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ग्रेटर नोएडा: यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र के तीन गांवों की जमीन के चकबंदी घोटाले में एसआईटी की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। एसआईटी की जांच में पता चला है कि अधिकारियों ने तीन गांवों में कुल 2735 बीघा सरकारी जमीन की बंदरबांट कर किसानों और फर्जी कास्तकारों के नाम कर दी गई। इससे प्राधिकरण को करीब तीन हजार करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है। साथ ही चारागाह की 80 बीघा जमीन भी गायब कर दी गई। एसआईटी की रिपोर्ट पिछले करीब दस माह से जिला प्रशासन के पास पड़ी है, लेकिन अभी तक किसानों से रिकवरी नहीं हो सकी।

उल्लेखनीय है कि यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के जगनपुर, अफजलपुर, अट्टा फतेहपुर और दनकौर में 1982 से 2012 तक चकबंदी की प्रक्रिया चली थी। वहीं इन गांवों की जमीन को यमुना एक्सप्रेसवे व अन्य परियोजनाओं के लिए 2009 से 2011 के बीच अधिग्रहण किया गया। चकबंदी में घोटाले का आरोप लगाते हुए संस्था ने वर्ष 2014 में हाईकोर्ट में रिट याचिका लगाई थी। कोर्ट के आदेश पर एसआईटी से मामले की जांच कराई गई। एसआईटी अपनी रिपोर्ट शासन को दे चुकी है। साथ ही कई अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा व निलंबित करने की कार्रवाई की गई है, लेकिन किसानों से अब तक रिकवरी नहीं हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार जगनपुर, अफजलपुर में 451 बीघा सरकारी जमीन चकबंदी के बाद घटकर मात्र 6 बीघा रह गई। इसमें चारागाह की 80 बीघा जमीन भी गायब कर दी गई। इसी तरह अट्टा फतेहपुर में भी 260 बीघा सरकारी जमीन चकबंदी के बाद घटकर मात्र 45 बीघा रह गई। यहां 215 बीघा सरकारी जमीन किसानों के नाम गलत तरीके से की गई। दनकौर में 2075 बीघा सरकारी जमीन किसानों के नाम गलत तरीके से की गई। दनकौर में 2400 बीघा सरकारी जमीन थी,जिसमें से चकबंदी के बाद मात्र 325 बीघा रह गई। जांच में पता चला कि तीनों गांवों में कुल 2735 बीघा सरकारी जमीन किसानों और फर्जी कास्तकारों के नाम कर दी गई। यही नहीं तीनों गांवों में नदी, नाला, ऊसर, बंजर आदि की जमीनें भी नियमों को ताक पर रखकर किसानों के नाम दर्ज कर दी गई।

इस मामले में एडीएम लैंड बलराम सिंह का कहना है कि सरकारी जमीन को नाम कराकर मुआवजा उठाने वाले किसानों के नाम रिकवरी जारी हो चुकी है। इसके अलावा अन्य किसानों की सूची तैयारी की जा रही है।