुल 119 हस्तियों को पद्म पुरस्कार प्रदान किए गए। जिनमें 7 पद्म विभूषण, 10 पद्म भूषण और 102 पद्मश्री पुरस्कार शामिल हैं। चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए उत्तराखंड के डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय को देश के प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कार “पद्मश्री” से सम्मानित किया गया है। उनके साथ ही कृषि क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए उत्तराखंड की एक और शख्सियत प्रेम चंद शर्मा को भी पद्मश्री सम्मान मिला है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पद्मश्री से सम्मानित होने पर डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय और प्रेम चंद शर्मा को शुभकामनाएं दी हैं। सीएम रावत ने दोनों ही हस्तियों को असाधारण बताया। साथ ही ट्वीट किया कि उनके अद्भुत कार्यों से आज उत्तराखंड का नाम देश और दुनिया में रोशन हुआ है। वे सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
इससे पहले भी वर्ष 2019 में संगीत व कला क्षेत्र में जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण और अनूप साह को पद्म श्री से नवाजा गया था। वहीं, 2020 में चिकित्सा क्षेत्र से डॉ. योगी एरन और सामाजिक कार्यकर्ता कल्याण सिंह रावत को पद्म श्री दिया गया था।
कौन हैं “पद्मश्री” से सम्मानित डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय
देश के प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कार “पद्मश्री” से सम्मानित होने वाले देहरादून निवासी डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय को चिकित्सा जगत में उनकी 40 साल की सेवा का इनाम मिला है। डॉ. संजय का नाम चिकित्सा जगत में बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है। डॉ. संजय के नाम पर कई उपलब्धियां और पुरस्कार हैं। 2005 में हड्डी का सबसे बड़ा ट्यूमर निकालने का विश्व रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज हुआ। इसके अलावा 2002, 2003, 2004 व 2009 में सर्जरी में कई अभिनव उपलब्धियों के लिए उन्हें लिम्का बुक में स्थान मिला। जिनमें 98 वर्षीय हाई रिस्क मरीज की सफल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी, 88 वर्षीय बुजुर्ग की स्पाइन सर्जरी आदि शामिल है। उनकी इन उपलब्धियों के लिए उन्हें सैकड़ों पुरस्कार मिल चुके हैं।
डॉ. संजय इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन की उत्तराखंड शाखा के संस्थापक अध्यक्ष रहे हैं। इसके अलावा वे कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भी जुड़े हैं। वे उत्तराखंड लोक सेवा आयोग में सलाहकार और एचएनबी बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय की एक्सपर्ट कमेटी के सदस्य भी रह चुके हैं। अभी वे एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के सदस्य हैं। डॉ. संजय को कई देशों से फेलोशिप भी मिली है। सर्जरी के क्षेत्र में उपलब्धियों के लिए उनका नाम लिम्का बुक और गिनीज बुक में भी शामिल किया गया है। सामाजिक क्षेत्र में उनका नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे पिछले कई वर्षों से राजपुर रोड स्थित जाखन में संजय ऑर्थोपेडिक एंड स्पाइन सेंटर का संचालन कर रहे हैं। डॉ. संजय ने चिकित्सा जगत के साथ ही समाज सेवा के क्षेत्र में भी अपनी विशिष्ठ पहचान बनाई है। पोलियो, मस्तिष्क पक्षाघात, बच्चों में लकवा और विकलांगता के खिलाफ वह लगातार काम कर रहे हैं। अपने 40 वर्ष के लंबे मेडिकल करियर में अपनी टीम के साथ उन्होंने पांच हजार से अधिक बच्चों को जीने की नई उम्मीद दी है। इसके अलावा सड़क दुर्घटना से होने वाली शारीरिक, मानसिक, आर्थिक व सामाजिक क्षति को लेकर भी वो लंबे समय से जागरूकता अभियान चला रहे हैं।
कौन हैं “पद्मश्री” से सम्मानित प्रेमचंद शर्मा
