श्रीनगर गढ़वाल : अजीम प्रेम जी फाउंडेशन द्वारा 14 जून से आयोजित सामाजिक विज्ञान की गढ़वाल स्तरीय ग्रीष्मकालीन ऑनलाइन कार्यशाला “वैश्विक महामारी और हम” का सफल समापन हो गया।
सामाजिक विज्ञान की गढ़वाल स्तरीय ग्रीष्मकालीन ऑनलाइन कार्यशाला में शिक्षकों द्वारा “वैश्विक महामारी और हम” के इर्द-गिर्द संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रत्येक दिन सोशल मीडिया के माध्यम से विभिन्न विषयों पर शिक्षकों की राय व विचार रखने के साथ ही टीम एप्प के जरिये जुड़कर कार्यशाला का आयोजन किया गया। ऑनलाइन कार्यशाला में प्रदीप अणथ्वाल, ऋचा पटेल, जगमोहन चोपता, क्रतिका, कल्पना बिष्ट, स्वीटी व गणेश बलुनी ने सन्दर्भदाता की भूमिका निभाई।
ग्रीष्मकालीन कार्यशाला के अंतिम दिवस की शुरूआत क्रतिका ने सभी का स्वागत करते हुये तीन दिनों में हुई चर्चा के आलोक में हुई चर्चा का संदर्भ रखते हुये की।
कार्यशाला में डॉ. एसपी सती ने वैश्विक महामारियों के बारे में बात रखते हुये कोरोना महामारी और पूर्व में हुई महामारियों के बीच अंतर और उनके कारणों पर विस्तार से रखा। कहा कि वर्तमान में पर्यावरणीय नुकसान और वैश्विक रूप से लोगों के आवागमन और कम्युनिकेशन से बीमारी त्वरित रूप से विश्व भर में फैल गई। बेहतर कम्युनिकेशन और शोध के चलते जहां इसके बचाव और जानकारी का काम तेजी से हुआ है वहीं अफवाहें भी उतनी तेजी से फैली है। डॉ. सती ने कहा कि सूचनाओं के प्रति इस दौर में जागरूकता और उपयोग बढ़ने का फायदा आगामी समय में जरूर होगा।
कार्यशाला में मुख्य रूप से महामारियों के उद्भव, कारण और प्रसार कि ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को समझने, इसका मानव, पर्यावरण और सामाजिक-आर्थिक-राजनितिक ताने-बाने पर हुए प्रभाव को समझने, इस महामारी के सन्दर्भ में स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के बीच पारस्परिक क्रिया कि पहचान करना और उन्हें समझने, संकट कि स्थिति में स्थानीय सरकारों और वैश्विक संगठनों द्वारा अपनाये गए विभिन्न तरीकों का विश्लेषण करने, महामारी के सन्दर्भ में बदलते वैश्विक परिदृश्य और शक्ति-केन्द्रों को समझने को लेकर काम किया गया।
इस प्रक्रिया में तीन दिन अज़ीम प्रेमजी फाउण्डेशन् के संदर्भ व्यक्तियों ने अपनी विभिन्न गतिविधियों के जरिये अपनी बातचीत रखी वहीं समापन के दिन आमंत्रित संदर्भ व्यक्ति ने संवाद को बढ़ाया। कार्यशाला में अंतिम दिवस गढ़वाल प्रभारी जगमोहन कठैत ने भी अपने विचारों को साझा किया।
अंत में जगमोहन चोपता ने सामाजिक विज्ञान की प्रकृति और प्रक्रिया के आलोक में चार दिनों हुई चर्चा को जोड़ते हुये समेकन किया। साथ ही प्रतिभागियों के समक्ष प्रस्ताव रखा कि सामाजिक विज्ञान की यह चर्चा हर माह होने की आवश्यकता लग रही है जिसमें शिक्षक साथी भी तैयारी के साथ अपनी बातचीत को रखने और संवाद को बढ़ाने में शामिल होंगे। इसको लेकर शिक्षक साथियों ने अपनी सहमति जताई। सभी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यशाला का समापन किया गया। कार्यशाला में गढ़वाल मण्डल के चार जिले पौड़ी, रूद्रप्रयाग, टिहरी व चमोली के 60 अध्यापक अध्यापिकाओं ने प्रतिभाग किया
महेश गिरि