Bird watching training pauri

पौड़ी: जिला पर्यटन विकास विभाग के तत्वावधान में इन दिनों पौड़ी जिले में प्रशिक्षित ट्रेनरों के माध्यम से अगल-अलग स्थानों पर छात्र-छात्राओं को बर्ड वाचिंग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बर्ड वाचिंग कार्यक्रम के तहत आज बुआखाल से पौड़ी के फॉरेस्ट रूट व झंडीधार-बुआखाल मार्ग पर बर्ड वाचिंग कराई गई।

जिला पर्यटन अधिकारी पौड़ी प्रकाश खत्री ने बताया कि इसके लिए आवदेन आए थे। जिन बच्चों ने बर्ड वाचिंग के लिए आवेदन किया था उनको बर्ड वाचिंग कराई जा रही है। बताया कि क्षेत्र में अनुभव रखने वाली टीम बर्ड वाचिंग करा रही है। जनपद के अगल-अलग स्थानों पर विभिन्न प्रजाति के पक्षियां मिलती हैं। जो पक्षियां शहरों में नहीं दिखती हैं वह पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी से दिख जाती हैं।

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्कूली बच्चों को बर्ड वाचिंग कराई जा रही है। जिससे बाहर से आने वाले पर्यटकों के साथ गाइड के तौर पर कार्य कर अच्छी आमदनी का जरिया मिल सके। कहा कि इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल सकता है।

गुरुवार को 16 बच्चों के समूह ने प्रशिक्षण में हिस्सा लिया। जिसमें अभय रावत, कृष्णा रावत, शशांक बिष्ट, आशीष रावत, विपिन सिंह, विपिन नेगी, अभिषेक, अजीत रावत, विपिन सिंह, विपिन नेगी, मुकेश, अजीत रावत, गोपाल नेगी, नीरज, शश्वत नेगी तथा आदर्श नेगी आदि शामिल रहे।

बर्ड वाचिंग का प्रशिक्षण दे रहे एक्सपर्ट्स का कहना है प्रदेश में ही करीब 700 से अधिक चिड़ियाओं की प्रजाति हैं। जिनमें से 600 चिड़िया तो अकेले पौड़ी जनपद में ही पाई जाती हैं। बर्ड वॉच ट्रेनर ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों का रुख करने वाले पर्यटक परिंदों की दुनिया से भी वाकिफ होना चाहते हैं। ऐसे में यहां बर्ड वॉचर, गाइड के क्षेत्र में रोजगार की अपार सम्भावनाएं हैं। ऐसे में युवा भी इस क्षेत्र में प्रशिक्षण लेने के लिए काफी उत्सुक हैं। उन्होंने कहा इस दिशा में गंभीरता से कदम बढ़ाने के साथ ही देश-दुनिया के बर्डर यानी बर्ड वाचिंग के शौकीनों का ध्यान खींचने की जरूरत है। उन्होंने बताया विकसित देशों में बर्ड वाचिंग का अच्छा खासा टर्नओवर है। इंग्लैंड, यूरोपीय देशों में बर्ड वाचिंग का अच्छा-खासा बिजनेस है। इस लिहाज से देखें तो उत्तराखंड में भी बर्ड वाचिंग की अच्छी-खासी संभावनाएं हैं।