चमोली जनपद के जोशीमठ शहर में भूधसाव के कारण आई आपदा से प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर विस्थापित करने के लिए शासन स्तर पर लगातार प्रयास जारी हैं। जोशीमठ भू धंसाव प्रभावितों को विस्थापित करने के लिए भूमि चयन करने का जिम्मा भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की टीम को सौंपा गया है।
चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने कहा कि जोशीमठ आपदा प्रभावितों के विस्थापन पर सहमति के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रभावितों से वार्ता की जा रही है। सहमति बनने पर ही विस्थापन नीति को अंतिम रूप जाएगा। डीएम ने कहा कि विस्थापन तथा पुनर्वास के लिए जोशीमठ के आसपास के चार स्थानों कोटी फार्म, पीपलकोटी, ढाक तथा औली के समीप जड़ी बूटी अनुसंधान और विकास संस्थान (HRDI) की भूमि चिह्नित की गई है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने भी इन चारों स्थानों के लिए हरी झंडी दी है।
- कोटी फार्म :जोशीमठ से लगभग 12 किमी दूर है। औली का एक रास्ता कोटी फार्म से भी जाता है।
- पीपलकोटी : जोशीमठ से लगभग 36 किलोमीटर दूर है, जिसके पास एक विशाल भूमि है।
- एचआरडीआई : औली के समीप जड़ी बूटी अनुसंधान और विकास संस्थान (HRDI) के स्वामित्व वाली भूमि जोशीमठ से लगभग 9 किमी दूर है।
- ढाक गाँव: ढाक गांव की जमीन मलारी रोड पर है और जोशीमठ से 12 किमी दूर है।
इसके अलावा जोशीमठ से करीब 90 किलोमीटर दूर गौचर में भी सर्वे का काम चल रहा है। डीएम ने बताया कि इन चारों स्थानों पर विस्थापन के लिए प्रभावितों से वार्ता चल रही है। उनकी राय ली जा रही है कि वे इन चार स्थानों में से कहां रहना चाहेंगे। इसके अलावा कुछ प्रभावितों द्वारा वन टाइम सैटलमेंट की बात की जा रही है। डीएम खुराना ने कहा कि आपदा प्रभावितों की दिक्कतों को ध्यान में रखा जा रहा है। प्रभावितों की हर संभव मदद की जा ‘रही है। जिला प्रशासन प्रभावितों की पूरी तरह देखभाल कर सुविधाएं मुहैया करा रहा है।
अब तक 863 घरों में पड़ी दरारें
सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी है कि जोशीमठ अभी तक 863 भवनों में दरारें दृष्टिगत हुई है। उन्होनें जानकारी दी कि गांधीनगर में 01, सिंहधार में 02, मनोहरबाग में 05, सुनील में 07 क्षेत्र / वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं। 181 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। 278 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये हैं। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 933 है।