इस वर्ष पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित होले वाले उत्तराखंड की दूसरी शख्सियत प्रेमचंद शर्मा एक प्रगतिशील किसान हैं। विकासखंड चकराता के अटाल गांव के रहने वाले प्रेमचंद शर्मा पहाड़ में अनार की खेती में अभिनव प्रयोग के लिए विख्यात हैं। 63 वर्षीय किसान प्रेमचंद परंपरागत खेती बाड़ी के साथी कृषि विविधीकरण पर काम कर रहे हैं। पद्म पुरस्कार से पहले प्रेम चंद को राष्ट्रीय कृषक सम्राट सम्मान भी मिल चुका है।
प्रेमचंद शर्मा ने अनार के अलावा सेब, नाशपाती, टमाटर, गोभी, शिमला मिर्च आदि की खेती में भी उत्कृष्ट कार्य किया है। उन्होंने सबसे पहले अटाल क्षेत्र में अनार की कलमें लगा कर एक नई प्रजाति की पैदावार करने में कामयाबी हासिल की थी। पर्वतीय क्षेत्रों में सिंचाई की समस्या के चलते प्रेम चंद शर्मा ने प्लास्टिक मल्चिंग और टपक सिंचाई का प्रयोग कर सफलतापूर्वक अनार की खेती की। पहाड़ में खेती की उनकी इस तकनीक से मृदा में नमी बनी रही और 25 से 30 फीसदी तक उत्पादन बढ़ा।
डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय जी ने चिकित्सा और श्री प्रेम चंद शर्मा जी ने कृषि के क्षेत्र में समाज, राष्ट्र और मानवता के प्रति अदभुत कार्य किया है, जिससे देवभूमि उत्तराखंड का नाम देश व दुनिया में रोशन हुआ है। आप दोंनो हम सभी के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। जय हिंद, जय उत्तराखंड।
इन्हें मिला पद्म विभूषण
- शिंजो आबे (जनसेवा, जापान): जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को जनसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्योंलिए पद्म विभूषण सम्मान दिया गया है।
- एसपी बालासुब्रमण्यम (मरणोपरांत) (कला, तमिलनाडु): देश के प्रसिद्ध गायक एसपी बालासुब्रमण्यम ने 50 साल के गायकी करियर में तेलुगू, तमिल, कन्नड़, हिंदी और मलयालम में 40,000 से ज्यादा गाने गाए थे।
- डॉ. बेल्ले मोनप्पा हेगड़े (चिकित्सा, तमिलनाडु): डॉ. बेल्ले मोनप्पा हेगड़ेकर्नाटक के प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ हैं। वे शिक्षाविद, प्रेरक वक्ता और लेखक भी हैं।
- नरिंदर सिंह कपानी (विज्ञान और प्रौद्योगिकी, यूएसए): भारतीय मूल के अमेरिकी भौतिक वैज्ञानिक हैं। उन्हें फोर्ब्स मैगजीन ने बिजनेसमैन ऑफ द सेंचुरी एडिशन में अनसंग हीरोज के तौर पर नामित किया था। उन्होंने ही 1956 में फाइबर ऑप्टिक्स शब्द ईजाद किया था।
- मौलाना वहीदुद्दीन खान (अध्यात्म, दिल्ली): दिल्ली में रहने वाले मौलाना वहीदुद्दीन खान का जन्म 1 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में हुआ था। वे प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान और शांति कार्यकर्ता हैं। उन्हें सोवियत संघ के दौर में राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव ने डेमिर्गुस पीस इंटरनेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया था।
- बीबी लाल (पुरातत्व, दिल्ली): दिल्ली के प्रसिद्ध पुरातत्वविद बीबी लाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक रह चुके हैं। उनकी किताब ‘राम, उनकी ऐतिहासिकता, मंदिर और सेतु: साहित्य, पुरातत्व और अन्य विज्ञान’ को लेकर खासी बहस हुई थी। इसमें विवादित ढांचे के नीचे मंदिर होने की बात कही गई थी।
- सुदर्शन साहू (कला, ओडिशा): ओडिशा के सुदर्शन साहू प्रसिद्ध मूर्तिकार हैं। वे पौराणिक कथाओं को रेत की मूर्तियों में ढालने में माहिर हैं। उनकी बनाई कलाकृतियों की प्रदर्शनी देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं।
इन्हें मिला पद्म भूषण
कृष्णन नायर शांताकुमारी | कला | केरल |
तरूण गोगोई (मरणोपरांत) | जनसेवा | असम |
चंद्रशेखर कंबारा | साहित्य और शिक्षा | कर्नाटक |
सुमित्रा महाजन | जनसेवा | मध्य प्रदेश |
नृपेंद्र मिश्र | लोक सेवा | उत्तर प्रदेश |
रामविलास पासवान | जनसेवा | बिहार |
केशुभाई पटेल | जनसेवा | गुजरात |
कल्बे सादिक | धर्म | उत्तर प्रदेश |
रजनीकांत देवदास श्रॉफ | व्यापार उद्योग | महाराष्ट्र |
तरलोचन सिंह | जनसेवा | हरियाणा |
इनके अलावा 102 लोगों को पद्म श्री (Padma Shri) अवार्ड प्रदान किए गए
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) January 26, 2021