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देहरादून : उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में से चौंकाने वाली खबर आई है। स्पेक्स संस्था की वार्षिक पेयजल गुणवत्ता रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि  देहरादून के ज्यादातर इलाकों का पानी पीने लायक नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार देहरादून के कई इलाकों का जल सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। पांच से आठ जुलाई के बीच देहरादून और उसके आसपास के क्षेत्रों से इकट्ठा किए गए पीने के पानी के 125 में से 90 प्रतिशत सैंपल मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए। इसमें क्लोरीन, बीमारी फैलाने वाले कोलीफार्म और खारेपरन का लेवल तय मानकों से कई गुना ज्यादा मिला है। जिससे सैकड़ों बिमारियां होने का खतरा बढ़ गया है। आम जन ही नही बल्कि नेता, मंत्रियों के घर भी पीने लायक पानी उपलब्ध नहीं है।

रिपोर्ट के मुताबिक क्लोरीन ज्यादा होने, फीकल कॉलिफार्म, सुपर क्लोरिनेशन और कठोरता के कारण पानी पीने लायक नहीं है। पेयजल में अवशोषित क्लोरीन का मानक 0.2 मिग्रा प्रति लीटर है लेकिन देहरादून के केवल सात स्थानों में ही यह मानकों के अनुरूप पाया गया जबकि 53 स्थानों में इसका स्तर मानक से ज्यादा था। जिससे कई खतरनाक बिमारियों का खतरा बढ़ गया है।

रिपोर्ट के अनुसार राजपुर रोड, डीएम कैंप दफ्तर, समेत 36 जगहों पर कॉलीफॉर्म का स्तर मानक से ज़्यादा पाया गया। कुल 75 जगहों पर पेयजल की गुणवत्ता मानक के मुताबिक नहीं मिली। यही नहीं, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज व गणेश जोशी के निवास समेत डीएम आवास, मेयर निवास डोभालवाला, विधायक खजान दास आवास, एसएसपी आवास में भी क्लोरीन का स्तर मानक से कई गुना ज़्यादा पाया गया। 53 अन्य स्थानों पर भी क्लोरीन मानक से ज्यादा मिली। वहीं, 10 क्षेत्रों में क्लोरीन की मात्रा मानक से काफी कम और 49 स्थानों पर शून्य पाई गई। हालांकि डोभालवाला, इंदरेश नगर, तपोवन एन्क्लेव, राजेश्वरपुरम जोगीवाला, लक्खीबाग, भंडारी बाग और सरस्वती विहार अजबपुर क्षेत्रों में क्लोरीन मानक के अनुसार पाया गया।

गौरतलब है कि ये दूषित जल से पथरी के खतरे, लिवर, किडनी, आंखों, जोड़ों पर खतरनाक प्रभाव डालता है। इससे हाज़मे पर खराब असर पड़ता है। इतना ही नहीं बालों और त्वचा पर बुढ़ापे के लक्षण दिखने लगते है त्वचा खराब होने लगती है। फीकल कॉलिफॉर्म से पेट में कीड़ों, हैजा, दस्त, पीलिया और हेपेटाइटिस बी को जोखिम काफी बढ़ जाता है, इसके साथ ही पानी में ज़्यादा मात्रा में क्लोरीन होने से तो पेट के गंभीर रोगों के साथ ही कैंसर व अल्सर के खतरे बढ़ जाता हैं।