सतपुली : विगत कई वर्षों से लगातार देखा जा रहा है कि नयारघाटी के जंगलों में कई जगह दवानल लगातार भडक रही है, और विकराल रूप ले रही है। नयारघाटी के चारों और के वन में वनाग्नि और दावानल से धूधू कर जल रहे हैं। साथ ही जगली पशु पक्षी और जानवर अपनी जान गँवा रहे हैं। वहीं सतपुली जो कि तक़रीबन 200 गांवों का मुख्य बाज़ार होने के साथ ही पौड़ी की ह्रदय स्थली भी है, में कई आगजनी की घटनाये हो जाती है लेकिन इससे निपटने के लिए प्रशासन के पास कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। और उन्हें कोटद्वार या पौड़ी दमकल विभाग की राह देखनी होती है। विगत माह चौमासू में लगी जंगल की भयंकर आग पर काबू पाने के लिए कोटद्वार से दमकल की गाडी आई तब जाकर आग बुझाई जा सकी। जबकि कोटद्वार और पौड़ी की दुरी सतपुली से 54 से 56 किमी है और जब तक वहां से कोई राहत पहुंचे तब तक काफी नुकसान हो जाता है। दूसरी और वन विभाग द्वारा अपनी ओर से वनों में लगने वाली आग को बुझाने का भरकस प्रयास किया जाता है लेकिन उचित उपकरण न होने के कारण वह भी लाचार है, तथा उपकरणों की कमी के कारण कई बार उनकी जान पर बन आती है और कई बार वह इस दवानल में अपनी जान भी गवां देते है। इसे देखते हुए आज सुधा डोभाल, तहसीलदार सतपुली के माध्यम से उत्तराखंड मुख्यमंत्री को सतपुली में दमकल विभाग स्थापित करने तथा जब तक फायर स्टेशन बने तब तक दमकल की गाडी हमेशा सतपुली में तहसील में खड़ी रखने का ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन देने वालों में डब्बल मियाँ, अंकित नेगी, अमित रावत, प्रेम सिंह रावत, हरी सिंह, मनीष खुगशाल स्वतंत्र, इन्द्रजीत असवाल सहित अनेक लोग थे।