अल्मोड़ा : गणतंत्र दिवस 2022 के मौके पर घोषित होने वाले पद्म पुरस्कारों के नामांकन की प्रकिया गृहमंत्रालय की ऑनलाइन वेबसाइट https://padmaawards.gov.in पर शुरू हो चुकी है और 15 सितंबर 2021 नामांकन की आखिरी तारीख है। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पद्म पुरस्कार के लिये लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के नाम की संस्तुति केंद्र सरकार को करने की घोषणा भी कर दी है। लेकिन दशकों पुरानी माँग के बाबजूद मुख्यमंत्री के द्वारा पद्म पुरस्कारों की संस्तुति में उत्तराखण्ड के महान कालजयी सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी का नाम एक बार फिर नदारद होने से पहाड़ की आम जनता, देशभर के कलाकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवी वर्ग में गहरा आक्रोश देखने को मिल रहा है। उत्तराखण्ड के प्रतिष्ठित समाजिक कार्यकर्ता तथा “ग्रामीण विकास जनसंघर्ष समिति” के कार्यकारी निदेशक मोहन चंद्र उपाध्याय ने इस मामले में फिर से अपनी गहरी नाराजगी प्रकट करते हुये सरकार से लोकगायक गायक नरेंद्र सिंह नेगी के साथ ही सुर सम्राट स्वर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामी के नाम को भी पद्म पुरुस्कार के लिये संस्तुति करने की माँग की है। गोपालबाबू गोस्वामी को भुलाये जाने पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया प्रकट करते हुये समाजिक कार्यकर्ता ने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, देश के गृहमंत्री तथा प्रधानमंत्री मोदी को एक विस्तृत पत्र लिखकर स्व. गोपालबाबू के द्वारा लोक-कला एवं लोक-संस्कृति के क्षेत्र में समाज के लिये किये गये सदी के सर्वोच्च योगदान को याद दिलाया है।
अपने पत्र में आरोप लगाते हुये उन्होंने लिखा है,“कि बेहद दुख और अफसोस के साथ कहना पढ़ रहा है कि हिमालय सुर सम्राट के नाम से विख्यात भारत के महानतम लोकगायक, गीतकार, कवि, लेखक, उद्घोषक तथा समाज सुधारक स्व. गोपालबाबू गोस्वामी के लिये आम जनता द्वारा बार-बार गुहार लगाये जाने के बाबजूद आज तक किसी भी सरकार ने ना तो जीते जी और ना ही उन्हें मरणोपरांत किसी भी राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया है। जबकि सांस्कृतिक उत्थान, समाज कल्याण और राष्ट्रहित सर्वोपरि के सिद्धान्त पर आजन्म समर्पित रहे गोपालबाबू गोस्वामी ने अपनी लेखनी और सुरों का इस्तेमाल कर आम जनमानस के मन मस्तिष्क पटल पर एक ऐसी प्रेरणाप्रद और अमिट छाप छोड़ी, कि लाखों लोगों ने उन्हें अपना प्रेरणास्रोत मानकर उनके प्रकृति प्रेम, देश प्रेम, दया, करुणा, सदाचार, सामाजिक समरसता, अंत्योदय समाजसेवा से जुड़ी बातों को आत्मसात किया।
स्व. गोस्वामी की प्रतिभा का उल्लेख करते हुऐ एक्टिविस्ट उपाध्याय ने कहा कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी गोपालबाबू गोस्वामी भारत के कला जगत में सदी के एकमात्र ऐसे दुर्लभतम (आल इन वन) कलाकार थे,जो स्वयं ही अपनी चमत्कारिक लेखनी से सामाजिक प्रेरणा के कालजयी गीतों को लिखते थे और स्वयं अपने शाश्वत मंत्रमुग्ध सुरों से इस तरह गाते थे कि उनके द्वारा गायी गयी लगभग सभी रचनायें सुपरहिट होकर अमर साहित्यिक कृतियों में दर्ज हुई। करीब साढ़े पाँच सौ सदाबहार लोकगीतों की स्वयं रचना कर सूचना, शिक्षा और मनोरंजन को एक साथ समेटकर जीवंत लोकगीत बनाने की कला में उनके जैसा माहिर कलाकार शायद ही दूसरा कोई हुआ हो। लोकगीतों के माध्यम से समाज के लिये गोपालबाबू गोस्वामी के द्वारा किये गये उत्कृष्ट योगदान को याद करते हुऐ समाजिक कार्यकर्ता उपाध्याय ने लिखा है कि गोपालबाबू गोस्वामी आधुनिक भारत के ऐसे पहले समाजसेवी गायक थे जिन्होंने 80 के दशक में ही अपने लोकगीतों के माध्यम से ग्रामीण भारत से हो रहे भीषण पलायन, हिमालयन पहाड़ी राज्यों की पीड़ा, जनसंख्या, बेरोजगारी, जल, जंगल, पर्यावरण प्रदूषण, पाश्चात्य सभ्यता और भारतीय समाज में आ रहे खौफनाक विकृतियों, नारी पीढ़ा आदि सभी ज्वलंत मुद्दों से देश को सावधान रहने की चेतावनी जारी कर दी थी, जिन समस्याओं से आज देश अब बूरी तरह जूझ रहा है। समाजिक कार्यकर्ता उपाध्याय द्वारा स्व. गोपालबाबू गोस्वामी को पद्म पुरुस्कार दिये जाने की माँग का पुरजोर समर्थन करते हुऐ उत्तराखण्ड लोकसंस्कृति समिति (GN.NCR ) के महासचिव एवं वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता तारा दत्त शर्मा, प्रवासी उत्तराखण्डी समुदाय (पंजाब-चंडीगढ़) की अध्यक्ष मधु पांडेय, उत्तराखण्ड हाईकोर्ट बार के पूर्व प्रेसीडेंट अधिवक्ता पूरन सिंह बिष्ट, पंजाब हाईकोर्ट के अधिवक्ता मदन मोहन पांडेय, सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश चंद्र जोशी, केश्वदत्त जोशी, दयाल पांडेय, हरीश फूलोरिया समेत सैकड़ों समाजिक कार्यकर्ताओं ने स्वर्गीय गोपालबाबू गोस्वामी को राष्ट्रीय पुरस्कार देने की माँग की है।